भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। लंबे समय से गुरुग्राम की जनता निगम की कार्यशैली से हताश व परेशान है और जनता में यह धारणा बनी हुई है कि इस समय गुरुग्राम निगम में हरियाणा में सबसे अधिक भ्रष्टाचार व्याप्त है। अब प्रमाण तो कोई नहीं लेकिन जनता की आवाज है कि भ्रष्टाचार में कहीं न कहीं जनप्रतिनिधियों की भी प्रतिभागिता है। ऐसे में समय में निगम आयुक्त का बदलना और नए निगम आयुक्त का आना जनता में बहुत आशाएं जगा रहा है।

वैसे जनता आजकल सजग तो बहुत है, जानकारियां भी बहुत रखती है लेकिन जानें क्यों मुखर होकर आवाज उठाने में डरती है। पूर्व जानकारियों के अनुसार यह बताया जा रहा है कि नए निगम आयुक्त परिपक्व, शालीन, समझदार और ईमानदार हैं। यही कि कारण है कि जनता अब यह सोचती है कि हमारा जो पैसा शहर के विकास में लगना चाहिए था और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा था, वह शायद अब शहर के विकास में लगेगा।

बड़े दुख की बात है कि गुरुग्राम की कष्ट निवारण समिति के चेयरमैन के अध्यक्ष भी मुख्यमंत्री हैं और भाजपाइयों का कहना है कि उनसे ईमानदार तो कोई हो ही नहीं सकता और इसी प्रकार गुरुग्राम के सांसद राव इंद्रजीत का तो जीवन जनता के सामने है, इतने लंबे राजनैतिक सफर में उन पर कभी भ्रष्टाचार के आरोप भी नहीं लगे। आप सोच रहे होंगे कि निगम के भ्रष्टाचार में राव इंद्रजीत का नाम क्यों तो बता दूं कि राव इंद्रजीत सिंह ने ही निगम में अपनी इच्छा से मेयर और मेयर टीम बनाई थी और वह भी भाजपा नेतृत्व के विरूद्ध जाकर यह कह कि ये स्थानीय चुनाव हैं और इसमें जनता जो चुनती है, वह जनता का अधिकार जनता को मिलना चाहिए।

अत: इस दृष्टि से राव इंद्रजीत सिंह पर भी पूरी जिम्मेदारी है निगम से भ्रष्टाचार रूपी महामारी को कम कर गुरुग्राम की जनता को राहत दिलाएं। इसी प्रकार स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज के बारे में भी कहा जाता है कि वह भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं करते और उनके पास तो अब गृह मंत्रालय भी है। अत: उनकी दोगुनी जिम्मेदारी बनती है निगम के भ्रष्टाचार को समाप्त करने की।

नव नियुक्त निगमायुक्त ने आते ही पहले ही दिन निरीक्षण करने आरंभ कर दिए। इससे प्रतीत होता है कि वह अपने अनुभव से यहां के भ्रष्टाचार में कमी ला पाएंगे। आपको बता दें कि इससे पूर्व वह पंचकूला में उपायुक्त थे और वहां सभी की नजर रहती है। इस पर भी इन पर कभी किसी प्रकार के छींटे भी नहीं पड़े।

अब हम सबसे अधिक जिम्मेदारी तो राव इंद्रजीत सिंह पर डालेंगे कि वह निगमायुक्त का पूर्ण सहयोग करें और पंचकूला में रहने के कारण यह हम अनुमान लगा सकते हैं कि मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का सहयोग यह खुद प्राप्त कर लेंगे। वैसे निगम के भ्रष्टाचारियों के चेहरों पर भी चिंता की रेखाएं दिखाई देने लगी हैं।

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