भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज भाजपा के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि भाजपाइयों ने बड़ी धूमधाम से मनाई और साथ ही एक सप्ताह के पौधारोपण अभियान का भी आरंभ किया है।यह देखकर मन में विचार आया कि क्या महापुरुषों को भी मौका देखकर याद किया जाता है? अभी दो दिन पूर्व 21 जून को भाजपा ने अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस और मेगा वैक्सीनेशन ड्राइव अभियान को बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया लेकिन उस दिन किसी ने भी डॉ. केशव बलीराम हैड गेवार को याद नहीं किया, जबकि डॉ. हैड गेवार की पुण्यतिथि भी उसी दिन 21 जून को थी।

मुझे याद आता है पढ़ा हुआ कि सन् 1925 में दशहरे के दिन डॉ. केशव बलीराम हैड गेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी और वही आरएसएस भाजपा की भी जननी है तथा उसकी अनेक शाखाएं इस समय देश में काम कर रही हैं और सत्तारूढ़ भाजपा का बराबर सहयोग कर रही हैं।

मन में विचार आता है कि क्या अद्भुत और अद्वितीय व्यक्तित्व होगा डॉ. हैड गेवार का, जो उन्होंने आरएसएस जैसे संगठन की नींव रखी और उसी का परिणाम है कि आज भाजपा देश में सत्तारूढ़ है। ऐसे दुर्लभ व्यक्तित्व को भाजपाइयों द्वारा ही भूल जाना अनेक प्रश्न खड़े करताहै कि क्या वे समय के अनुकूल ही अपने महापुरुषों को याद करते हैं?

लगता है डॉ. हैड गेवार भाजपा के लिए इसलिए अप्रासंगिक हो गए, क्योंकि उनको याद कर इस समय सत्ता में कोई लाभ प्राप्त होता नजर नहीं आ रहा, जबकि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को इसलिए याद करते हैं कि वर्तमान कश्मीर समस्या मुंह बाये खड़ी है और केंद्र सरकार के लिए एक बड़ा प्रश्न खड़ा कर रही है, जिसका प्रमाण यह है कि प्रधानमंत्री मोदी कश्मीर समस्या के लिए सर्वदलीय बैठक भी बुला रहे हैं।

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी पं. जवाहर लाल नेहरू के मंत्रीमंडल में मंत्री भी थे। उनकी मौत कश्मीर में ही रहस्यमयी तरीके से हुई। इससे लगता है कि देश की जनता को भावनाओं में बहाने के लिए ही डॉ. हैड गेवार को भूल डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि को धूमधाम से मनाया गया।  यह भाजपा संघ की वर्तमान सोच को उजागर कर रहा है।

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