बंगाल में मुख्य सचिव को समय से पहले रिटायर कर ममता ने अपना मुख्य सलाहकार बनाकर वो तमाचा मारा जिसे भाजपा लंबे समय तक याद रहेगी। 
मुख्य सचिव को आपकी मीटिंग में आने में देर हो गई तो दिल्ली क्यों तलब  कर लिया?
अफसरों की जवाबदेही खत्म होती जा रही है, जरूरी है कि जवाबदेही तय हो।
इस प्रकरण से कुछ मानवीय पहलू भी जुड़े हुए हैं।

अशोक कुमार कौशिक

 हमने पहले ही कहा था कि एक वक्त ऐसा आएगा कि केंद्र में मोदी की सरकार रहेगी और राज्य पानी भर देंगे। बंगाल में मुख्य सचिव आलापन बनर्जी को समय से पहले रिटायर कर ममता दी द्वारा अपना मुख्य सलाहकार बनाया जाना वो तमाचा है जिसे भाजपा लंबे समय तक याद रहेगी। हमे साफ नजर आ रहा है अन्य गैर भाजपा शासित राज्य भी जल्द ही पानी भरेंगे। 

अलापन जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी देश मे कम है।  ममता ने ठीक कहा है कि जिस अधिकारी ने अपना पूरा कार्यकाल सरकार की सेवा में लगाया है उसे अपमानित कर प्रधानमंत्री क्या संदेश देना चाहते हैं। क्या ये अधिकारी बंधुआ मजदूर हैं?

 केंद्र सरकार को और मोदी को भी अपने सम्मान को बचा कर रखना चाहिए था। अरे भाई, मुख्य सचिव को आपकी मीटिंग में आने में देर हो गई तो दिल्ली क्यों तलब  कर लिया?

मोदी सरकार नौकरशाहों को लेकर क्या सोचती है इसका अंदाजा पीएम के संसद में बजट  सत्र में दिए गए भाषण से लगाया जा सकता है जिसमे उन्होंने कहा था कि ‘सांसद अफसर के लिए पीएम से कम नहीं, पर अफसरों की जवाबदेही खत्म होती जा रही है। जरूरी है कि जवाबदेही तय हो। इसके लिए सामूहिक प्रयास करना होगा। मोदी ने यह भी कहा था कि अरबों रुपए तनख्वाह जा रही है। भारत जैसे लोकतंत्र में हम नागरिकों को अफसरशाही के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं।’ 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और देश के प्रधानमंत्री के बीच राजनैतिक कारणों से टकराव या आपसी मतभेद की बात समझी जा सकती है। लेकिन समझ में नही आया कि केंद्र ने बंगाल के मुख्य सचिव आलापन बनर्जी पर क्यों गाज गिराई? उनका क्या कसूर था? वैसे भी उनकी सेवा के महज़ तीन महीने बचे हैं और वह भी छह-सात दिनों पहले ही केद्र ने उनके तीन माह के सेवा विस्तार का प्रस्ताव मंजूर किया था । चलिये, ये सब तो प्रशासकीय और तकनीकी मसले हैं। लेकिन इस प्रकरण से कुछ मानवीय पहलू भी जुड़े हुए हैं। इसी महीने मुख्य सचिव आलापन बनर्जी के छोटे भाई  अनजान  बनर्जी का कोविड-19 के संक्रमण के चलते दुखद निधन हुआ है। अनजान एक जाने-माने बांग्ला पत्रकार और टीवी एंकर थे। वह कुछ समय दिल्ली मे भी रहे। मुख्य सचिव का पूरा परिवार इस वक़्त शोक-संतप्त है।

यही नहीं, ममता बनर्जी के छोटे भाई असीम बनर्जी का भी इसी महीने निधन हो गया। पिछले महीने वह कोविड-19 से संक्रमित हुए थे । एक निजी अस्पताल में भर्ती थे । ममता बनर्जी और उनके परिवार के लिए भी बड़ा शोक है।

हमे लगता है, महामारी और ऊपर से तूफान की मार झेलते बंगाल में ऐसे राजनीतिक टकराव की इस वक्त  बिल्कुल जरुरत नहीं थी। इसके उलट पूरे सूबे के प्रति सदाशयता और राज्य की दोनों बड़ी शख्सियतो के प्रति इस वक़्त तनिक सहानुभूति की अपेक्षा थी। 

केंद्र के मौजूदा राजनीतिक संचालकों को इस बारे में जरूर सोचना चाहिए। हर समय टकराव ठीक नहीं । चुनाव बीत गया, अब शासन-प्रशासन के मामलें में केंद्र और राज्य के बीच अच्छा समन्वय होना चाहिए न कि झगड़ा-रगड़ा।

मुझसे जब भी कोई पूछता है कि बहुमत से चुनी इस दादागिरी वाली सरकार को कैसे घेरा जाए तो मेरा जवाब यही होता है राज्यों में अपनी सरकारों से और आक्रामक रवैए से। भाजपा विरोधी पार्टियां जितनी अधिक संख्या में राज्यों में अपनी सरकारें बना लेंगी इन पर दबाव बनाए रखना आसान होगा।

इसी के फलस्वरूप चाहे लोकतंत्र के गले घुट जाएं, साम दाम दण्ड भेद सभी का इस्तेमाल करते आपने इन्हे राज्यों को हथियाते देखा ही होगा। ताज़ा उदाहरण मध्यप्रदेश है । कांग्रेस मुक्त भारत और राहुल गांधी की छवि बिगाड़ने इसके बेहतरीन उदाहरण हैं।

खैर जिस प्रकार वर्तमान घटनाक्रम में मोदी और दीदी में खींचतान मची हुई है, उसमें दीदी ने धोबी पछाड़ लगा दिया है । मोदी सरकार ने रिएक्शन देने में जल्दबाजी कर दी और जिस तरह मुख्य सचिव आलापन बनर्जी को तलब किया, वो दाव उन्हें उल्टा पड़ गया। साहेब आप राजनीति के कितनो ही बड़े तीरंदाज होंगे पर सामने भी ममता  हैं। 

केंद्र के तलबनामे के जवाब ममता ने ऐसा रसीद किया है कि निशान लंबे समय तक छपे रहने के आसार हैं।बंगाल में मुख्य सचिव बनर्जी को समय से पहले रिटायरमेंट देकर और अपना मुख्य सलाहकार घोषित कर यह साबित किया है कि राजनीतिक एवं बौद्धिक स्तर पर वे कहां बैठी हैं।

मोदी सरकार नौकरशाही पर क्या सोचती है यह मोदी जी का सांसद में बजट सत्र वाला भाषण और आलापन को तलब करना बता ही रहा है. यह देश के लिए गंभीर मसला है. मुझे तो फ़िक्र मोदी जी की छवि की भी है, आखिर वे हमारे प्रधान हैं।

अरे भाई मोदी जी लाखों नागरिक आपके भरोसे अपनी जान गंवा बैठे, मजाक न किया करिये। राज्यों की खुदमुख्तारी और अफसरों का सम्मान करिये।

उन्हें खुद की ना सही पद की तो लज्जा रखनी चाहिए और ऐसी छोटी करतूतों से दूर रहना चाहिए, मुख्य सचिव आलापन बनर्जी जैसे कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी को अपमानित करने के प्रयास में खुद ही अपमानित भी हो गए और धराशाई भी, दीदी ने घुमैके जो दिया है।

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