जहाँ कोरोना से ठीक हुए मरीजों में होने वाले चिन्ताजनक दुष्परिणामों की बात आती है, वहां म्यूकोरमाइकोसिस अर्थात “ब्लैक फंगस” और “व्हाइट फंगस” की तो चर्चा होती ही है। इनके अतिरिक्त एक और गम्भीर दुष्परिणाम के बच्चों में होने का खतरा है जिसका नाम है – “मल्टीसिस्टम इन्फलामेट्री सिन्ड्रोम” जिसके बारे में जानकरी होना अत्यंत आवश्यक है। यह कहना है गुरूग्राम की “होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी” डॉ. नितिका शर्मा का। इस बीमारी के होने की सम्भावना कोरोना से ठीक हुए 3 से 12 वर्ष के बच्चों में सबसे अधिक होती है। कोरोना से ठीक होने के 4 से 6 सप्ताह के बाद इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। यह बीमारी हृदय, फेफड़े, किडनी,चमङी, दिमाग, आँखों, पाचन तंत्र तथा रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती है। इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं बुखार, उल्टी, दस्त, पेट दर्द, चमङी पर दाने, तेजी से सांस लेना, दिल की धड़कन का तेज होना, आँखों का लाल होना, होंठ जीभ हाथ या पैरों पर सूजन या लालिमा, सरदर्द तथा शरीर में कमजोरी।इनमें से कुछ लक्षण जो खतरे का आभास कराते हैं वो हैं- पेट मे बहुत तेज दर्दसांस लेने में तकलीफचमङी, होंठ या नाखून का नीला या पीलापनकन्फ्यूजनपूर्ण रूप से होश में न रह पाना । उपरोक्त किसी भी लक्षण के नजर आने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह तथा उपचार लें। डॉक्टर नितिका शर्मा के अनुसार इस बीमारी का समय पर इलाज जितना महत्वपूर्ण है , उतना ही जरूरी है इसका बचाव। डॉक्टर नितिका शर्मा के अनुसार होम्योपैथिक मेडिसिन इस तरह के सिन्ड्रोम की रोकथाम तथा इलाज में काफी हद तक असरदार हो सकती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख होम्योपैथिक मेडिसिन हैं आर्सेनिक एल्बम-30, मर्कसोल, चेलिडोनियम मैजस क्यू , सल्फर, मैगफोस, पल्सेटीला, थूजा, फोस्फोरस, सिलिसिया एवं अन्य कन्सटीट्यूशनल होम्योपैथिक मेडिसिन जो चिकित्सक की सलाह उपरांत ही लें।कोरोना से ठीक होने के बाद भी किसी प्रकार की कोई लापरवाही ना करें। पूर्ण रूप से सावधानी बरतें। बच्चों को अधिक मसालेदार, खट्टा एवं तला हुआ भोजन ना दें। कम से कम दवाईयों का प्रयोग करें। डॉ. नितिका शर्मा का यह भी कहना है कि होम्योपैथिक मेडिसिन का कोई भी साइड-इफैक्ट नहीं होता है तथा किसी भी होम्योपैथिक मेडिसिन का सेवन पंजीकृत होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह उपरांत ही करें। Post navigation रक्तदान के क्षेत्र में आगे आने का अनुरोध – यश गर्ग कोविड-19 अपडेट…… 200 के आसपास अटका आंकड़ा, आठ की गई जान