* हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में मिल सकता है यूरेनियम, जल्द आएगी सर्वे रिपोर्ट।* पिछले दिनों नारनौल के नजदीकी गांव जोरासी के पास सर्वे का कार्य चला।* परमाणु ऊर्जा विभाग ने हेलिकॉप्टर से नारनौल व आस-पास के क्षेत्र में सर्वे शुरू है। * पिछले साल नारनौल की पहाड़ियों में मिला था क्रिस्टल।* इससे पहले तांबे व सोने पर भी किए जा चुके हैं सर्वे। * जिला भूगर्भ विभाग के अधिकारियों ने इसके सैंपल जांच के लिए चंडीगढ़ भेज दिए थे।* उम्मीद के अनुरूप यूरेनियम व क्वार्ट्ज के परिणाम आए तो प्रदेश को लाभ मिला। अशोक कुमार कौशिक नारनौल । राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व राजस्थान शेखावाटी से सटे दक्षिणी हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले में यूरेनियम मिल सकता है। नारनौल व आसपास अरावली श्रंखलाओ की पहाड़ियों में यूरेनियम की संभावनाओं को तलाशने की कवायद शुरू हो गई है। परमाणु ऊर्जा विभाग ने हेलिकॉप्टर की मदद से नारनौल व आस-पास के क्षेत्र में सर्वे जारी है। यहां की पहाड़ियों में अकूत प्राकृतिक खजाना छिपा है। यहां पर जहां खेतड़ी एक्सटेंशन का सर्वे तो पहले ही हो चुका है और तांबा होने की पुष्टि हो चुकी है। सोने मिलने को लेकर भी हो चुका है सर्वे। क्वार्ट्ज (क्रिस्टल) को लेकर भी सर्वे गत वर्ष किया गया था । वहीं अब सबसे बड़ी उम्मीद तो क्वार्ट्ज और यूरेनियम से जगने वाली है। जिले के गांव उसमापुर की खान में क्वार्ट्ज (क्रिस्टल) की भण्डार मिला है। जिला भूगर्भ विभाग के अधिकारियों ने इसके सैंपल जांच के लिए चंडीगढ़ भेज दिए थे। उम्मीद के अनुरूप क्वार्ट्ज के परिणाम आए तो इस क्षेत्र में जिला ही नहीं, देश व प्रदेश को बड़ा राजस्व इससे मिल सकता है। अब हो रहा है यूरेनियम पर सर्वेक्षण हालांकि सर्वे का कार्य पूरा होने के बाद पता चल सकेगा कि इस क्षेत्र में यूरेनियम की स्थिति क्या है? यदि सर्वे सफल होता है तो यह केवल महेंद्रगढ़ या हरियाणा व राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश की आर्थिक ताकत बढ़ाने में बड़ा सहायक साबित हो सकता है। इस सारी कवायद के बाद सफलता मिली तो प्राकृतिक संपदा के क्षेत्र में महेंद्रगढ़ जिले का नाम बड़े स्तर पर जुड़ सकता है। जानकारों की मानें तो यह सर्वे अगले छह महीने तक चलेगा, जिसके बाद इसके नतीजों के बारे में आधिकारिक रूप से जानकारी दी जाएगी। जानकारी के अनुसार, परमाणु ऊर्जा विभाग ने लगभग 15 दिन पहले जिला प्रशासन से सर्वे के लिए अनुमति मांगी थी, जिसे जिला प्रशासन ने मंजूर कर लिया था। सूत्रों ने बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम यूरेनियम की संभावनाओं को देखते हुए पिछले एक पखवाड़े से इस क्षेत्र में सर्वे कर रही है। पिछले दिनों नारनौल के नजदीकी गांव जोरासी के पास सर्वे का कार्य चला। हेलिकॉप्टर पर एक जाल लटकाया हुआ था, जिसमें जमीन को अंदर से स्कैन करने के लिए हाई पावर मशीनें लगाई हुई थीं। यह हेलिकॉप्टर काफी नीचे आकर भूमि को स्कैन कर रहा है। जीएसआइ का सर्वे कामयाब होता है तो देश के परमाणु संयंत्रों को ऊर्जा मिलेगी और बिजली संकट स्थायी तौर पर दूर हो सकेगा।अनिल अटवाल (खनन अधिकारी) का कहना है कि खनन विभाग द्वारा तो कोई सर्वे नहीं करवाया जा रहा है। हो सकता है कि किसी अन्य विभाग द्वारा सर्वे करवाया जा रहा हो। इसकी मुझे जानकारी नहीं है। यहां पर बता दें कि एक ग्राम यूरेनियम से तीन टन कोयले के बराबर बिजली उत्पादन होता है। यूरेनियम के परमाणुओं में विशेष भट्ठी के भीतर विस्फोट कराया जाता है जिससे जबरदस्त उर्जा उत्पन्न होती है। यही एक ग्राम यूरेनियम से उत्पन्न उर्जा बिजली के रूप में एक सप्ताह तक लगभग आधे प्रदेश को रोशन कर सकती है। पिछले साल कराए गए सर्वे में मिला था क्वार्ट्ज स्मरण रहे की निकटवर्ती राजस्थान के खेतड़ी में कॉपर खान है । इसके आसपास हरियाणा की अरावली पहाड़ियों तक तांबे की प्रचुर मात्रा बताई जाती है।नारनौल की पहाड़ियों में कई प्रकार की धातुएं मिल रही हैं। इसके अलावा कई अन्य धातुओं की संभावना भी बनी हुई है। नारनौल की तीजों वाली पहाड़ी में पहले सोने के लिए माइनिंग की गई थी। नारनौल से सटे अरावली पर्वतमाला की पहाड़ियों में क्वार्ट्ज पाया गया है। जिला भूगर्भ वैज्ञानिक संजय सभ्रवाल ने इसकी पहचान की और उन्होंने क्वार्ट्ज के टुकड़ों के सैंपल ले लिए। उन्होंने इन टुकड़ों को मुख्यालय पर भेज दिया है। अभी तक हरियाणा में इसकी उपस्थिति होने की पुष्टि नहीं हो पाई थी। नारनौल का उसमापुर पहला गांव है, जहां पर क्वार्ट्ज प्रचुर मात्रा में मिला है। क्वार्ट्ज का क्या है उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स-ग्रेड निर्मित क्वार्ट्ज का उपयोग उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों जैसे कंप्यूटर, सेल फोन, टेलीविज़न, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक गेम्स आदि के लिए बड़ी संख्या में सर्किट में किया जाता है। इसका उपयोग आवृत्ति नियंत्रण उपकरणों और इलेक्ट्रॉनिक फ़िल्टर बनाने के लिए भी किया जाता है जो परिभाषित विद्युत चुम्बकीय आवृत्तियों को हटाते हैं। राजस्थान की पहाड़ियों में भी क्वार्ट्ज मौजूद है राजस्थान की पहाड़ियों में मिलने वाले क्वार्ट्ज के टुकड़ों को टूरिस्ट स्थानों पर दुकानदार 1 हजार से 25 हजार रुपये तक के भाव में बेचकर मोटी आमदनी करते हैं। क्या है क्वार्ट्ज क्वार्ट्ज एक रासायनिक यौगिक है जिसमें एक भाग सिलिकॉन और दो भाग ऑक्सीजन होता है। यह सिलिकॉन डाइऑक्साइड (एसआईओ2) (SiO2) है। यह पृथ्वी की सतह पर पाया जाने वाला सबसे प्रचुर खनिज है, और इसके अद्वितीय गुण इसे सबसे उपयोगी प्राकृतिक पदार्थों में से एक बनाते हैं। रॉक क्रिस्टल क्वार्ट्ज: पारदर्शी “रॉक क्रिस्टल” क्वार्ट्ज। क्वार्ट्ज लगभग हर रंग में होता है। रेत, जो छोटे क्वार्ट्ज कंकड़ से बना है, कांच के निर्माण के लिए प्राथमिक घटक है। रॉक क्रिस्टल क्वार्ट्ज व्यापक रूप से आल्प्स, मिनस गेरैस, ब्राजील, मेडागास्कर, जापान व संयुक्त राज्य अमेरिका की पहाड़ियों में मिलता है। अमेरिका के सबसे अच्छे क्वार्ट्ज क्रिस्टल हॉटस्प्रेसिंग, अर्कांसस और लिटिल फॉल्स और एलेनविले, न्यूयॉर्क में पाए जाते हैं । कैसे करें पहचान स्पष्ट क्वार्ट्ज आम तौर पर लाइनों, तरंगों या दरारों जैसे कुछ समावेशन दिखाएगा। ग्लास या तो पूरी तरह से स्पष्ट है या कुछ बुलबुले दिखा सकता है। क्लियर क्वार्ट्ज ग्लास की तुलना में कठिन होता है। इसलिए आप क्रिस्टल के साथ कांच के टुकड़े (कांच की बोतल जैसी कोई चीज) को काटने की कोशिश करके इसका परीक्षण कर सकते हैं। Post navigation पंचायत घर में अवैध रूप से खोला डिपो, शिलापट् भी तोडने का आरोप कौन जीतेगा नंदीग्राम का संग्राम ?