भिवानी।  हरियाणा के प्राइवेट स्कूल कोरोना महामारी के कारण एक साल से बंद थे। जिससे बच्चों की शिक्षा न के बराबर हो पायी थी। अब एक अप्रैल से बच्चों को विद्यालय में कोरोना से सम्बंधित गाइड लाइन की पलना करते हुए स्कूल में बुलाना शुरू किया था। लेकिन अचानक सरकार ने पहली से आठवीं तक के स्कूलों को कोरोना की वजह से 30 अप्रैल तक बंद कर दिया।

हरियाणा में किसी भी काम पर इतना प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां लाखों अध्यापक बेरोजग़ार हो गए है। स्कूल बसों की किश्ते , टैक्स व् स्टाफ का वेतन देने के लिए पैसे तक नहीं है। जैसे की हरियाणा सरकार ने प्रवासी मजदूरों की मदद की है व सरकारी कर्मचारियों तक का वेतन दिया है तो स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? एसोसिएशन इन स्कूलों को अल्टरनेटिव डे पद्धती के आधार पर खोलने की मांग को लेकर कल उपयुक्त को बसों की चाबियाँ सौंपेगा व अपने सभी अध्यापकों संग सांकेतिक धरना देगा।

प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष रमावतार शर्मा ने बताया कि कोरोना महामरी बच्चे की क्लास देख कर वार नहीं करती , अगर आठवीं तक के बच्चों को कोरोना हो सकता है तो नौवीं से बाहरवीं को भी हो सकता है। फिर बोर्ड द्वारा उनकी परीक्षाएं क्यों ली जा रहीं है, जहां एक सेंटर में 700 से 800 बच्चे बैठेंगे। क्या वहां कोरोना का खतरा नहीं है? जहां एक तरफ सरकार  स्कूल बंद कर रही है और दूसरी तरफ हरियाणा बोर्ड उन्ही बंद स्कूलों में परीक्षाएं ली जा रहीं हैं। इसलिए एसोसीएशन स्कूल खोले जाने की मांग को लेकर अडग़ है, नहीं तो आने वाली बोर्ड परीक्षाओं के सेंटर नहीं बनने देंगे।

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