नैनो यूरिया की पहली खेप अगले सप्ताह पहुंचेंगी गुरुग्राम, बड़े पैमाने पर किसानों को होगा लाभ।

गुरुग्राम 17 जून सहकारी संस्था इफको द्वारा स्वदेशी तकनीक पर विकसित नैनो यूरिया की पहली खेप अगले सप्ताह गुरुग्राम पहुंच रही है। नैनो यूरिया तरल की इस खेप को इफको के अध्यक्ष बलविंदर सिंह नकई ने गुजरात से वर्चुअल माध्यम से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया ।

इस बारे में जानकारी देते हुए गुरुग्राम इफको के मुख्य क्षेत्र प्रबंधक राजेंद्र शर्मा ने बताया कि इफको द्वारा देशभर के अनुसंधान केंद्रों व खेतों में विभिन्न फसलों पर 11000 से अधिक क्षेत्रों में ट्रायल किया गया था। इस ट्रायल में सामान्य यूरिया की मात्रा में 50% कमी करते हुए नैनो यूरिया तरल का प्रयोग किया गया। इन सभी फसलों में नैनो यूरिया के उत्साहवर्धक परिणाम सामने आए, जिसके बाद इसे भारत सरकार द्वारा स्वीकृति दे दी गई और इसकी पहली खेप अब अगले सप्ताह गुरुग्राम सहित प्रदेश के अन्य जिलों में पहुंच रही है।

उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की आधा लीटर मात्रा एक बोरा सामान्य यूरिया के बराबर काम करेगी । सामान्य यूरिया के फसल में प्रयोग करने पर पौधों को नाइट्रोजन 35 से 40% मात्रा ही मिलती है शेष नाइट्रोजन की मात्रा वायु, मृदा, भूमिगत जल को प्रदूषित करती है। परंतु नैनो यूरिया के प्रयोग करने पर पौधों को नाइट्रोजन की 85% मात्रा उपलब्ध होगी जिससे कृषि लागत में कमी आएगी । उपज में वृद्धि होने से किसानों की आमदनी में वृद्धि होगी और इससे उत्पादन की गुणवत्ता में भी सुधार होगा। नैनो यूरिया के प्रयोग से वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण व भूमिगत जल प्रदूषण में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही नैनो यूरिया क्षेत्र की सहकारी समितियों व इफको केंद्रों के माध्यम से किसानों को उपलब्ध करवाया जाएगा।

वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में इफको के अध्यक्ष बलविंदर सिंह नकई ने कहा कि भारतीय कृषि व उर्वरकों के आयात में कमी लाने में इफको नैनो यूरिया मील का पत्थर साबित होगा। इफको नैनो यूरिया की विशेषता यह है कि किसानों को अब 45 किलोग्राम यूरिया के थैले को ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए इफको नैनो यूरिया तरल की 500ml की बोतल अर्थात आधा लिटर ही पर्याप्त होगा।

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