गुरुग्राम- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहप्रान्त प्रचारक डॉ सुरेंद्र पाल का मानना है कि 21वी सदी में ही भारत विश्व का नेता होगा। बहुत तेजी से विश्व पटल पर बदलते परिवेश में दुनियां भारत की  ओर निहार रही है। ऐसे समय में देश व समाज के प्रति युवाओं का दायित्व अधिक बढ़ जाता है। वे आरएसएस गुरुग्राम महानगर इकाई द्वारा ऑनलाइन आयोजित राष्ट्र आराधन व्यख्यान श्रृंखला के दूसरे दिन मुख्यवक्ता के रूप में बोल रहे थे।

डॉ सुरेंद्र पाल ने युवाओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत दुनियां का   प्राचीन व जीवित राष्ट्र है। भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जो कालांतर में विश्व गुरु रहा है। उनके अनुसार विश्व की सात्विक संस्कृति यहीं जन्मी, पनपी व पल्वित हुई। ऋषि मुनियों के देश भारत ने ही दुनियां को ज्ञान दिया। सब सुखी रहें, निरोगी रहें यह परिकल्पना अपने शास्त्र अथर्वेद में भारत सदियों पहले ही कर चुका है। क्योंकि भारत की मान्यता है कि  हमारे लिए मातृभूमि केवल जमीन का टुकड़ा नहीं बल्कि मां बेटे का सम्बंध है। विश्व बन्धुत्व का पाठ भी भारत ने ही दुनियां को पढ़ाया है। भारत ही सकल विश्व के कल्याण की कामना करता है। कोरोना काल में भारत की वैक्सीन का दुनियां में स्वागत हो रहा है। 177 से अधिक देश भारत की योग परम्परा को अपना रहें है। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि देश परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। जो विश्वगुरु की ओर जा रहा है। ऐसे समय में युवा शक्ति की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। भारत को युवाओं का देश माना जाता है। देश मेरा-मैं देश के लिए, इस भावना से कार्य करना होगा। डॉ पाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि कोरोना काल ने निराशा का भाव जागृत किया है। युवा अपनी शक्ति का जागरण करते हुए देश आराधन का कार्य करें। अपनत्व भाव से लोगों की सेवा करें। विनय शीलता, अंहकार रहित, दृढ़ इच्छा शक्ति व सकारात्मकता के भाव से अनुशासन के साथ राष्ट्रहित में कार्य करेंगे तो गुणात्मक सार्थक परिणाम आएंगे।

इससे पूर्व स्वामी मित्रानंद जी महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि यह समय किसी पर दोषारोपण व उंगली उठाने का नहीं है। बल्कि सम्पूर्ण समाज की एकता के साथ कार्य करने की आवश्यकता है। इस महामारी ने अनेक लोगों को असमय काल का ग्रास बनाया है, इसका दुःख है, तो भी इसकी नकारात्मकता को छोड़कर यह विचारें की कितने लोग ठीक होकर अपने घर आए हैं। यह समय उन फ्रंट लाइन वॉरियर्स को प्रणाम करने का जिनकी कड़ी कर्म साधना से लाखों लोगों का जीवन सुरक्षित हुआ है। उन्होंने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ नापाक शक्तियां इस वायरस को भारत का वायरस घोषित करने में लगी है। जबकि यह वैश्विक महामारी चाइना की देन है। स्वामी जी ने इस समय एकता के साथ कार्य करने पर बल  दिया। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा जुलाई -अगस्त तक इस महामारी पर काबू पा लिया जाएगा।

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