– वर्षों से चले आ रहे विवाद का हुआ पटाक्षेप – ड्रैन की पानी निकासी की क्षमता 800 क्युसिक से बढकर हो जाएगी 2300 क्युसिक- बादशाहपुर डेªन से होती है गुरूग्राम के 60 प्रतिशत बरसाती पानी की निकासी

गुरूग्राम,04 जून। गुरूग्राम में बादशाहपुर डेªन के 33 मीटर भाग पर वर्षों से चले आ रहे विवाद का गुरूग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) की पहल से आखिरकार हल हो गया है। अब जीएमडीए ने डेªन के इस हिस्से पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है जिसके पूरा होने पर इस हिस्से में भी डेªन की बरसाती पानी निकासी की क्षमता 800 क्यूसिक से बढकर 2300 क्यूसिक हो जाएगी। इससे गुरूग्राम वासियों को बरसात के दिनों में काफी राहत मिलेगी और बादशाहपुर डेªन की वजह से होने वाला जलभराव नहीं होगा। 

गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल की पहल पर वर्षो पुराने विवाद को हल किया जा सका है। जिला के गांव घाटा से शुरू होकर यह बादशाहपुर डेªन वाटिका चैक से पुराने खांडसा रोड से होते हुए नजफगढ़ ड्रेन में जा कर मिलती है। जीएमडीए के मुख्य अभियंता प्रदीप कुमार ने बताया कि गुरूग्राम शहर के लगभग मध्य से गुजरने वाली यह बादशाहपुर डेªन, जिसे पहले बादशाहपुर नाला भी कहा जाता था, बरसात के दिनों में लगभग 60 प्रतिशत बरसाती पानी की निकासी का साधन बनती है। लगभग 26 किलोमीटर की लंबाई वाली बादशाहपुर डेªन की पुरानी खांडसा रोड़ पर सीमा इंजीनियरिंग वर्कस के पास के 33 मीटर भाग को छोड़कर इसकी पानी निकासी की कुल क्षमता 2300 क्युसिक कर दी गई थी। केवल इस 33 मीटर के भाग में यह डेªन सिकुड़ कर तीन चैनल की बजाय एक चैनल की रह जाती है जिसकी वजह से इस स्थान पर इसकी पानी निकासी की क्षमता 2300 क्युसिक की बजाय 800 क्युसिक ही है। इसी वजह से डेªन के कैचमेंट एरिया में निचाई वाले स्थानों पर बरसात के दिनों में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती थी। उस 33 मीटर भाग पर न्यायालय में मामला लंबित था।

प्रदीप कुमार के अनुसार जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुधीर राजपाल ने इस समस्या का गहराई से अध्ययन किया और इसका समाधान निकाला। श्री राजपाल ने व्यापक जनहित को देखते हुए उपायुक्त डा. यश गर्ग को लिखा कि वे आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत डेªन के विवादित भाग का निर्माण करवाने के आदेश देवें। इसका उद्देश्य गुरूग्राम वासियों को हर साल डेªन की इस स्थान पर पानी निकासी की क्षमता कम होने की वजह से जल भराव की समस्या से निजात दिलाना था। डेªन के कुछ भाग पर निर्माण नहीं होने देने को श्री राजपाल ने मानव जनित आपदा माना जिसकी वजह से गुरूग्राम वासियों को हर साल जल भराव और बाढ जैसी स्थिति का सामना करना पड़ता है। हरियाणा प्रदेश में शायद ये पहला मौका होगा जब आपदा प्रबंधन अधिनियम का प्रयोग मानव जनित आपदा के समाधान के लिए किया गया है। 

मुख्य अभियंता प्रदीप कुमार ने बताया कि जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री राजपाल के निर्देशानुसार गुरूग्राम के उपायुक्त डा. यश गर्ग ने आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत डेªन के विवादित भाग पर जनहित में कब्जा लेकर इसका निर्माण करवाने के आदेश जारी किए। इन आदेशों को दूसरे पक्ष द्वारा उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी गई और न्यायालय ने भी इस मामले में यही कहा कि डेªन के राईट आॅफ वे में आने वाली जमीन का सन् 2006 में सुनाए गए अवार्ड के अनुसार मुआवजा देने के बाद ही जीएमडीए इसका पोजेशन ले। इसके बाद प्राधिकरण ने मुआवजे की राशि अदा करके जमीन पर कब्जा ले लिया है और विवादित 33 मीटर भाग में निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया है। प्राधिकरण के अधीक्षण अभियंता राजेश बंसल ने बताया कि इस हिस्से में डेªन की केवल एक चैनल थी, अब इनके साथ 2 चैनल और बनाकर पानी निकासी की क्षमता बढाई जा रही है। यह कार्य युद्ध स्तर पर करवाने पर भी जुलाई माह के पहले सप्ताह में पूरा होने की आशा है। 

error: Content is protected !!