कांग्रेस के नेताओं के लड़ाई के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो मलिक ने ली चुटकी

गुरुग्राम।  गत 6 अप्रैल को भाजपा ने अपना 41 वां स्थापना दिवस मनाया जोकि मीडिया के बंधुओं ने अपने विवेक अनुसार वर्णित कियाl लेकिन आज जो गुरुग्राम में हुआ वह एक जीता जागता सबूत है कि भाजपा और अन्य दलों में क्या अलग है। बुधवार को गुरुग्राम में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार के दो पूर्व मंत्री आपस में सड़क पर ही लड़ बैठे और एक दूसरे को अपने राजनीतिक उपलब्धियां और इतिहास का ज्ञान देने लगे। इस पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि आपस में नेताओं की लड़ाई सड़कों तक आ जाती है।

उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के कंधे पर रखकर अपनी अपनी राजनीति चलाने वाले कांग्रेसी नेताओं ने आज गुरुग्राम ज़िला उपायुक्त को ज्ञापन देने के लिए एकत्रित होने का निर्णय करा। इस कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के नेता अपने समर्थकों के साथ इकट्ठे हुए , लेकिन जब ज्ञापन देने की बारी आई तो उससे पहले सड़क पर ही कांग्रेस के दोनों पूर्व मंत्री रहे सुखबीर कटारिया और कप्तान अजय यादव  के बीच में कहासुनी हुई जिसका वीडियो वायरल हो गया।

मलिक ने कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि जिस प्रकार से कांग्रेस के अंदर स्वर फुटबॉल का दौर चलता आया है। इतिहास में देखेंगे तो इंदिरा गांधी और के कामराज के बीच सरफुटवल हुआ और कांग्रेस का विभाजन हुआ।  इंदिरा गांधी को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया जिसके उपरांत इंदिरा गांधी ने अपना नया राजनीतिक दल कॉन्ग्रेस “आर” बन आई।

कांग्रेस “ओ” जिसको मुरार जी भाई और के कामराज चलाते थे, वह बाद में जनता पार्टी में विलय हो गई। इमरजेंसी के उपरांत इंदिरा गांधी ने इलेक्शन कमिशन से Indian National Congress  नाम दोबारा लिया। उसके बाद सुप्रसिद्ध सीताराम केसरी और सोनिया गांधी का विवाद भी आपको याद होगा किस तरीके से एक अध्यक्ष को पहले शौचालय में बंद करा जाता है और उसके बाद उसको कार्यालय से बाहर फेंक दिया जाता है।  इसी तरह आपको याद होगा कुछ समय पहले भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डॉक्टर अशोक तंवर के बीच में हरियाणा के अंदर जो चला वह पूरे हरियाणा ने देखा और किस तरीके से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का सर पे लठ पड़े थे, गया यह भी सब ने देखा सुना और पढ़ा। कुछ दो-चार दिन पहले किरण चौधरी जी के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ सड़क पर ही  कुछ कांग्रेसी उनका विरोध करने लग गए।

 आज गुरुग्राम के अंदर अगर कैप्टन अजय यादव और सुखबीर कटारिया दोनों आपस में सड़क पर ही बहस करने लग जाएं और एक दूसरे को अपने राजनीतिक वर्चस्व और इतिहास का ज्ञान देना और आकलन करवाना शुरू करें तो सामने दिखता है कि इनकी राजनीतिक और सामाजिक मनोवृति क्या है।

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