राव के गिरते भाव, कुछ अपनी करनी, कुछ भाजपा कि देन

राव इंद्रजीत के लिए कठिन होगा आरती राव के लिए राजनैतिक प्लेट फार्म पर लाना I

पवन कुमार

I साल 2019 से केंद्रीय सरकार,राज्य सरकार,स्थानीय विधयाक और सांसद के परीक्षा का समय चल रहा है और यह भी सच है कि यह करोना काल आने वाली राजनीति तय करेगा I हम सबसे पहले अपने गुडगाँव लोकसभा कि बात करते है I यहां से अहीरवाल के शेर कहे जाने वाले राव इंद्रजीत यहां से सांसद है I वैसे तो राव इंद्रजीत साफ छवि के ईमानदार सांसद है, परंतु वह एक निष्क्रिय सांसद भी है, जिन्हे यहां कि जनता में कोई रूचि नहीं,जिसका उदहारण पिछले करोना काल में देखने को मिला I उन्होंने रेवाड़ी से ज्यादा दिलचस्पी गुडगाँव और मेवात में दिखाई और रेवाड़ी में वह खामोश ही रहे और इस बार भी ऐसा ही लग रहा है I उनका निष्क्रिय होना शायद अपनी पुत्री आरती राव को रेवाड़ी विधानसभा से भाजपा कि टिकट ना दिलवा पाना रहा,जिसका दर्द उनके दिल में अब भी है और उस समय वह अपना मन मार कर रह गये थे और भाजपा कि टिकट पर भाजपा में रायता फैला डाला I

आरती राव को टिकट ना मिलने कि स्थिति में सुनील मूसेपुर को भाजपा कि टिकट दिलवाने में तो राव साहब कामयाब हो गये पर उनके राजनैतिक विरोधी रणधीर कापड़ीवास ने सुनील मूसेपुर को चुनाव जितने नहीं दिया I अब करोना का दूसरा चरण चल रहा है I इससे यही अंदाजा लगाया जा सकता कि राव कि जनता के प्रति पकड़ कमजोर होती जा रही है, जो राव साहब के लिए अगले लोकसभा चुनाव में परेशानी का कारण बन सकती है I अगर सूरज भी राव साहब कि तरह पांच साल में एक बार निकले तो वह जनता को क्या रौशनी देगा I राव साहब को आरती राव को टिकट ना मिलने का गम तो है ही पर वह भाजपा में रहकर भाजपा से अलग चल रहे है, हो सकता कि अगले लोकसभा चुनाव से पहले ही अपने इन्साफ मंच को फिर से खड़ा कर दें I राव ना स्थानीय भाजपा में रूचि लेते है और ना ही प्रदेश भाजपा में,वह अपने सीधे तार मोदी-अमित शाह से जोड़े रखना चाहते है I लेकिन आने वाले समय में ऐसा लगता नहीं कि मोदी के नाम के सहारे किसी उम्मीदवार कि नईया पार लगेगी I

अगले लोक सभा चुनाव से पहले हो सकता राव इंद्रजीत भाजपा छोड़ दे, उसके कारण कई है I पहला कारण किसान बिल,दूसरा कारण भाजपा से बनावटी तालमेल,तीसरा कारण करोना और अगर भाजपा ने लोक सभा से पहले NRC, CAA लागू कर दिया तो मेवात, तावडू तो समझो राव के हाथ से खिसका I यही कारण है कि भाजपा कि टिकट से राव के 2024 के लोक सभा चुनाव हारने के आसार है I इसलिए हो सकता है कि राव साहब इंसाफ पार्टी का बिगुल 2024 से पहले ही बजा दे I

राव इंद्रजीत दोनों ही करोना काल में निष्क्रिय रहे है,जिस कारण जनता में उनके प्रीति नाराज़गी है,जो सोशल मीडिया पर नज़र आ जाती है, दूसरा उनके अनुयाई ही उनके लिए सरदर्द बन जाते है,जिन में पूर्व जिला प्रधान सतीश यादव है I रणधीर कापड़ीवास,सतीश खोला,डॉक्टर अरविंद, राव नरवीर पहले ही राव इंद्रजीत के लिए सरदर्द है I आज अहीरवाल के शेर कहे जाने वाले राव इंद्रजीत अंदुरनी और पार्टी स्तर पर अपने दुश्मनों से घिर चुके है जो राव साहब को चारों तरफ से घेरे हुए है, जो उनकी भविष्य कि राजनीति के लिए बहुत बड़ा संकट है और ऐसे ही समय में अपनी उत्तराधिकारी आरती राव का राजनैतिक प्लेटफॉर्म तैयार करना राव साहब के लिए मुश्किल और बहुत चुनौतीपूर्ण है I आने वाले समय में राव साहब को कई मोर्चो पर एक साथ लड़ना होगा I कोसली में भी विधयाक लक्ष्मण यादव ने मुख्यमंत्री के सहारे अपने विधानसभा में अपने को मजबूत किया है,जो उनकी राजनीति कि नीव को मजबूत करता है I कुछ भी हो भविष्य कि राजनीति पर अब राव साहब को जनता के बीच जाना पड़ेगा अन्यथा वह रामपुरा हाउस के अंतिम शेर साबित होंगे I

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