जीव ट्रीटमेंट सेंटर अथवा कुतों का बधियाकरण केन्द्र बनाया जाए

भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा द्वारा भा ज पा के विधायकों को एक ज्ञापन देकर मांग की 

हांसी,17  जून । मनमोहन शर्मा

बृहस्पतिवार को फतेहाबाद  भाजपा के विधायक चौ दुड़ाराम और रतिया के विधायक लक्ष्मण नापा से अखिल भारतीय जीव रक्षा बिश्नोई सभा की हरियाणा शाखा के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रदेशाध्यक्ष विनोद कड़वासरा के नेतृत्व में मुलाकात कर पशुपालन विभाग के अधीन एसपीसीए के तहत गांव बड़ोपल में वन्यजीवों के ट्रीटमेंट सेंटर और कुतों के बधियाकरण केन्द्र की स्थापना बारे कार्यवाही करने हेतु ज्ञापन सौंपा।

 दोनों विधायकों ने प्रतिनिधिमंडल से काफी देर तक गहनता से चर्चा की तथा यथाशीघ्र उचित कार्यवाही करवाने बारे आश्वासन दिया।यह जानकारी देते हुए सभा के प्रदेश प्रवक्ता पृथ्वी सिंह बैनीवाल ने बताया कि ज्ञापन में कहा गया कि इलाके में गत कुछ वर्षों से कुतों की संख्या बढ़ने से वन्यजीवों की मौत का आंकड़ा बढ़ने के साथ साथ पालतू पशुओं व इंसानों में रैबिज़ के लाखों मामले सामने आए है। विनोद कड़वासरा द्वारा जनसुचना अधिकार के तहत ली गई सुचना में सामने आया था कि राजस्थान की सीमा के साथ लगे चार जिलों हिसार, फतेहाबाद, सिरसा, भिवानी में जनवरी 2016 से लेकर दिसम्बर 2020 तक कुल 2105 दुर्लभ वन्यजीव जिसमें काला हिरण, चिंकारा इत्यादि कुतों का शिकार हुए हैं। ये आंकड़ा सिर्फ वह है जो विभाग के संज्ञान/रिकार्ड में है, इससे कहीं अधिक दुर्लभ वन्यजीवों की मौत की सुचना विभाग को मिलती ही नहीं है।

 पशुपालन विभाग से प्राप्त सुचना अनुसार इन चार जिलों में लगभग 1600 पशु रैबिज़ का शिकार हुए है। साथ ही सबसे चोंकाने वाला आकंड़ा यह है कि वर्ष 2012 से 2020 तक इन चार जिलों में 270965 (लगभग 2 लाख 70 हज़ार) इंसानों को भी कुतों ने काटा है जिन्हें विभाग द्वारा रैबिज़ के टीके लगाए गए है। 

विनोद कड़वासरा ने कहा कि यह आंकड़ा सिर्फ हरियाणा के चार जिलों का है और अगर पुरे राज्य का आंकड़ा देखेंगे तो और चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे। सैंकड़ों करोड़ खर्च करने के बावजूद समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में हर जिले में एसपीसीए के अधीन एक स्थाई नियमित बधियाकरण केंद्र व कुतों के एंटी रैबिज़ वैक्सीनेशन केंद्र बनाना चाहिए। साथ ही गांव बड़ोपल में वन्यजीवों के लिए ट्रिटमैंट सेंटर बनाया जाना चाहिए।प्रतिनिधिमंडल में यह रहे शामिल प्रतिनिधिमंडल में प्रदेशाध्यक्ष विनोद कड़वासरा, महासचिव विनोद काकड़, कोषाध्यक्ष नरसी काकड़, फतेहाबाद जिला प्रधान अनिल सिहाग आदि शामिल रहे। 

कुत्ते के काटने पर इतना आता है खर्च

एक इंसान को कुता काटने पर लगभग 5 टीके लगते हैं और एक टीके की कीमत लगभग 350 रुपए है। अतः सरकारी हस्पतालों से प्राप्त इस आकंड़े पर गौर करें तों लगभग 271000 लोगों पर प्रति व्यक्ति 2000 रुपए के हिसाब से सरकार का लगभग 54 करोड़ रुपए खर्च आया है। पशुओं के मामले में गांवों में आमतौर पर पशुओं को बाहर पेड़ों के नीचे बांधने के कारण कोई रैबीज ग्रस्त कुता पालतू पशु को काट लेता है और पता तब लगता है जब पशु में रैबीज के लक्षण दिखने शुरू होते हैं। अगर किसान के एक पशु की कीमत कम से कम 50000 रुपए भी लगाएं तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कितना नुकसान हो रहा है।

अब तक कार्यवाही की कोई सूचना नहीं

इसके लिए तीन सालों से प्रयास जारी है, पत्र क्रंमाक 5625 दिनांक 11.06.2019 के अनुसार महानिदेशक पशुपालन ने सरकार को गांव बड़ोपल में एसपीसीए के अधीन ट्रिटमैंट सेंटर बनाने का प्रस्ताव भेजा था लेकिन उस पर शायद जमीन पशुपालन विभाग के नाम ना होने के कारण कोई कार्यवाही आगे नहीं बढ़ी। लगभग दो साल तक इसी दिशा में प्रयास करने उपरांत 11 जनवरी 2021 में उपायुक्त फतेहाबाद ने पत्र क्रमांक 204 के अनुसार गांव बड़ोपल में 31 कनाल पंचायत जमीन पशुपालन विभाग के नाम करने का प्रस्ताव पंचायत विभाग को भेजा है ताकि वहां वन्यजीवों का ट्रिटमैंट और कुतों का नियमित बधियाकरण किया जा सके, लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही की सुचना नहीं मिली है। 

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