माननीय मुख्य मंत्री जी,

प्रजातंत्र में सरकार लोगों द्वारा चयनित एक ऐसी संस्था है जो उनकी सुख-समर्द्धि, सुरक्षा तथा समाज में शांति व सौहार्द की व्यवस्था करती है। इस शासन पद्दति में सरकार के पास सर्वोच्च शक्ति ही नहीं होती बल्कि उसके ऊपर ज्म्मिेवारियाँ भी सबसे बड़ी होती हैं।

मुझे बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि आपकी सरकार उन जिम्मेवारियों का निर्वहन करने में पूर्णतया विफल साबित हुई है। फलस्वरूप जनता का विश्वास खो चुकी है। आपकी सरकार में संवेदना, संवाद और सरोकार की कमी है जिसकी कीमत हरियाणा की जनता चुका रही है।

मैं यह प्रतिपक्ष के नेता होने के नाते आपकी सरकार की कमियों को उजागर करने या दोषारोपण के लिए नहीं लिख रहा हूँ। आपकी सरकार की विफलताओं और उनके कारणों की सूचि बहुत लम्बी है, यह समय उनको गिनाने या भुनाने का नहीं है। मैं यह पत्र यह प्रदर्शित करने के लिए भी नहीं लिख रहा हूँ कि मैं लोगों के इस दुःख की घड़ी में आपसे ज़्यादा चिन्तित हूँ। मैं यह पत्र कोरोना महामारी के विरूद्ध संधर्ष में मेरे तथा मेरे दल के सभी साथियों के सम्पूर्ण सहयोग का आश्वासन देने के लिए लिख रहा हूँ। मैं यह पत्र हरियाणा के एक नागरिक होने के नाते भी लिख रहा हूँ जो अपने सह-निवासियों की पीड़ा से आहत है और इस संकट में सभी की सहभागिता व सहयोग चाहता है। मैं यह पत्र कुछ आधारभूत बातों पर, जो मैं कहने जा रहा हूँ, आपकी स्वीकार्यता और सहमति कि अपेक्षा के साथ लिख रहा हूँ।

सर्वप्रथम, सरकार पर्याप्त तथा उपयुक्त तैयारी न करने के अपराध-बोध और आलोचना के भय से ही मुक्त हो, प्रदेश में मौजूदा स्थिति की गम्भीरता और कठिनाइयों को साफ मन से स्वीकारना होगा। इस से सरकार का नैतिक बल बढ़ेगा और लोगों का मनोबल। यह किसी से छिपा हुआ नहीं है कि इस महामारी में पीड़ितों को आक्सिजन, दवाइयाँ, टीके, अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिले। यहाँ तक कि मरोनोपरांत शमशानों में भी जगह नहीं मिली। ऐसी दर्दनाक परिस्थितियों में भी आक्सिजन व आवश्यक दवाइयों की कालाबाजारी हो रही है। उपचार इतना महँगा है कि गरीबों की पहुँच से बाहर है।

आप यह तो स्वीकार करते हैं कि इस महामारी के संकट का राजनीतिकरण नहीं मानवीयकरण होना चाहिए। यदि आप ऐसा मानते हैं तो सरकार को वास्तविकता का खंड़न, तथ्यों को नकारना, आँकड़ों से छेड़छाड़ करना, महामारी से मरने व पीड़ितो की संख्या कम बताना, तैयारियों का भ्रम फैलाना तथा इस आशय के ब्यान और विज्ञापन आदि तुरंत बंद कर देने चाहिए। ऐसा करने से समस्या का हल नहीं होगा बल्कि इस से लड़ने की तैयारी पर कुप्रभाव पड़ता है। ऐसा करने से सरकार लोगों का नुकसान कर रही है. और उनकी जान को खतरे में डाल रही है। ऐसे में सरकार की साख भी नहीं रहती।

अतः सरकार यह आधारभूत सच भी स्वीकार करे कि कोरोना संक्रमण काल में पारदर्शिता, सत्यता और परानुभूति वायरस के परीक्षण व उपचार जितना ही महत्वपूर्ण है। इस से लोगों का साहस बढ़ेगा और सरकार में भरोसा भी पैदा होगा और जब लोग सुरक्षित, आशान्वित व अपनत्य अनुभव करेंगे तो अदभूत परिणाम सामने आएँगे। यह बात याद रखनी चाहिए कि आपने क्या कहा, लोग भूल जाएँगे। आपने क्या किया, ये भी लोग भूल जाएँगे लेकिन आपने लोगों को कैसा महसूस कराया, ये वो कभी नहीं भूलेंगे।

आप ये बात भी अवश्य मानेंगे यह बीमारी इतनी गम्भीर और व्यापक है कि इसके विरूद्ध लड़ाई को केवल सरकार और राजनेताओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता।

इस मानवता के अस्तित्व की लड़ाई में सभी को प्रतिभागिता के साथ विशेष प्रबंध और असाधारण प्रयास करने होंगे। इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है कि इस बीमारी का प्रबंधन, नियन्त्रण, परीक्षण, उपचार, संसाधन संवर्धन तथा तत्काल अस्थाई ढ़ाँचा खड़ा करने आदि की सभी ज़िम्मेवारियाँ एक 8-10 सदस्यीय करोना कमांडर्स की उच्चस्तरीय टास्क फोर्स को सौंप दी जाए जो पूरी एकाग्रता और निर्बाधता से इस कार्य का निरंतर निर्वहन व निष्पादन करें। सरकार इस टास्क फोर्स को सम्पूर्ण प्रशासनिक शक्तियाँ, संसाधन तथा अनावश्यक हस्तक्षेप सहित, पारदर्शी वातावरण प्रदान करें। इस टास्क फोर्स में अनुभवी डाक्टर, प्रख्यात स्वास्थ्य सेवा विशेषज्ञ, प्रबंघन प्रशासन, राजनैतिक प्रतिनिधि, न्यायधीश आदि शामिल हों जिनकी निष्ठा, क्षमता, निष्पक्षता और योग्यता प्रमाणिक हों। इस से प्रदेश के लोगों में नई आशा और विश्वास पैदा होगा और तभी उनका सहयोग भी प्राप्त होगा। जनसहयोग के बिना सरकार यह जंग नहीं जीत सकती। इस संक्रमण काल में सरकार, समाज, पंचायत और परिवार – सभी की साझेदारी जरूरी है। सरकार केवल टास्क फार्स की अनुसंसाओं के अनुपालन की निगरानी रखें।

इस प्रकार टास्क फोर्स को ज़िम्मेवारी सौंपकर सरकार दूसरे महत्वपूर्ण विषयों जैसे कानून व्यवस्था, शिक्षा, जनस्वास्थ्य आदि पर ज़्यादा ध्यान केंद्रित कर सकेगी। आप इस बात से भी सहमत होंगे कि प्रदेश सरकार का मुखिया होने के नाते सभी प्रदेशवासियों की प्रतिभागिता सुनिश्चित करने तथा उनका भरोसा जीतने की प्राथमिक ज़िम्मेदारी आपकी है। आप जानते ही हैं कि हरियाणा-दिल्ली की सीमाओं और प्रदेश के अन्य स्थानों पर हजारों किसान नए कृषि कानूनों के विरूद्ध पिछले 6 महीनों से सत्याग्रह कर रहे हैं। करोना महामारी के दूसरी लहर के ग्रामीण अंचलों में अनपेक्षित प्रसार, गहनता और विस्तार तथा वहां चिकित्सा सेवाओं के अभाव के मध्य-नजर किसानों की समस्या का समाधान शीघ्रतिशीघ्र होना अनिवार्य है। अन्यथा सरकार द्वारा इस महामारी के फैलाव को रोकने के लिए किए जाने वाली कोशिशें सफल नही होंगी। जिन अमानवीय परिस्थितियों में आंदोलनरत किसान वहां पर रह रहे हैं, उनसे कोविड-19 के प्रोटोकाल तथा लाकडाउन के अनुशासन की अनुपालना की अपेक्षा नहीं की जा सकती। उनके घर-परिवार खेत-खलिहान को संभालने के लिए गांव में आने जाने से संक्रमण के फैलाव की संभावना बढ़ती है। ग्रामीण अंचलों में उपचार सुविधाओं की कमी के बारे में आप जानते ही हैं कि स्वास्थ्य केंद्रो अस्पतालों में 1000 लोगों के बीच में सिर्फ आधा बिस्तर उपलब्ध है। आक्सीजन तो है ही नहीं। इन तथ्यों को स्वीकार न करना सरकार में संवेदना, समझ, सही सूचना, सरोकार तथा सदनियत के अभाव का संकेत देता है। अंतः जनता की जान बचाने के लिए किसानों से बातचीत करना अनिवार्यता बन गई है।
इसके लिए सकारात्मक व सारर्थक पहल करना आपका कत्र्तव्य है। इसमें हम आपके साथ है।

इस तथ्य को सरकार क्या अन्य सभी जानते हैं कि किसान वर्ग आपकी सरकार से नाराज़ और निराश ही नहीं, ना उम्मीद भी हो गया है। इसका कारण सरकार के कथन, कार्यकलाप और कार्यशैली है। लेकिन यह बात यदि आप स्पष्टता और सहृदयता में स्वीकार कर लेंगे तो परस्पर संदेह व वैमनस्य व दुराव कम होगा और बातचीत के दरवाजे खुलेंगे। अतः आपको जनता की जान बचाने के लिए राजनैतिक व नैतिक साहस दिखाना होगा और किसानों के प्रतिनिधि बन उनकी पैरवी करके यह गतिरोध खत्म कराना होगा। इसके लिए मैं पुनः दोहराता हूँ कि मेरा और मेरे दल के सभी साथियों का संपूर्ण सहयोग आपको मिलेगा।

उपरोक्त के अतिरिक्त मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि सरकार निम्नलिखित महत्वपूर्ण विषयों पर भी तुरंत कार्रवाई करें-

1 स्वास्थ्य ढ़ांचे के साथ-साथ राज्य में शिक्षा का ढ़ांचा भी चरमरा गया है। हम आने वाली पीढ़ियों के शैक्षिक, बौद्धिक मनो-वैज्ञानिक तथा चारित्रिक विकास की अनदेखी नहीं कर सकते। प्राइवेट संस्थाओं में हजारों शिक्षक बेरोजगार हो गए हैं। सरकारी विद्यालयों में आन लाइन शिक्षा प्रदान करने की संरचनात्मक व्यवस्था नहीं है। इस क्षेत्र के लिए भी शिक्षाविदों, शिक्षा प्रबंधको की विशेष समिति बनाने की आवश्यकता है, जो संक्रमण काल में बच्चों की शिक्षा का सुचारू प्रबंध करने के लिए काम करें।
2 सरकार कानून व्यवस्था पर भी अपना ध्यान केंद्रित करें। समाज में शांति व सुरक्षा सर्वागीण विकास के लिए अनिवार्य है। दवाइयों व आक्सीजन की कालाबाजारी तथा अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार को रोके।
3 वैज्ञानिकों द्वारा कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई जा रही है। जानकारों की इस चेतावनी की पहले की तरह अवहेलना न कर संपूर्ण तैयारी की जाए। पर्याप्त संसाधन जुटाने के कदम तुरंत उठाए जाएं।
4 एक रिपोर्ट के अनुसार 10 एशियाटिक शेर भी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। पशु पक्षियों में इस महामारी के फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। अतः मेरा सुझाव है कि हमारे प्रदेश में पशुधन को बचाने के लिए भी एहतियाती कदम उठाए जाएं।
5 समाज के गरीब, मजदूर व कमजोर वर्गों के लिए विशेष पैकेज तैयार कर लागू किया जाए। अस्थाई रोजगार स्जन कर उनकी आय सुनिश्चित की जाएं ताकि उन्हें भोजन व आवश्यक वस्तुओं की कठिनाई न हो।
6 ग्रामीण अर्थव्यव्था पर महामारी के कुप्रभाव का आकंलन करने के लिए एक विशेष समिति बनाकर उनको सभी प्रकार की राहत पहुचाएँ।
मुख्यमंत्री जी, असहमति या मतभेद का अर्थ टकराव या मन भेद नहीं होता। प्रजातंत्र में यह लाजमी है। लोकतंत्र में लोगों के सिरों को गिना जाता है, उन्हें फोड़ा नहीं जाता। आप स्वीकार करें कि हम सबको मिलकर इस महा संकट का दृढ़ता तथा सहजता से सामना करना है।
तूफाँ है तेज, कश्तियां भंवर में है,

सबको मिले किनारा, आओ मिलकर दुआ करें।

आप इस महामारी की सुनामी में प्रदेश के लोगों की जीवन नैया के नाविक है। आपकी इस भूमिका व आपके प्रयासों का लेखा-जोखा आने वाली पीढ़ियाँ करेंगी। मैं संकट की इस घड़ी में आपके सदप्रयत्नों की सफलता की कामना करता हूँ।
सादर,
आपका

         (भूपेंद्र सिंह हुड्डा)
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