बैसाखी का है रवि फसलों की कटाई व धार्मिक महत्व से

गुरुग्राम, 11 अप्रैल (अशोक): रवि की फसल की कटाई शुरु होने की सफलता के रुप में मनाया जाने वाला बैसाखी का पर्व 13 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस पर्व को किसान, मजदूर व अन्य समुदाय के लोग भी बड़े उत्साह के साथ मनाते रहे हैं। इस पर्व का धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। हालांकि कोरोना महामारी बैसाखी के पर्व को फीका करती दिखाई दे रही है। बैसाखी का अर्थ बैसाख मास की सक्रांति है।

यह बैसाख और सौर मास का प्रथम दिन होता है। हरिद्वार व ऋषिकेश की पवित्र नदियों में स्नान करे करने का विशेष महत्व होता है। यह पर्व हिंदूओ, बौद्ध व सिखों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। पंजाब का परंपरागत नृत्य भांगड़ा व गिद्धा भी किया जाता है। श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए एकत्रित होते हैं। दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान कराने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। गुरु के लंगर का आयोजन भी होता है। बैसाखी के दिन श्रद्धालु कार सेवा करते दिखाई देते हैं। गुरुद्वारों में गुरु गोविंद सिंह व पंच-प्यारों के सम्मान में शबद कीर्तन का आयोजन होता रहता है। बैसाखी के पर्व की शुरुआत पंजाब प्रदेश से हुई थी। बैसाखी गुरु अमरदास द्वारा चुने गए 3 हिंदू त्यौहारों में से एक है। जिन्हें सिख समुदाय द्वारा मनाया जाता है।

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