-रेडक्रास सदस्यों को सेवा के लिए किया प्रेरित -दिल्ली एनसीआर में लोगों को जागरूक करने के साथ हर संभव सहायता भी कर रहे गुरुग्रामः 14 मई – पूरी दुनिया पर कहर बरपा रही कोरोना महामारी में सरकार के साथ सभी एनजीओ की अपनी अहम भूमिका है। इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी नेशनल हेड क्वार्टर दिल्ली में उप-सचिव मनीष चौधरी भी इस महामारी में एक योद्धा के रूप में काम करते हुए जनसेवा कर रहे हैं। उनकी सोच है कि महामारी से किसी की जान न जाए, बल्कि हर किसी को ठीक किया जाए। लोगों को अस्पतालों में भर्ती करवाना, घरों में हेल्थ वर्कर उपलब्ध करवाना, बीमारों को बेड दिलवाने और ऑक्सीजन का प्रबंध करवाने का काम मनीष चौधरी पूरी तन्मयता के साथ करते हैं। निरंतर जन सेवा में जुटे मनीष चौधरी का कहना है कि यह समय इंसानियत की निस्वार्थ सेवा करने का है। हम सबका इसमें सहयोग जरूरी है। हर तरह के भेदभाव मिटाकर हमारा फोकस सिर्फ और सिर्फ इंसानियत को बचाने पर रहना चाहिए। अपने संदेश में उन्होंने कहा कि हम सबको पूरे जोश और जज्बे के साथ खुद का बचाव करते हुए कोरोना महामारी में लोगों को बचाने का काम करना है। हम सब जानते हैं कि महामारी खतरनाक है, फिर भी सभी लोग अपने काम को फर्ज समझकर कर रहे हैं। यही हमारा उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि वे खुद भी जनसेवा को अपना फर्ज मानकर चल रहे हैं। इस समय में हमें ऐसा काम करना है, जो सदियों तक याद रखा जाए। मानवता को बचाने का यह समय है। कोरोना महामारी तो चली जाएगी, लेकिन हमारे द्वारा किए गए कार्य सदा याद किए जाएंगे । उन्होंने हर एक सदस्य का आह्वान किया कि इस महामारी में अधिक से अधिक लोगों तक सुविधाएं पहुंचाए। खाने-पीने के साथ दवाओं का प्रबंध करें।किसी भूखे के लिए खाना और बीमार के लिए दवाई का प्रबंध सबसे बड़ा पुण्य का कार्य है। इस कार्य को हमें पूरी ईमानदारी के साथ निर्वहन करना है। मनीष चौधरी ने कहा कि रेडक्रॉस के सभी सदस्य पूरी सक्रियता के साथ इस महामारी में सेवा कार्यों को अंजाम दें। उन्होंने खुशी जाहिर की कि गुरुग्राम रेडक्रॉस लगातार ना केवल लोगों को जागरूक कर रहा है, बल्कि अब लोगों के घरों तक ऑक्सीजन के सिलेंडर भी पहुंचाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर भी जागरूक करें कि मरीज को कितनी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है। Post navigation 7 साल से अधिक सजा वाले दोषियो को 31 अगस्त 2021 तक विशेष पैरोल पर रिहा किया जायेगा अहीरवाल में अब “राव राजा” के वह “ठाठ” कहां?