रेवाड़ी, 26 मार्च 2021 -स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने एक बयान में कहा कि पूर्वजों की वर्षो से बड़े त्याग, तपस्या से सिद्धांतों पर चलकर कडी मेहनत से अर्जित सामाजिक प्रतिष्ठा को कुर्सी, सत्ता की मलाई चाटने की लालच में कैसे धूल ध्रसित किया जाता है, इसकी जीवंत मिसाल हरियाणा में किसान मसीहा चौधरी छोटूराम जी के नाती बीरेन्द्र सिंह डूमरखां व चौ0 देवीलाल के परपौते दुष्यंत चौटाला है।

विद्रोही ने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में किसान हित की लड़ाई लडने वाले व किसान हित में उस समय की संयुक्त पंजाब विधानसभा में कानून बनाने वाले चौधरी छोटूराम ने अपने सिद्धांतों व कडी मेहनत के बल पर इतनी सामाजिक व राजनीतिक प्रतिष्ठा अर्जित की है कि आजाद आंदोलन में भाग न लेने के बाद भी उन्हे किसान मसीहा के रूप में आज भी 36 कौमों में बड़ी इज्जत के साथ उनका नाम लिया जाता है। परन्तु उनके एकमात्र नाती बीरेन्द्र सिंह डूमरखां ने कुर्सी व सत्ता की मलाई चाटने की लालच में किसान विरोधी भाजपा-संघ के साथ खड़े होकर ना केवल सर छोटूराम की विचारधारा को कलंकित किया है अपितु उनकी सामाजिक-राजनीतिक प्रतिष्ठा को भी धूल ध्रसित करने में कोई कसर नही छोडी।

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह चौ0 देवीलाल को हरियाणा में सबसे बड़े किसान नेता व किसान समर्थक के रूप में जाना जाता हैे। चाहे कोई चौ0 देवीलाल का राजनीतिक समर्थक रहा हो या उनका विरोधी रहा हो, पर किसान व गांव हितैषी के रूप में समाज के हर वर्ग में उनका विशेष सम्मान व स्थान है। पर उनके स्वयं के पौते अजय चौटाला व परपौते दुष्यंत चौटाला ने अपने मतदाताओं की जनभावना के विपरित जाकर निजी स्वार्थ पूर्ति हेतु भाजपा से हाथ मिलाकर किसान विरोधी भाजपा की हरियाणा में सरकार बरवाई और फिर तीन काले कृषि कानूनों के पक्ष में मोदी-भाजपा-खट्टर के साथ खड़े होकर किसान, खेती व किसानी को बर्बाद करने के षडयंत्र में भाग लेकर चौ0 देवीलाल के नाम को कलंकित किया। दुष्यंत चौटाला प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री बनकर बेशक अपने निजी पारिवारिक स्वार्थो की पूर्ति में कामयाब हो जाये, पर चौ0 देवीलाल ने कड़ी मेहनत, संघर्ष के बाद किसानों के ताऊ देवीलाल बने थे, उस छवि को भारी ठेस पहुंचाई है।

विद्रोही ने कहा कि चौ0 बीरेन्द्र सिंह व अजय चौटाला-दुष्यंत चौटाला पिता-पुत्र की जोडी अपने मन में चाहे जितना इतरा ले, सत्ता सुख उठाकर धन अर्जित कर ले, निजी स्वार्थो की पूर्ति कर ले, पर इतिहास इन्हे अपने पूर्वजों को कलंकित करने वालों के रूप में याद करेगा। आज किसान, खेती व किसानी के सामने मोदी-भाजपा संघी सरकार ने जो संकट खडा किया है, वह किसान परिवारों में पैदा हुए जयचंदों की वजह से ही संभव हुआ है। वरना हम दो हमारे दो की लुटेरी सरकार किसानों को बर्बाद करने का षडयंत्र रखने की कतई भी हिम्मत नही करती।

विद्रोही ने कहा कि इसी तरह दक्षिणी हरियाणा के किसान व आमजनों ने सरकारी भक्ति दिखाकर अपने को किसान विरोधियों में शामिल करने का जो पाप किया है, उसका खामियाजा यह क्षेत्र वर्षो तक भुगतेगा। जो भी व्यक्ति व क्षेत्र अपने किसान धर्म का पालन करके संकट के समय में अपने वर्ग के साथ खडा नही होगा, वे किसी का भला करेंगे, यह सोचना भी बेमानी है। ऐसे जयचंद यह आशा करे कि लोग उनका सम्मान करेंगे और इतिहास उन्हे माफ करेगा, ऐसा सोचना भी मृगतृष्णा है। 

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