-कमलेश भारतीय वैसे इस तरह के नारे बिजनेस कम्पनियां देती हैं । यह दो , यह पाओ । करोड़पति बन जाओ । लूट सके तो लूट । ये बिजनेस कम्पनियों के नारे राजनीति में भी आ गये । पिछले आठ दस साल से राजनीति शुद्ध व्यापार के करीब पहुंच गयी है । किसी को भी पार्टी के सिद्धांतों या विरासत से कोई लेना देना नहीं । बस । अपना नाम होना चाहिए । अभी दो दिन से लोकजनशक्ति पार्टी का आपसी खेल चाचा भतीजे के बीच चल रहा है । चाचा के गुट में भतीजे को कहीं का न छोड़ा तो भतीजे ने भी आनन फानन में बैठक बुला कर पांच सांसदों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हिसाब बराबर। न चाचा जीते न भतीजा । तुम्हारी भी जय जय , हमारी भी जय जय । दूसरी ओर यूपी में बसपा के पांच निलम्बित विधायक समाजवादी पार्टी के प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मिले और साफ बात है कि सपा में जाने के इरादे हैं । पिछले विधानसभा चुनाव में बुआ भतीजे की जोड़ी बनी तो थी यानी गठबंधन हुआ लेकिन कोई कमाल न दिखा पाया और फिर रास्ते अलग अलग हो गये । इतने अलग कि बुआ के विधायक सपा में मिलने को सोचने लगे हैं । बुआ की नाराजगी की कोई परवाह नहीं कर रहे अखिलेश । तीसरी बात जो सामने आई कि जिन विधायकों ने पिछले साल राजस्थान की अशोक गहलोत की सरकार को बचाने में बड़ी भूमिका निभाई वही लोग अब एक साल के इंतज़ार के बाद इनाम की मांग उठाने लगे हैं यानी दलबदल का तोहफा मांगने लगे हैं । अरे भोले विधायको , अभी तक मध्यप्रदेश में ज्योतारादित्य सिंधिया को सब्र का घूंट पीना पड़ रहा है तो आप कैसी हैसियत रखते हो ? जितिन प्रसाद अभी अभी भाजपा में गये हैं , देखिए क्या मिलता है ? बेशक यह दलबदल का खेल खूब फ़ला फूला है और सबकी वाजिब कीमत भी लगती है और मुंह मांगी कीमत भी मिलती है । अभी तो महाराष्ट्र में एक बार फिर डोल रहा है शिवसेना के उद्धव ठाकरे का सिंहासन । असल में जब जब हमारे अमित शाह अज्ञातवास में जाते हैं तब तब कहीं न कहीं किसी न किसी राज्य के मुख्यमंत्री का सिंहासन डोलने लगता है । चाहे विरोधी दल की सरकार हो या अपनी भाजपा की । उत्तराखंड में अपना ही मुख्यमंत्री बदल डाला -इमेज बचाने के नाम पर । वैसे तो यूपी के योगी को भी बदले जाने की चर्चायें शुरू हैं क्योंकि अब चाहे राम मंदिर बनवा लो , चाहे कुछ भी कर लो भाजपा का आसन डोल रहा दिखता है । फिर क्या योगी या क्या कोई गृहस्थ आ जाये मुख्यमंत्री । सोच नहीं बदलेगी । ग्राफ लगातार नीचे गिरता दिख रहा है । पंजाब में दल बदल को भी कोई तैयार नहीं यानी भाजपा में जाने को कोई तैयार नहीं । सट्टा बाजार भी यही बता रहा है । बहुत कम लोग भाजपा पर दांव खेलना चाहते हैं । आने वाले दिन अच्छे नहीं हैं और अच्छे दिन आएंगे का नारा भी भाजपा अब नहीं लगाती । खुद ही अपने नारे से बिदक गयी । कैसे लगाये ? पेट्रोल डीज़ल व रसोई गैस के दाम ही नहीं सब्जियों तक के दाम आसमान तक सीढ़ी लगाये हुए हैं । आम आदमी नीचे खड़ा तरस रहा है । किसान आंदोलन में और आम कर्मचारी धरने प्रदर्शन पर । यह हालत है । यह हमारे देश की प्री मानसून की एक सुहावनी तस्वीर है । उम्मीद है आपको यह तस्वीर पसंद आई होगी । कल फिर मिलते है। आज की राम राम लो । Post navigation विधान सभा चुनाव 2022 को लेकर संक्षिप्त समीक्षा पायलट डाल-डाल गहलोत पात-पात….