भारत सारथी/ऋषि पकाश कौशिक

गुरुग्राम। सरकार की ओर से जबसे मुख्यमंत्री मनोहर लाल गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर आए हैं, तब से ही घोषणाओं का रोज अंबार लगा होता है और भाजपा के उच्च महत्वकांक्षी नेता उन घोषणाओं में अवसर तलाश मुख्यमंत्री का आभार भी जता रहे हैं पर आम जनता को इन घोषणाओं पर न तो कोई ध्यान है और न ही विश्वास होता है, क्योंकि मुख्यमंत्री का पूर्व में भी घोषणाएं करने का रिकॉर्ड बना हुआ है।

कोरोना के मरीज बेशक कम हुए हैं लेकिन कोरोना जिस प्रकार मनुष्य को कमजोर कर रहा है और उसके पश्चात जो बीमारियां घर कर रही हैं, उससे जनता में अभी कोरोना का खौफ समाप्त हुआ नहीं है। सरकारी अस्पतालों की दशा देखो। वहां अभी भी स्थितियां पूर्ववत बनी हुई हैं, कहीं न तो सुविधाओं में अंतर दिखाई देता और न ही डॉक्टरों के व्यवहार में।

इसी प्रकार सरकार की ओर से बार-बार घोषणाएं की जाती हैं कि प्राइवेट अस्पतालों पर अंकुश कसा जाएगा, रेट तय किए जाते हैं, सजा देने का प्रावधान बनाए जाने की बात कही जाती है लेकिन यर्थात में पहले जैसा ही चल रहा है।

गृह एवं स्वास्थ मंत्री अनिल विज घोषणा करते हैं कि आइसोलेशन से घर में रहने वाले सभी कोरोना पीडि़तों को स्वास्थ किट दी जाएगी, इसका असर जमीनी स्तर पर नहीं दिखाई दे रहा।गत 30 मई को भाजपा नेताओं की ओर से सेवा ही संगठन नारे के साथ जगह-जगह मास्क और सैनेटाइजर बांटने की पहल करते नजर आए लेकिन वह सिर्फ एक ही दिन दिखाई दिया। क्या कोरोना केवल एक ही दिन के लिए आया था, या एक ही दिन में सारी समस्याएं दूर हो गईं? यह सब ख्याल मेरे नहीं नागरिकों के हैं।

इसी प्रकार कल बिजली मंत्री चौ. रणजीत चौटाला ने घोषणा की कि आगामी दो माह में गुरुग्राम और पंचकूला को इंवर्टर मुक्त कर देंगे। अब गुरुग्राम के नागरिकों का इस पर कहना है कि वर्षों से सुन रह हैं कि गुरुग्राम नो पॉवर कट जोन है लेकिन जरा-सा अंधड़ आता है या बरसात होती है, बिजली गायब हो जाती है। फोन करते रहे, विभाग के लोग फोन उठाते नहीं। साथ ही उनका कहना है कि मैंने कहा है कि दो महीने में सब खम्भे लगाने का कार्य पूर्ण करो। मंत्री जी, अब बरसात आ रही है, खुदाई का काम तो वैसे ही बंद हो जाएगा तो यह कैसे संभव होगा? जनता का कहना है कि इंवर्टर मुक्त की तो बात छोड़ो, यदि आप गुरुग्राम को जैनरेटर मुक्त ही कर दो तो आपके एहसानमंद होंगे।

इसी प्रकार घोषणाओं का बाजार गर्म है लेकिन कालाबाजारी रुक नहीं रही, बिजली मंत्री कहते हैं कि कोरोना काल में सरचार्ज नहीं लगेगा, लेकिन विभाग की ओर से मैसेज आते रहते हैं कि बिजली जमा कराइए सरचार्ज से बचने के लिए। अब जनता कैसे विश्वास कर इन घोषणाओं पर?

इसी प्रकार गत वर्ष कोरोना वॉरियर्स का नाम दिए जाने वाले सफाईकर्मी, आंगनवाड़ी वर्कर्स, आशा वर्कर्स आदि-आदि के कर्मचारियों को सुविधाएं नहीं है, उनमें असंतोष है। उसकी ओर सरकार का ध्यान नहीं है। धरातल पर कार्य उनको ही करना है और जब वे खुद ही परेशान होंगे तो दूसरे की परेशानियों का निवारण कैसे करेंगे?

सरकार को अगर वास्तव में जनता की भलाई के लिए कार्य करना है और जनता का विश्वास जीतना है तो उसे वास्तविक धरातल की कठिनाइयों को समझ उन्हें दूर करना होगा। अधिकारियों पर नकेल कसनी होगी, अपने कार्यकर्ताओं को अपने गीत गाने के लिए प्रेरित करने की बजाय जनता की परेशानियों को उन तक पहुंचाने के निर्देश देने होंगे और यह देखना होगा कि उनकी योजनाएं जनता तक पहुंच भी रही हैं या नहीं।

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