-कोरोना, रेडियो और संवाद पर होगा शुरुआती काम

गुरूग्राम , 27 अप्रैल। तिनका तिनका फाउंडेशन ने नई पहल करते हुए जेल संबंधी विषयों पर शोध के लिए एक विशिष्ट रिसर्च सेल की स्थापना की आज आधिकारिक घोषणा की है।  जेल सुधारक, शिक्षाविद और तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. वर्तिका नन्दा के मुताबिक शुरुआती दौर में यह प्रकोष्ठ प्रमुख तौर पर कोरोना के दौरान बंदियों की संचार की जरूरतों और उसके असर पर केंद्रित शोध करेगा।

 तिनका तिनका फाउंडेशन ने 2020 में हरियाणा की तीन जेलों ( जिला जेल पानीपत, जिला जेल फरीदाबाद और केंद्रीय जेल अंबाला) में रेडियो की संकल्पना करने के बाद बंदियों का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान दिया था, जिसके बाद इन जेलों में रेडियो की स्थापना हो चुकी है।  यह सेल जेल रेडियो से जुड़े सभी पहलुओं की बेहतर समझ विकसित करने में कारगर योगदान दे सकता है। इसके जरिए तिनका तिनका ने जेल पत्रकारिता को स्थापित करने की दुनिया की अपनी तरह की पहली कोशिश की है।

सेल का मकसद

तिनका प्रिजन रिसर्च सेल का मकसद बंदियों, जेल स्टाफ और शोधार्थियों को जेल से जुड़े शोध के लिए प्रोत्साहित करना, जेलों में संवाद की जरूरतों को पूरा करने में मदद करना, जेलों की उत्कृष्ट पद्धतियो को चिह्नित करना, जेल के साहित्य को सहेजना, जेल से जुड़े शोध कार्यों को प्रकाशित करवाना और जेल की लाइब्रेरी को समृद्ध करना है। तिनका तिनका फाउंडेशन वृहद जन कल्याण के लिए शोध से जुड़े चयनित कामों को संकलित और प्रसारित करेगा।

पहला शोध हरियाणा के जेल रेडियो पर आधारित  

तिनका प्रिजन रिसर्च सेल ने पहले शोध के लिए हरियाणा की 2 जेलों  से 4 बंदियों का चयन किया है। इनमें जिला जेल पानीपत के दो पुरुष बंदी और जिला जेल करनाल की दो महिला बंदी हैं। इनमें दोनों पुरूष बंदी विचाराधीन हैं जबकि दोनों महिलाएं आजीवन कारावास पर हैं। चारों बंदी रेडियो जॉकी की ट्रेनिंग हासिल कर चुके हैं और अभी जेल रेडियो से जुड़े हुए हैं। इन्हें जेल शोध की प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए मार्गदर्शन दिया जाएगा। शोध की शुरुआत में ये बंदी जेल में रेडियो के बंदियों पर पड़ने वाले प्रभावों की पड़ताल करेंगे। यह शोध हरियाणा जेल विभाग की अनुमति मिलने पर क्रियान्वित किया जाएगा।

हरियाणा जेल महानिदेशक ने किया स्वागत

वेबिनार के जरिए हुए एक विशेष कार्यक्रम में आज तिनका प्रिजन रिसर्च सेल का उद्घाटन करते हुए हरियाणा के जेल महानिदेशक श्री के. सेल्वराज ने कहा कि विदेशों में जेलों पर शोध की कुछ परंपरा रही है , भारत में जेलों में इस तरह का प्रयास प्रशासनिक गुणवत्ता और बंदियों के कल्याणार्थ महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। हरियाणा की तीन जेलों में रेडियो की स्थापना से जेल में बंदियो में सकारात्मक माहौल पैदा हुआ है और जेल में आने के बाद पैदा हुई निराशा और कुंठा में कमी आई है। डॉ. वर्तिका नन्दा ने बताया कि हरियाणा में करीब 50 बंदियों को जेल रेडियो की ट्रेनिंग दी गई है। इनमें से कोई भी शोधार्थी नहीं था। यही हमारी रिसर्च सेल की चुनौती भी है और विशिष्टता भी।

इस दौरान चुने गए चारों बंदियों ने रेडियो विस्तार से शोध को लेकर अपनी बात रखी। करनाल जेल की एक महिला बंदी ने खासतौर पर कहा कि अब उसकी अवसाद की समस्या पूरी तरह से दूर हो गई है। पानीपत जेल में अवसाद के हर महीने आने वाले करीब 10 मामले घट कर शून्य हो गए हैं।

जिला जेल करनाल और पानीपत के जेल अधीक्षक श्री अमित कुमार और श्री देवीदयाल और जिला देल करनाल की डिप्टी सुपरिटेंडेंट सुश्री सैलाक्षी भारद्वाज भी मौजूद रहीं।

वर्तिका नन्दा और तिनका तिनका फाउंडेशन

जेलों पर शोध को लेकर विशिष्ट सेल बनाए जाने की इस नायाब कोशिश को डॉ. वर्तिका नन्दा ने अंजाम दिया है। वे देश की स्थापित जेल सुधारक और जानी-मानी संस्था तिनका तिनका फाउंडेशन की संस्थापक हैं। मीडिया और साहित्य में अपने योगदान देश के सबसे बड़े नागरिक सम्मान स्त्री शक्ति पुरस्कार से भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुकी हैं।। तिनका तिनका का काम दो बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल हुआ है। वे 2018 में देश की 1382 जेलों की अमानवीय स्थिति के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई का हिस्सा बनीं।

तिनका तिनका तिहाड़, तिनका तिनका डासना और तिनका तिनका मध्य प्रदेश, जेलों पर उनकी चर्चित किताबें हैं। वर्ष -2019 में आगरा की जिला जेल और वर्ष 2020-2021 में हरियाणा की जेलों में रेडियो लाने में उनका प्रमुख योगदान है। वर्ष 2020 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लिए भारतीय जेलों में संचार की जरूरतों पर एक शोध पूरा किया। फिलहाल वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज के पत्रकारिता विभाग की प्रमुख हैं।

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