“ल्यूकोरिया” को नजरअंदाज ना करें : डॉ. नितिका शर्मा

ल्यूकोरिया को सामान्य भाषा में “सफेद पानी” या “श्वेत प्रदर” भी कहा जाता है। यह स्त्रियों में होने वाली एक आम समस्या है जिसे अधिकतर महिलाएं नजरअंदाज करती रहती हैं, जिसके फलस्वरूप दुष्परिणाम होते हैं। योनि से सफेद रंग का गाढ़ा और दुर्गन्धयुक्त पानी निकलता है। किसी तरह का इन्फेक्शन होने पर स्राव पीले, हल्के नीले या हल्के लाल रंग का, और बहुत चिपचिपा एवं बदबूदार होता है। यह किसी योनि या गर्भाशय से संबंधित रोग का लक्षण भी हो सकता है। ल्यूकोरिया का उपचार ना करने पर महिला का स्वास्थ्य कमजोर हो सकता है तथा प्रजनन शक्ति भी प्रभावित हो सकती है।

ल्यूकोरिया दो प्रकार के होते हैंः-
1) फिजियोलोजिकल ल्यूकोरिया

मासिक चक्र के दौरान योनि से पानी जैसा बहने वाला दुर्गन्धरहित चिपचिपा, पतला और सामान्य माना जाता है। महिलाओं में अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव बढ़ जाता है। यह स्त्री के शरीर की सामान्य प्रक्रिया है। इसमें किसी उपचार की जरूरत नहीं होती है। केवल उचित आहार-विहार का पालन करना चाहिए।

2) पैथोलोजिकल ल्यूकोरिया
ऐसा बैक्टेरियल इन्फेक्शन होने पर देखा जाता है। स्राव का रंग असामान्य गाढ़ापन लिए हुए एवं दुर्गन्धयुक्त होता है। यह Yeast Infection भी हो सकता है।

ल्यूकोरिया के प्रमुख कारण हैं-
-अविवाहित महिलाओं में यह पोषण की कमी, योनि की अस्वच्छता, खून की कमी और तला हुए तेज मसालेदार भोजन करने से होता है।
-योनि में ‘ट्रिकोमोन्स वेगिनेल्स’ नामक बैक्टीरिया के कारण ल्यूकोरिया होता है।
-बार-बार गर्भपात होना या कराना।
-डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं की योनि में फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग के कारण ल्यूकोरिया होता है।
-असामान्य यौन सम्बन्ध
-शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता का कमजोर होना
-तनाव एवं अत्यधिक मेहनत करने के कारण।
-कॉपर-टी लगा हुआ होने पर।

ल्यूकोरिया की पहचान इन लक्षणों से की जा सकती हैः-

-योनिमार्ग में तीव्र खुजली
-कमर में दर्द बना रहना।
-कमजोरी महसूस होना एवं चक्कर आना। बार-बार पेशाब आना पेट में भारीपन बना रहना।
-भूख ना लगना एवं जी मिचलाना।
-आखों के नीचे काले घेरों का पड़ना।
-पिंडलियों में खिंचाव
-शरीर भारी रहना।
-चिड़चिड़ापन रहना।

ल्यूकोरिया के इलाज के लिए होम्योपैथिक मेडिसिन जैसे बोरैक्स, क्रयोजोटम, मर्कसोल, सोराइनम, बोविस्टा, एलुमिना, ग्रेफाइटिस, नाइट्रिक एसिड, पल्सेटीला, सिपिया, फैरामैटैलिकम एवं अन्य कन्सटीट्यूशनल रैमेडिज का प्रयोग किया जाता है। किसी भी होम्योपैथिक मेडिसिन का प्रयोग चिकित्सक के परामर्श उपरांत ही करें।

ल्यूकोरिया के दौरान अधिक नमक एवं मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए। जंक फूड एवं बासी भोजन का नहीं खाना चाहिए। फल एवं रेशेदार सब्जियों को अधिक से अधिक अपने आहार में शामिल करें। पौष्टिक भोजन लें।

ल्यूकोरिया के दौरान इन बातों का अवश्य ध्यान रखें:-
-शरीर को साफ रखें।
-योनिमार्ग को अच्छी प्रकार से पानी से साफ करें।

साबुन व अन्य कैमिकल प्रोडक्ट्स का अत्यधिक प्रयोग न करें।
-अंडरगार्मेंट (अंतर्वस्त्र) सूती कपड़ों का पहने।
-दिन में दो बार इन्हें बदलें।
-गर्भपात के लिए अधिक दवाइयों का सेवन ना करें।
-मासिक धर्म के समय साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
-हर 4-6 घण्टे में पैड बदलते रहें।
-स्टरलाइज पैड्स का इस्तेमाल करें।

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