भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। गुरुग्राम की स्थिति वैसी ही है, जैसी कहावत है कि सात मामाओं का भांजा भूखा ही घर आए। कहने को तो गुरुग्राम के रखवाले मुख्यमंत्री बनते हैं और वह कहते भी हैं कि मेरा विशेष ध्यान गुरुग्राम पर है। सारे अधिकारी भी उन्हीं की मर्जी से लगते हैं, कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन भी वही हैं, शीतला माता बोर्ड के चेयरमैन भी वही हैं।

अब बात करें राव इंद्रजीत सिंह की तो वह यहां के पुराने सांसद हैं। यहां की गली-गली से वाकिफ हैं। उनके समर्थकों की असंख्य गिनती है, जिसका प्रमाण है कि नगर निगम का मेयर वह डंके की चोट पर अपनी मर्जी से बनाते हैं। 

अनिल विज भी गुरुग्राम की बड़ी बढ़ाई करते हैं। आज भी कह रहे थे कि गुरुग्राम वैक्सीनेशन में प्रदेश में प्रथम है। गृह विभाग, स्वास्थ्य विभाग और निकाय विभाग के वह मंत्री हैं और वह स्वयं कहते हैं या लोग कहते हैं गब्बर के नाम से विख्यात हैं।

प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ भी वर्तमान में गुरुग्राम में ही निवास करते हैं, अपनी कार्यकारिणी में अधिकांश सदस्य उन्होंने गुरुग्राम के ही लिए हैं। अत: पार्टी प्रधान होने के नाते वह भी गुरुग्राम की व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदार हैं।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संचालक पवन जिंदल भी गुरुग्राम में ही निवास करते हैं और यह माना जाता है कि संघ की शक्ति सरकार से कम नहीं है तथा गुरुग्राम में रहने के नाते उनकी भी पूरी जिम्मेदारी बनती है कि गुरुग्राम की समस्याओं को दूर करने का प्रयास करें।

एक जवाहर यादव हैं, जिनके पास पद तो कोई नहीं न सरकार में और न ही संगठन में लेकिन मुख्यमंत्री के बहुत नजदीकी माने जाते हैं और समय-समय पर मुख्यमंत्री के बचाव में और तारीफ में सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं देते रहते हैं। मुख्यमंत्री के साथी होने के कारण जिम्मेदारी तो उनकी भी पूरी बनती है।

अब सातवें का नाम लेने में नहीं समझ में आ रहा कि किसका नाम लें, पूर्व शिक्षा मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रो. रामबिलास शर्मा का, वर्तमान कृषि मंत्री जेपी दलाल का, मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी विनोद मेहता का या मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र जिला प्रधान गार्गी कक्कड़ का, पूर्व मंत्री राव नरबीर का या फिर गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला का, अपने आपको नजदीकी का दावा करने वाले पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता का। नहीं समझ में आता कि किसका नाम लें।

अब सवाल यह है कि इतना सब होते हुए भी गुरुग्राम हर प्रकार की कठिनाइयों से जूझ रहा है। मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी यहां की जनता परेशान है। निगम भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जाता है। स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ाई विज करते नहीं थकते, जबकि सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। संक्षेप में कह सकते हैं कि गुरुग्राम में समस्याओं का अंबार है। अरे कोई तो संभाल लो गुरुग्राम को, जो सारे हरियाणा को पाल रहा है।

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