-कोर्ट ने सरकार से कहा, कोरोना संक्रमितों के परिजनों को मरीजों की स्थिति की जानकारी क्यों न दी जाए

गुरुग्राम। कोरोना के मरीजों की रोजाना की स्थिति के बारे में जानकारी परिजनों को देने की मानव आवाज गुरुग्राम की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार से कहा है कि क्यों न ऐसी व्यवस्था की जाए।

गुरुग्राम की संस्था मानव आवाज की याचिका में कहा गया था कि कोरोना संक्रमितों के स्वास्थ्य के बारे में परिजनों को अस्पतालों की ओर से सही और समय-समय पर जानकारी दी जानी चाहिए। अस्पतालों में भर्ती कोरोना के मरीजों के याचिकाकर्ता मानव आवाज ट्रस्ट ने अपने ट्रस्टी अभय जैन के माध्यम से विभिन्न सार्वजनिक और निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के उचित उपचार के अधिकार की सुरक्षा की मांग की थी। याचिका में कहा गया है कि रोगी के तत्काल परिवार के सदस्यों या परिचारकों को उनके भर्ती रोगी की स्थिति के बारे में दैनिक आधार पर जानकारी दी जानी चाहिए। मानव आवाज की ओर से एडवोकेट ऋषभ जैन ने अदालत में कहा कि अभी तक ऐसे कोई आदेश, निर्देश नहीं है कि कोरोना के मरीजों की स्थिति रोजाना उनके परिजनों को बताई जाए। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का घोर उल्लंघन है। पहले से परेशान मरीजों के परिजन भटकते रहते हैं।  

याचिका में आगे कहा गया है कि वर्तमान में कोरोना संकट में बड़ी संख्या में रोगी/ परिचारकों के रिश्तेदार अस्पतालों के बाहर इंतजार करते देखे जाते हैं। हालांकि उन्हें रोगी से मिलने पर रोक है। अगर उन्हें अपने रोगी की सही जानकारी रोज दी जाए तो उनकी तनाव भी दूर होगा। सरकारी और निजी दोनों अस्पतालों में किसी विशिष्ट नीति या दिशा-निर्देशों के अभाव के कारण रोगी को भर्ती करने के बाद भी तिमारदार भय के साये में रहते हैं। इसलिए उन्हें मरीज का ऑक्सीजन लेवल, उसे दी जा रही दवाइयां, खान-पान, किस-किस डॉक्टर ने मरीज को देखा है। ये सभी जानकारियों परिजनों को वाट्सअप, एसएमएस, ईमेल आदि के माध्यम से दी जाए।

याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि कई अस्पताल मरीज की मृत्यु के बाद ही परिवार को सूचित करते हैं। सरकार और अस्पताल यह व्यवस्था करे कि अब रोजाना मरीजों के परिजनों को उनकी स्थिति के बारे में अवगत कराया जाए।

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