ये फिल्म अवार्ड्स कुछ इशारे कर रहे

-कमलेश भारतीय

पहले कंगना रानौत को श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार घोषित हुआ और अब दक्षिण के सितारे रजनीकांत को सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के दिये जाने की न केवल घोषणा हुई बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इनकी प्रशंसा में ट्वीट भी किया । दोनों सितारे निःसंदेह सितारे हैं और अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके हैं और मनवाते रहते हैं । कोई शक की गुंजाइश नहीं पर यह मन है न । इसका क्या कीजै? मन शंकालु है और शायद ईर्ष्यालु भी । मैं एक्टर नहीं पर इस तरह रेवड़ी की तरह पुरस्कार/सम्मान बंटते देखकर थोड़ी ईर्ष्या हुई ।

कंगना रानौत ने हिमाचल के छोटे से शहर नाहन से आकर फिल्मी दुनिया में मुकाम बनाया । बड़ी बात है । फिर पर्दे की झांसी की रानी सचमुच महाराष्ट्र सरकार से भिड़ गयी यानी पंगा ले लिया और अपना ऑफिस भी तुड़वा बैठी । खूब बयानबाज़ी की महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ । क्या डायलाॅग कहा-आज मेरा घर टूटा है, कल तेरा घमंड टूटेगा । है न धांसू एकदम ।

फिर अपनी नयी फिल्म की शूटिंग पर चल दी । ऑफिस के हर्जाने की लड़ाई कोर्ट में चल रही है । बेशक संजय राउत ने कोई नारी मर्यादा नहीं रखी और नाॅटी को ही आधार बना कर पीछा छुड़वाया । इस तरह कंगना एक्टिंग से ज्यादा राजनीति में एक्टिव रही । यहां तक कि मनाली में कंगना के मम्मी पापा ने भाजपा ज्वाइन करने में देर नहीं की । साफ साफ भाजपा कनेक्शन रहा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को कोसने का और पता नहीं क्यों यह दिल मानता नहीं और कह रहा है कि असल पुरस्कार का आधार तो महाराष्ट्र सरकार का विरोध बना होगा कि नहीं ? मैं अब भी कहता हूं कि कंगना ने बहुत मेहनत की । सुशांत सिंह राजपूत के केस में सरकार को घेरने की । इतनी मेहनत का फल तो मिलना ही था ।

दूसरे रजनीकांत । सन् 2017 से राजनीति मे आने की बराबर घोषणाएं करते रहे और आखिर जब चुनाव आया तमिलनाडु में तो स्वास्थ्य के आधार पर पीछे हट गये राजनीति से । अब सम्मान लेने के लिए तो आओगे कि नहीं ? एक बस कंडक्टर से शुरू हुई यात्रा फिल्मी सितारा बनने तक पहुंची । बस ड्राइवर ने ही पहचानी इनकी प्रतिभा । फिर तो पीछे मुड़कर नहीं देखा । जानकारी के अनुसार वैसे तो महाराष्ट्र से हैं रजनीकांत पर छा गये तमिलनाडु में । अब तो तमिलनाडु के हो ही गये । हिंदी फिल्मों में भी अपना सिक्का जमाया। बिग बी अमिताभ बच्चन तक के साथ स्क्रीन पर आए । पर अमिताभ बच्चन की तरह ही राजनीति से आने से पहले ही तौबा कर ली और अच्छा ही किया । इसका अवार्ड सामने आया और वह भी तमिलनाडु के चुनाव से पहले । क्या टाइमिंग है ? मान गये साहब । पश्चिमी बंगाल का चुनाव हो बंगला देश का दौरा कीजिए और तमिलनाडु का चुनाव हो तो रजनीकांत को दादा साहब फाल्के अवार्ड से नवाज दीजिए । क्यो? ऋषि कपूर आपके लिए लड़ते रहे कांग्रेस से । उसका योगदान कम है । उसने तो ट्वीट भी किया था सीधा सीधा कि हर संस्थान का नाम राजीव गांधी या इंदिरा गांधी । क्या ये गांधी परिवार की सम्पत्ति है । असल में ऋषि कपूर को सम्मान न दिये जाने का दुख था भीतर ही भीतर । अब तो उसकी इच्छा पूरी कर देते साहब । वह तो पिछले साल चले गये ।

तभी तो यशवंत सिन्हा कल पश्चिमी बंगाल में प्रधानमंतारी नरेंद्र मोदी की रैली का मुद्दा उठा रहे हैं कि क्यों चुनाव मतदान के बीच रैली रखी गयी ? पर जो व्यक्ति चुनाव मतदान के दौरान कमल का फूल हाथ में थाम कर प्रेस कांफ्रेंस कर सकता है और निर्वाचन आयोग कोई कार्रवाई न करे तो फिर उम्मीद किससे कीजै ? मर्यादाएं और नियम सब ताक पर । हमें चुनाव जीतना है ।

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