भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। रविवार को हिसार में मुख्यमंत्री का किसानों द्वारा जो विरोध हुआ और किसानों पर लाठीचार्ज हुआ, उसकी गूंज सारे हरियाणा में बहुत तेज उठी और शायद उसी का परिणाम है कि मुख्यमंत्री को गृहमंत्री अमित शाह ने आज तलब कर लिया।

मुख्यमंत्री का कहना है कि यह मुलाकात बहुत समय से नहीं मिले थे, इसलिए हो गई। हमें यह हक तो नहीं कि मुख्यमंत्री की बात को गलत कहें लेकिन परिस्थितियां कह रही हैं कि जिस प्रकार कोविड हरियाणा में पांव पसार रहा है और उसी दौरान किसान आंदोलन को उग्र करने का कारण बन गए मनोहर लाल खट्टर। शायद इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्यमंत्री को तलब किया। वरना जिस प्रकार से मुख्यमंत्री कार्यक्रम कर रहे हैं, उसमें वैसे ही मिलने तो कोई जाता नहीं।

मुख्यमंत्री ने बैठक के पश्चात प्रेसवार्ता में कहा कि किसान आंदोलन और कोविड के बारे में चर्चा हुई और भावी रणनीतियों पर भी चर्चा हुई। कल के किसान विरोध के बारे में भी उन्होंने विशेष रूप से कहा कि कोविड के नियंत्रण के कार्य में बाधा नहीं डालनी चाहिए।

याद आती हैं पंक्तियां— मुलाकात हुई, क्या बात हुई, ये बात किसी से मत कहना।

जब से कोविड ने पांव पसारे हैं, तब से मुख्यमंत्री के सारे हरियाणा में दौरे जारी हैं और वह इसे अपनी उपलब्धि बताने में भी गर्व महसूस करते हैं कि उन्होंने 8 दिनों में 17 जिलों का दौरा किया। सवाल तब भी उठे थे कि क्या आवश्यकता थी दौरे करने की? साइबर युग में यह सब काम कार्यालय में बैठकर हो सकते थे और इसके साथ अन्य चीजों पर भी नजर रखी जा सकती थी। विपक्षियों द्वारा यह भी कहा गया कि वह जहां जाते हैं, कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन होता है लेकिन वह मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने उन सब बातों को नकार दिया यह कहकर कि यह विपक्षियों का प्रलाप है।किसान आंदोलन के कारण सरकार का बहुत विरोध हो रहा है। उनके मंत्री कहीं मीटिंग करने जाते हैं तो छुप-छुपकर जाना पड़ता है।

यह स्थिति मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, कृषि मंत्री व अन्य विधायकों के साथ बन चुकी है। सर्वविदित है कि हरियाणा के अनेक क्षेत्रों में भाजपा-जजपा के नेताओं का बहिष्कार कर रखा है। ऐसी स्थिति में पिछले दिनों में मुख्यमंत्री न जाने किस रणनीति के तहत स्थाई कोविड सेंटरों का उद्घाटन करते घूम कर रहे हैं। कई स्थानों पर उनका विरोध भी हुआ लेकिन रविवार को विरोध उग्र रूप ले गया, जिससे मंद होता किसान आंदोलन फिर उग्र हो गया। इसका असर हरियाणा ही नहीं पूरे देश तक गया और शायद उसी कारण गृहमंत्री ने मुख्यमंत्री को बुलाया।

बंगाल चुनाव के पश्चात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की चुप्पी का जिक्र अखबारों, जनता में हो रहा है। शायद प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की यह सोची-समझी रणनीति है कि जब समाज में हमारा विरोध हो तो सामने न आकर पीछे रहकर विरोध को अपने कार्यों से कम किया जाए और इधर हमारे मुख्यमंत्री इस विरोध के समय अधिक मुखर होकर अधिक भ्रमण कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की नजर में शायद यही अपने विरोध को कम करने का तरीका हो। मुख्य बात यही है कि चर्चा  का विषय यह भी हो सकता है कि गृहमंत्री मुख्यमंत्री से पूछ रहे हों कि जब माहौल खराब है तो आप इसे और अधिक खराब क्या कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चर्चा कोविड-19 और किसान आंदोलन के बारे में हुई। अब प्रश्न उठता है कि कोविड-19 स्वास्थ विभाग का मामला है और कानून व्यवस्था भी गृह विभाग का मामला है और स्वास्थ विभाग और गृह विभाग दोनों के मंत्री अनिल विज उर्फ गब्बर हैं और पिछले दिनों से अस्पतालों का उद्घाटन भी मुख्यमंत्री कर रहे हैं और कानून व्यवस्था के बारे में भी मुख्यमंत्री ही फैसला ले रहे हैं। उनकी कार्यशैली से ऐसा लगता है कि जैसे अनिल विज उनके सहायक की भूमिका निभा रहे हैं।

अब करें मुख्यमंत्री के अस्पतालों का दौरा करने की बात तो जहां भी मुख्यमंत्री जाते हैं उस जगह का सारा प्रशासनिक अमला और यदि अस्पताल जाते हैं तो सारा स्वास्थ विभाग उनकी आवभगत में लग जाता है या यूं कहें कि प्रोटोकॉल के अनुसार अपने कर्तव्य का निर्वाह करते हैं। जिस कारण अस्पतालों में मरीजों को भी परेशानी होती है, क्योंकि डॉक्टर मुख्यमंत्री की आवभगत में लगे होते हैं। ऐसा ही मामला जींद अस्पताल से मीडिया में भी आया था जहां मरीजों ने कहा था कि मुख्यमंत्री के आने से यहां की व्यवस्थाएं चरमराई गई थीं। तो यही स्थिति अन्य स्थानों पर भी कमोवेश होती ही है और यह बात मुख्यमंत्री न समझते हों ये शायद कोई भी नहीं मानेगा।

विपक्ष की ओर से लगातार सवाल उठ रहे हैं कि मुख्यमंत्री दूसरे के करे हुए कार्यों का श्रेय स्वयं ले रहे हैं। ये जो अस्थाई अस्पताल बन रहे हैं, उनमें कॉरपोरेट और स्वयंसेवी संस्थाओं का बड़ा हिस्सा है। एक नेता ने हरियाणा की प्रचलित कहावत कह दी कि मांगा बैल बहू का दे, हेत भलाई सुसरा ले। उसका कहना था कि कुछ ऐसा ही हो रहा है। काम समाज कर रहा है और उसका श्रेय लेने के लिए मुख्यमंत्री उद्घाटन करने पहुंच जाते हैं। यह भी नहीं देखते कि वह अस्पताल संपूर्ण रूप से तैयार भी है या नहीं। अब इन्हीं बातों को गृहमंत्री अमित शाह ने समझा होगा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल को बुलाया होगा।