रेवाड़ी,10 जून 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने मोदी सरकार द्वारा 2021 की विभिन्न खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में एक से पांच प्रतिशत की बढोतरी को ऊंट केे मुंह में जीरा के समान बताते हुए इसे किसानों के साथ क्रूर मजाक बताया। विद्रोही ने कहा कि खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में नाममात्र की बढोतरी करके मोदी सरकार किसान हित में मगरमच्छी आंसू बहाकर एक से पांच प्रतिशत की मामूली बढोतरी को लाभकारी मूल्य बताकर किसानों को ठगने की कुप्रयास कर रही है। बुधवार को मोदी केबिनेट ने धान के भाव में प्रति क्विंटल 72 रूपये बढाकर मात्र साढ़े 3 प्रतिशत बढोतरी की है। वहीं ज्वार के भाव में 118 रूपये बढाकर एक प्रतिशत, बाजरा के भाव में 100 रूपये बढाकर 4 प्रतिशत, रागी के भाव में 82 रूपये बढाकर ढाई प्रतिशत, कपास के भाव में 211 रूपये बढाकर 4 प्रतिशत, तिल के भाव में 452 रूपये बढाकर ढाई प्रतिशत, मक्का के भाव में 20 रूपये बढाकर एक प्रतिशत, तूर के भाव में 300 रूपये बढाकर 5 प्रतिशत, मूंग के भाव में 79 रूपये बढाकर एक प्रतिशत, उड़द के भाव में 300 रूपये बढाकर 4 प्रतिशत बढोतरी की है। इस तरह वर्ष 2021 खरीफ फसलों में मात्र एक से पांच प्रतिशत प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढाकर मोदी सरकार ने एकबार फिर अपना किसान विरोधी चेहरा दिखा दिया है। 

विद्रोही ने कहा कि एक तरह से मोदी सरकार ने खरीफ फासलों के भाव में मामूली बढोतरी करके कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों का मजाक उड़ाया है। मोदी सरकार का उक्त रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि संघी सरकार के मन में किसानों के प्रति कितना विरोध है। विगत एक साल से फसल लागत मूल्य प्रति कितना ज्यादा बढ़ा है। डीजल के भाव ऐतिहासिक स्तर पर मंहगे है, वहीं खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र सहित खेती में प्रयोग होने वाली हर वस्तु का भाव भारी मात्रा में बढा है जबकि उनके अनुपात में खरीफ फसलों का एमएसपी बढाना न बढाना एक समान है। मोदी सरकार के इस किसान विरोधी रवैये से किसानों पर कर्ज का बोझ और बढ़ेगा व उनकी आर्थिक हालत और बदतर होनी तय है। विद्रोही ने कहा कि भाजपा-संघी सरकार खरीफ फसलों के एमएसपी एक से पांच प्रतिशत की मामूली बढोतरीे को भारी बढोतरी बताकर ना केवल किसानों को ठग रही है अपितु उनकी आर्थिक बदहाली पर क्रूर अठ्ठास भी कर रही है। 

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