कितलाना टोल पर धरने के 175वें दिन किसानों ने सरकार पर बोला जोरदार हमला चरखी दादरी जयवीर फोगाट 17 जून,सरकार द्वारा डीएपी की सब्सिडी बढ़ाने का श्रेय किसान आंदोलन को देते हुए अध्यक्ष मंडल की सदस्य सिलोचना डोहकी और बाला छपार ने कितलाना टोल पर धरने को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने पहले दाम बढ़ाये और जब किसानों ने जब इसके खिलाफ आवाज बुलुन्द की तब मजबूरी में केंद्र सरकार को सब्सिडी में इजाफा करने की घोषणा करनी पड़ी। उन्होंने इसे किसानों की नैतिक जीत बताया। उन्होंने कहा कि खाद की सब्सिडी सरकार ने उस वक्त बढ़ाई जब अधिकतर किसान बाजार में महंगे भाव में डीएपी खरीद चुके थे। इस मौके पर पूर्व जिला पार्षद कृष्णा छपार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकसर अपने मन की बात कहते हैं लेकिन करीब सात महीने से तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने को लेकर संघर्ष कर रहे किसानों की आवाज सुनने को राजी नहीं हैं। लोकतंत्र में शासक इतना निष्ठुर कैसे हो सकता है, ये बात आम जन मानस की समझ से बाहर है। जबकि किसान आंदोलन बेहद शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है और करीब 500 से ज्यादा किसान शहादत दे चुके हैं। ऐसे में नरेंद्र मोदी की चुप्पी जनता में आक्रोश बढ़ा रही है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर धरने के 175वें दिन खाप सांगवान चालीस के सचिव नरसिंह डीपीई, श्योराण खाप पच्चीस के प्रधान बिजेंद्र बेरला, किसान सभा के रामफल देशवाल, बलबीर बजाड़, जाटू खाप के मास्टर राजसिंह, सिलोचना डोहकी, बाला छपार ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होंने कहा सरकार को वास्तव में देश के किसान मजदूर की जरा सी भी चिंता है तो अंतर्राष्ट्रीय मार्किट में कच्चे तेल के भाव के मुताबिक पैट्रोल और डीजल के भाव कम करे ताकि बढ़ती महंगाई पर थोड़ी लगाम लग सके। धरने का मंच संचालन गंगाराम श्योराण ने किया। इस अवसर सुरजभान झोझू, रामसिंह तिवाला, आजाद फौजी अटेला, सुरेंद्र कुब्जानगर, मीरसिंह सिंहमार, जागेराम डीपीई, प्रोफेसर जगमिंद्र, मंगल सुई, लवली सरपंच, बलवान, बलबीर पूर्व सरपंच डोहकी, सूबेदार सतबीर सिंह, पूर्व सरपंच समुन्द्र सिंह, धनपत पैंतावास,कमल झोझू, शिवलाल दातोली, कंवरशेर चंदेनी, रतन्नी देवी , संतरा, विद्या देवी, ओमपति, धर्मबीर समसपुर इत्यादि मौजूद थे। Post navigation आह्वान- टकराव की बजाए बातचीत के रास्ते पर बढ़े सरकार समय में बदलाव सृष्टि का नियम है, लेकिन “परमात्मा का नाम ही स्थाई है”, भूलना नहीं चाहिए, चाहे समय कोई भी हो