कोर्ट से हारा हुआ पुलिस विभाग, डंडे के जोर पर पहुंचा कब्जा लेने।

-बिना किसी नोटिस के कहा 5 मिनट में कागज ले आओ, नहीं तो  तोड़फोड़ कर हमारी तारबाड़ कर देंगे।
–नगर परिषद के ईओ अभय सिंह भी दलबल के साथ मौके से मौजूद।
— कागज दिखाने पर सभी अधिकारी बगलें झांकते हुए निकल लिए

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। पुरानी कचहरी में बनी पानी की टँकी के पास की जमीन को अपनी बताते हुए आज पुलिस विभाग, उप पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में भारी पुलिसबल के साथ कब्जा लेने पहुंचा। वहाँ मौजूद प्लाट नम्बर एमईपी 1861 के मालिक जितेंद्र सैनी ने बताया कि उसने उक्त प्लाट कस्टोडियन से बोली पर लिया था तथा उसी समय से वह उस प्लाट का मालिक काबिज है, उसे न्यायालय ने भी मालिक काबिज माना है। इसके अतिरिक्त प्लाट नम्बर 1858 का उसका पिता किशोरी लाल सैनी मालिक व काबिज है। तथा पिछले वे पिछले कई वर्षों से नगर परिषद में गृहकर भी जमा करवाते हैं। प्लाट नम्बर 1858 की जमीन को पुलिस विभाग अपनी जमीन बताता था, लेकिन जिला जज, नारनौल के न्यायालय से फैसला उक्त किशोरी लाल सैनी के पक्ष में हुआ, जिसके बाद बाकायदा न्यायालय में इजरा दायर करके, उन्होंने कोर्ट से कब्जा कार्रवाई करके, कब्जा लिया हुआ है व उसका पिता किशोरीलाल उक्त प्लाट का मालिक काबिज है तथा उस प्लाट में रिहाइश भी की हुई है। पुलिस विभाग उस निर्णय के विरुद्ध उच्च न्यायालय में गया हुआ है। 

आज दिनांक 27 मई को दोपहर में उप पुलिस अधीक्षक नरेंद्र सिंह के नेतृत्व में, बहुत से पुलिस वाले उपायुक्त द्वारा नियुक्त ड्यूटी मजिस्ट्रेट रमेश शर्मा के साथ उस जगह पहुंचे, तथा वहाँ मौजूद जितेंद्र सैनी को कहा कि या तो 5 मिनट में कागज दिखा दो, नहीं तो यहाँ सब कुछ तोड़फोड़ देंगे, क्योंकि हमें इसकी तारबाड़ करनी है। उन्होंने ड्यूटी मजिस्ट्रेट को बताया कि वो न्यायालय से जीते हुए हैं तथा उक्त प्लाटों के मालिक काबिज हैं। उन्होंने बताया कि ड्यूटी मजिस्ट्रेट किसी गिरदावर की पैमाइश की बात कह रहे थे, लेकिन उनकी मौजूदगी में किसी भी गिरदावर ने कोई पैमाइश नहीं कि। पता नहीं किस पैमाइश का बहाना करके पुलिस विभाग उनके प्लाटों पर कब्जा करने आया। उनका यह भी कहना था कि जो पुलिस विभाग, मुकदमें में एक पक्ष है, वो स्वयं भारी पुलिस बल के साथ व नगर परिषद के ईओ को लेकर, उनके परिसर को बिना किसी नोटिस के तौड़ने पहुंच गया। उनका कहना था कि इस तरह की कब्जा कार्रवाई प्रशासन का काम नहीं है। 

अब प्रश्न अधिकारियों की कार्यशैली पर उठता है कि क्या पुलिस अधीक्षक व उपायुक्त के यह संज्ञान में नहीं है कि पुलिस विभाग इस जमीन का मुकदमा हारा हुआ है व किशोरी लाल सैनी न्यायालय के आदेश पर मालिक काबिज हैं। 

पुलिस महकमे के आला अधिकारी व नगर परिषद के ईओ को बिना तैयारी के, पहुंचे थे, जिनके पास कोई जबाब नहीं था, इसलिए कुछ देर में वह बगलें झांकते हुए, वापस चले गए। किन्तु उस समय मौजूद लोग यह भी चर्चा कर रहे थे कि इस कोरोना महामारी के समय में जहाँ प्रशासन को जनहितार्थ कार्य करने चाहिए, उसकी बजाय इस तरह कब्जा लेने में दिलचस्पी दिखा रहा है।

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