गुरुग्राम, 6 अप्रैल (अशोक): देश के महान स्वतन्त्रता सेनानी महाराजा नाहर सिंह की जयंती का आयोजन विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया गया। जहां उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई, वहीं वक्ताओं ने महाराज नाहर सिंह से जुड़े संस्मरण भी लोगों को सुनाए और आग्रह किया कि महाराजा नाहर सिंह द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलें, ताकि देश व समाज का भला हो सके। भ्रष्टाचार उन्मूलन में जुटी सामाजिक संस्था क्राईम रिफार्मर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा. संदीप कटारिया ने महाराजा नाहर सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित कर नमन किया।

उन्होंने कहा कि वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी राजा नाहर सिंह का जन्म 6 अप्रैल 1821 को बल्लभगढ़ रियासत मे हुआ था। 18 वर्ष की अवस्था में पिता के देहावसान के बाद उन्होंने 210 गांव की बड़ी रियासत को बखूबी संभालते हुए तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के जुल्मो और मनमानी नीतियों के विरुद्ध स्वतन्त्रता संग्राम में अग्रिम भूमिका अदा की थी। उनके खून मे स्वदेश स्वराज, स्वाभिमान की भावना कूट-कूट कर भरी थी। बहादुर शाह जफर को दिल्ली की सत्ता दिलाने मे उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। बहादुर शाह जफर के साथ मजबूती से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए अंग्रेजी सेना को जब अपनी हार दिखाई देने लगी तो अंग्रेजों ने युद्ध रोककर सन्धि का प्रतीक सफेद झंडा लहरा दिया था। अंग्रेजों की इस धूर्तता व चक्रव्यूह को राजा नाहर सिंह समझ नही पाए और उन्होंने युद्ध बन्ंद कर दिया था।

अंग्रेजी सरकार ने चालाकी से राजा नाहर सिंह को दिल्ली बुलाकर बंदी बना लिया था। अंग्रेजों ने उनसे माफी मांगने का प्रस्ताव रखा, ताकि वे फांसी लगने से बच जाएं, लेकिन महाराजा नाहर सिंह ने झुकना नहीं सीखा था। अंग्रेजी सरकार ने 9 जनवरी 1857 को उनके साथ अन्य तीन वीर क्रांतिकारी खुशहाल सिंह, गुलाब सिंह, भूरे सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया था। आज देशवासी इन्हीं शहीदों के कारण खुली हवा में सांस ले रहे हैं।

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