चंडीगढ़, 10 जून – हरियाणा पुलिस ने क्रिप्टोकरंसी फ्राॅड के खिलाफ कार्रवाई करते हुए वर्चुअल करेंसी बिटकॉइन में इंवेस्ट करने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले मास्टरमाइंड सहित चार जालसाजों को गिरफ्तार किया है।

हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) श्री मनोज यादव ने आज इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बिटकॉइन के नाम पर मोटे मुनाफे का झांसा देकर ठगी करने वाले आरोपी मास्टरमाइंड और उसके साथी चीन से बाहर स्थित एक बहुराष्ट्रीय क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, बिनांस के नाम का इस्तेमाल कर रहे थे। बिटकॉइन ट्रेडिंग के नाम पर सभी मोटे मुनाफे का लालच देकर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसाते थे।

उन्होंने बताया कि सोनीपत के सेक्टर-23 निवासी श्री प्रवेश ने गांव माढा पुलिस थाना नारनौद, हांसी निवासी हरिंदर चहल के खिलाफ ठगी के संबंध में पुलिस को शिकायत दी थी।

शिकायत के आधार पर साइबर पुलिस स्टेशन पंचकूला में आईपीसी और आईटी एक्ट की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने साइबर विशेषज्ञों की मदद से जांच शुरू की तो पता चला कि इस धोखाधड़ी में आरोपी मास्टरमाइंड अकेला नहीं है बल्कि कई अन्य लोग भी शामिल हैं जो मोटे मुनाफे के झांसे के साथ बिटकॉइन में निवेश करवाने के काम को अंजाम देते थे। अब तक की जांच में मास्टरमाइंड सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

डीजीपी ने बताया कि जांच के दौरान यह सामने आया कि जॉन मैक्एफ़ी नाम के एक व्यक्ति ने हैकिंग की संभावने जताते हुए ट्विटर पर सार्वजनिक रूप से बिनांस से पूछताछ की थी। बिनांस ने उसी दिन अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हैक होने की किसी भी संभावना से इनकार करते हुए रिप्लाई किया और साथ ही अपना ’बिटकॉइन वॉलेट एडेªस’ भी सार्वजनिक किया।

इसका फायदा उठाते हुए गिरफ्तार मास्टरमाइंड ने विकास कुमार के नाम से एक जाली फेसबुक अकाउंट बनाया और क्रिप्टोकरंसी एक्सचेंज बिनांस के आधिकारिक वॉलेट एड्रेस को कॉपी कर लिया। 1 अक्टूबर 2019 को, वॉलेट की बिटकॉइन होलिं्डग 1871 बिटकॉइन थी, जिसकी राशि लगभग 1,09,64,06,000 रुपये थी। 1 अक्टूबर 2019 को मास्टरमांइड ने शिकायतकर्ता (श्री प्रवेश कुमार) को विश्वास दिलाने के लिए फेसबुक मैसेंजर और व्हाट्सएप मैसेंजर के माध्यम से यह ब्लॉकचेन दिया।

मास्टरमाइंड हरिंदर चहल जिसे सोनू चहल के नाम से भी जाना जाता है, ने शिकायतकर्ता श्री प्रवेश कुमार को अपने वॉलेट में बिटकॉइन दिखाकर 15,50,000 रुपये का फ्राॅड किया, जो वास्तव में क्रिप्टो-करेंसी एक्सचेंज बिनांस के थे। शिकायतकर्ता ने आरोपी पर विश्वास किया क्योंकि घटना के समय वाॅलेट में 1871 बिटकॉइन मौजूद थे (जो कि वास्तव में बिनांस के थे न कि हरिंदर चहल के) जांच के दौरान, यह भी पता चला कि हरिंदर चहल के पास कई क्रिप्टो-करंेसी वॉलेट हैं, लेकिन उनमें से किसी में भी कोई वास्तविक बिटकॉइन या क्रिप्टो-करंेसी नहीं थी। वॉलेट में नाॅन-स्पैनडेबल (डमी) बिटकॉइन थे जिनका उपयोग धोखाधड़ी से पीड़ितों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया जाता था कि आरोपी के पास बिटकॉइन हैं।

डीजीपी ने बिटकॉइन लेनदेन से जुड़े धोखाधड़ी का पर्दाफाश करने के लिए अपराध इकाई की पूरी टीम को बधाई दी।

उन्होंने कहा कि पुलिस द्वारा ठगे गए लोगों की संख्या के बारे में और जानकारी एकत्र की जा रही है। फिलहाल, गिरफतार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। साथ ही अन्य आरोपियों का पता लगाने का प्रयास जारी है।

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