श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट ने पूर्व डीसी को लिखा था पत्र.
डीसी अमित खत्री ने पटौदी के एसडीएम को दिए थे स्पष्ट निर्देश.
बड़ा सवाल जेएमके अस्पताल कैसे बना दिया गया नीलकंठ अस्पताल

फतह सिंह उजाला

पटौदी । पटौदी क्षेत्र के सबसे बड़े गांव बोहड़ाकला के प्राचीन हनुमान मंदिर के पीछे बने जय महाकाल जेएमके अस्पताल बनाम नीलकंठ अस्पताल का मुद्दा दिन प्रतिदिन गर्म होता जा रहा है । लाख टके का सवाल यही है कि श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के द्वारा निर्मित और संचालित जेएमके अस्पताल को कथित नीलकंठ अस्पताल बोहड़ाकला के नाम से कैसे और किस प्रकार चल अचल अधिग्रहण अधिनियम के तहत बीते वर्ष मार्च में कोरोना आइसोलेशन सेंटर के लिए मंजूरी प्रदान कर दी गई ? इस पूरे मामले में बेहद चैंकाने वाली और सनसनीखेज जानकारी प्राप्त हुई है । चल अचल अधिग्रहण अधिनियम के तहत पूर्व डीसी अमित खत्री के द्वारा जिला गुरुग्राम में कुल 5 संस्थानों को अधिग्रहण अथवा अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए 14 मार्च को पत्र जारी किए गए । इस पत्र में जहां सभी मैटर टाइप है वही नीलकंठ अस्पताल का नाम हस्तलिखित है और यहां पर किसी भी प्रकार के इनिशियल अथवा किसी अधिकारी के अतिरिक्त हस्ताक्षर भी नहीं है । यह अपने आप में पेचीदा सवाल बना हुआ है ।

उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के लेटर हेड पर ट्रस्ट के सचिव विट्ठल गिरी के द्वारा बीते वर्ष 24 मार्च को पूर्व डीसी अमित खत्री को लिखित में श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट और ट्रस्ट के तहत संचालित जय महाकाल जेएमके अस्पताल के विषय में संपूर्ण जानकारी दी गई । मामले की गंभीरता को देखते हुए डीसी अमित खत्री के द्वारा पटौदी के एसडीएम को ट्रस्ट का संबंधित पत्र आवश्यक कार्यवाही के लिए प्रेषित कर दिया गया। कुछ माह पहले ही गुरुग्राम के डीसी रहे अमित खत्री विदेश में ट्रेनिंग के लिए जा चुके हैं और उनके स्थान पर डॉ यश गर्ग को गुरुग्राम के डीसी की जिम्मेदारी सौंपी गई है ।

श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट रजिस्टर्ड के द्वारा 29 अप्रैल 2020 को पूर्व डीसी एवं जिला प्रशासन को लिखित में जानकारी दी गई कि प्राचीन हनुमान मंदिर बोहड़ाकला के एड्रेस पर श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट रजिस्टर्ड है । यह ट्रस्ट वर्ष 2011 से समाज हित के विभिन्न कार्य कर रहा है। श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के अधीन तीन गौशाला, एक अस्पताल-जेएमके अस्पताल और तीन आश्रम कार्यशील हैं ।

ट्रस्ट के संस्थापक ,आजीवन अध्यक्ष महामंडलेश्वर ज्योति गिरी के अज्ञातवास में जाने के बाद ट्रस्ट का सारा कार्य ट्रस्टी एवं सचिव होने के नाते महंत विट्ठल गिरी के द्वारा निर्वाहन किया जा रहा है । डीसी अमित खत्री सहित जिला प्रशासन को लिखित में ही अवगत कराया गया कि कुछ लोगों ने समाज हित में अस्पताल चलाने की अनुमति ली, जोकि कोरोना संकट की वजह से कोरोना आइसोलेशन सेंटर बनाया गया। इस संदर्भ में ट्रस्ट के द्वारा कहा गया है कि डीसी अथवा जिला प्रशासन के द्वारा दी गई स्वीकृति का दुरुपयोग करते हुए जय महाकाल जेएमके अस्पताल का काफी कीमती सामान गायब किया जा चुका है। इतना ही नहीं लगभग 5 लाख 50 हजार का बिजली का बिल भी नहीं भरा गया है । इसके बाद में भी कथित नीलकंठ अस्पताल के संचालक अथवा दावेदारों के द्वारा अलाट करवा लिया गया । ट्रस्ट इस प्रकार की अनुचित और गैरकानूनी कार्यवाही को देखते हुए जय महाकाल जेएमके अस्पताल का संपूर्ण अधिकार अपने पास ही रखना चाहता है । ट्रस्ट यथासंभव सभी प्रकार के दायित्व निभाने में भी पूर्णता सक्षम है।

विदेश में ट्रेनिंग के लिए जा चुके पूर्व डीसी अपूर्व कुमार सिंह को सौपे गए ट्रस्ट के लेटर हेड पर स्पष्ट रूप से अनुरोध किया गया है कि जय महाकाल जेएमके अस्पताल जिसे की योजनाबद्ध तरीके से नीलकंठ अस्पताल का नाम देकर प्रचारित किया गया । कोरोना संकट के दौरान जय महाकाल जेएमक अस्पताल के करोना आईसोलेशन सेंटर में उपलब्ध करवाई गई सुविधाओं की एवज में जो भी रकम प्रशासन की तरफ बकाया है अथवा देय है , वह तमाम भुगतान जय महाकाल ट्रस्ट के खाते में ही किए जाएं । श्री महाकालेश्वर कल्याण ट्रस्ट के द्वारा सौंपे गए पत्र अथवा शिकायत को निवर्तमान डीसी अमित खत्री के द्वारा आवश्यक कार्रवाई के लिए पटौदी के एसडीएम को फॉरवर्ड कर दिया गया । अब सवाल यह है कि 1 वर्ष के दौरान पटौदी के एसडीएम कार्यालय के द्वारा डीसी के इस पत्र पर संज्ञान लेकर क्या कुछ कार्यवाही की जा सकी है ? अभी तक के बीते 1 वर्ष के हालात को देखें तो यह बात कहने में कतई भी गुरेज नहीं है कि डीसी विदेश में ट्रेनिंग पर है और डीसी अमित खत्री के द्वारा पटौदी के एसडीएम के नाम मार्क किया गया आवश्यक कार्यवाही के लिए दस्तावेज कथित रूप से ठंडे बस्ते में डाल कर आंखें ही बंद कर ली गई है । जब संपत्ति और भवन व्यक्ति विशेष के नाम और ट्रस्ट के द्वारा जनहित में उपयोग के लिए बनाई गई तो ऐसे में अस्पताल संचालक ट्रस्ट सहित जमीन अथवा प्रॉपर्टी के मालिक को विश्वास में ना लेकर आखिर किसके इशारे पर अथवा किस राजनीतिक दबाव में अंधेरे में ही रखा जा रहा हैै। 

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