धामलावास गांव में बन रहा करोड़ों रूपये की लागत से बहुतकनीकी संस्थान, रास्ते की व्यवस्था नहीं : विद्रोही

लगभग 25-26 साल पूर्व धामलावास में बहुतकनीकी संस्थान बनाने की योजना हुई थी लेकिन इतने सालों बाद भी इस प्रोजेक्ट का अभी तक पूरा नही होना अपने आप में बताता है कि विभिन्न सरकारों की दक्षिणी हरियाणा के विकास के प्रति कैसी सोच रही है। विद्रोही

रेवाडी, 20 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर से मांग की कि जिले में धामलावास गांव में बन रहे बहुतकनीकी संस्थान को रेवाड़ी-नारनौल रोड़ से जोडने के लिए रास्ते की तत्काल व्यवस्था की जाये। विद्रोही ने कहा कि करोड़ों रूपये की लागत से बन रहे बहुतकनीकी संस्थान धामलावास में जाने के लिए रेवाड़ी-नारनौल रोड़ से कोई रास्ता नही है। इस संस्थान में जाने के लिए लोगों को खेतों में से जाना पड़ता है। अब ये खेत मालिक किसानों की मर्जी पर है कि कब तक अपने खेतों से संस्थान में जाने देंगे और कब रोकेंगे। इस बहुतकनीकी संस्थान के लिए धामलावास ग्राम पंचायत ने तीन भाईयों को रास्ते के लिए जमीन देने के लिए समझौते के तहत अन्य स्थान पर ग्राम पंचायत की जमीन थी दी ताकि इन तीन किसान भाईयों की जमीन से रेवाड़ी-नारनौल रोड़ तक का रास्ता बनाया जा सके। लेकिन इस जमीन के मालिक तीन भाईयों में से बड़े भाई ने पंचायत अधिकारियों से मिलीभगत करके रास्ते की एवज में मिली ग्राम पंचायत की जमीन अकेेले अपने नाम करवा ली जिसके चलते दो अन्य भाईयों ने बहुतकनीकी संस्थान में अपने खेतों से जाने वाला रास्ता रोक दिया। 

विद्रोही ने सवाल किया कि जब बहुतकनीकी संस्थान का भवन निर्माण हो जायेगा और यहां विधिवत रूप से  कक्षाएं लगेगी तब पढऩे वाले छात्र व कर्मचारी कैसे धामलावास बहुतकनीकी संस्थान में पहुुंचेंगे। उक्त रास्ते का मामला अदालत में है और कोई नही जानता कि अदालती कार्यवाही में उलझा यह मामला कब सुलझेगा। रेवाडी जिला प्रशासन इस मामले में गंभीर नही है। यदि प्रशासन गंभीर होता तो बहुतकनीकी संस्थान में रास्ते देने के नाम पर ग्राम पंचायत से मिली जमीन को धोखाधड़ी से अपनेे नाम करवाने वाले किसान पर विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज करकेे यदि जेल में डाल देता और सम्बन्धित ग्राम पंचायत अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करता तो इस धोखाधडी को अंजाम देने वाले लोग जेल के डर से अभी तक समझौता करके मामला सुलझा चुके होते।

विद्रोही ने कहा कि पता नही किस अज्ञात कारणों ने जिला प्रशासन ऐडी अंगुली करके इस मामले को क्यों नही सलझाया? जिला प्रशासन का रवैया बताता है कि इस धोखाधडी में कहीें न कहीं प्रशासन की मिलीभगत है जिसके कारण धोखाधडी करने वाले किसान पर कार्रवाई करने की बजाय इस मामले को अदालती प्रक्रिया में उलझाकर मामले को लम्बा खिंचना चाहता है। वहीं धामलावास बहुतकनीकी संस्थान का भवन निर्माण कार्य भी कछुआ गति से चल रहा है जो भाजपा सरकार के दक्षिणी हरियाणा के विकास प्रोजेक्ट के साथ एक और सौतेला व्यवहार का उदारहरण है। 

विद्रोही ने कहा कि लगभग 25-26 साल पूर्व धामलावास में बहुतकनीकी संस्थान बनाने की योजना हुई थी लेकिन इतने सालों बाद भी इस प्रोजेक्ट का अभी तक पूरा नही होना अपने आप में बताता है कि विभिन्न सरकारों की दक्षिणी हरियाणा के विकास के प्रति कैसी सोच रही है। सवाल उठता है कि विकास परियोजनाओं में दक्षिणी हरियाणा के साथ ही ऐसा सौतेला व्यवहार क्यों होता है? प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के साथ ऐसा व्यवहार क्यों नही होता?

वहीं विद्रोही ने यह भी पूछा कि दक्षिणी हरियाणा से निर्वाचित जनप्रतिनिधि विकास मामलों में लम्बे समय से हो रही ऐसी अनदेखी पर मौन क्यों रहते है? दक्षिणी हरियाणा का दब्बू व स्वार्थी राजनीतिक नेतृत्व क्या इस क्षेत्र के साथ विकास कार्यो में हो रहे सौतले व्यवहार, भेदभाव के प्रति जिम्मेदार नही है? 

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