* सवाल उठ रहा है सिंगल इंजन की सरकारो में कितना विकास हुआ।
* कंधार विमान अपहरण में ममता का प्रस्ताव की वो बंधक बन कर आतंकवादियों के कब्जे में जाने को तैयार हैं, देश और उसके नागरिकों के बारे में इस हद तक कुर्बानी देने की सोचना नेताओं के लिये दुष्कर । 
* बंगाल समर में भाजपा की टूटती कमर ।
* टिकट वितरण को लेकर स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ता लगातार विरोध में।
* उन्हें दीदी पसंद है वे बंगाली गौरव को पसंद कर रहे हैं, भाजपा के पास इसकी कोई काट नहीं है।
* “सिर्फ एक फैक्ट्री बचेगी, वो है मोदी के झूठ और बीजेपी के फ्रॉड की।”
* कयास ये है कि भाजपा को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना होगा ।

अशोक कुमार कौशिक

आजकल चुनावों में ये जुमला बहुत चल रहा है । भोले भाले राजनिती से दूर रहने वाले आम लोग इस जुमले के झांसे में बहुत जल्दी आ जाते हैं, पश्चिम बंगाल में भी केंद्रीय सत्तारूढ दल के सभी लोकल और इम्पोर्टेड नेता लोग हर भाषण में ये कहने से नहीं चूकते की डबल इंजन की सरकार होगी तो ही राज्य का विकास होगा । 

इस बात को यों समझिये की आज एक राज्य इस तथ्य को स्वीकार करके केंद्र में सत्तावाली पार्टी को राज्य में भी जीता देती है, अब साल दो साल बाद कोर्पोरेशन के चुनाव होंगे, पंचायत के चुनाव होंगे उस समय भी कहा जायगा की सत्तारूढ दल के पार्षद व सरपंच को जिताओ तब तुम्हारे ग्राम या वार्ड का विकास होगा, नहीं तो सत्तारूढ दल तुम्हारे वार्ड या ग्राम में विकास नहीं करेगी। फिर लोकसभा आएगा तब आपको कहा जायेगा कि सत्तारूढ पार्टी का सांसद जीताइए नहीं तो सांसद निधि के पैसे नहीं आयेंगे। फिर अगला विधानसभा आएगा तब कहा जायगा की आपके विधानसभा में सत्तारूढ विधायक नहीं था, इसलिए विकास नहीं हुआ, इस बार सत्तारूढ विधायक लाइये और पूरा विकास पाईये । कहने का मतलब ये की आपको डरा कर वोट लिया जायगा। या ऐसे समझिये की केंद्र की सरकार आपके लिये तब काम करेगी जब आप उन्हे अपने राज्य में भी सरकार चलाने देंगे अन्यथा वो आपके राज्य के साथ सौतेला व्यवहार करेगी।  

अब देख लेते हैं इसके पीछे की हकीकत । पश्चिम बंगाल से सटे हुए राज्य झारखंड में पांच साल डबल इंजन की सरकार रही, पांच साल में जनता इतनी विकसित हो गयी की विकास के ओवरडोज के डर से उन्होने एक इंजन निकाल फेंका । एक और पडोसी राज्य छतीसगढ में पहले दस ग्यारह साल सिंगल इंजन की सरकार थी, 2014 में वहां दुसरा इंजन ऐड हुआ, महज तीन सालों में इतना विकास हुआ की वहां के लोगों ने भी दुसरा इंजन निकालने में ही भलाई समझी। 15 साल की सरकार को विदाई दे दी,  इसी तरह राजस्थान, मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भी हुआ, ये अलग बात रही की जनता के विकास को देखते हुए बाद में मध्य प्रदेश और कर्नाटक में जबर्दस्ती दुबारा इंजन लगा दिया गया । 

एक और पडोसी राज्य बिहार की बात करें तो,  2015 में यहाँ भी पहले एक इंजन हटा दिया था जनता ने, उस समय चुनाव में सत्तारूढ पार्टी के प्रधान ने वादा किया था की बिहार को सवा लाख करोड़ की स्पेशल पैकेज दी जायगी अगर राज्य में डबल इंजन की सरकार बनी तो, बदकिस्मती से उस वक्त डबल इंजन की सरकार नहीं बनी, मगर डेढ़ साल बाद ही, बिहारवासियों के समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए बिहार के मुख्यमंत्री ने डबल इंजन लगवा लिया, बिहार में उसके बाद से लगातार डबल इंजन की सरकार है, मगर सवा लाख करोड़ वाला पैकेज अभी तक नहीं मिला,  शायद जरुरत नहीं रही होगी। डबल इंजन में तो विकास यूँ भी हो ही जाता है,  बिहार के लोग इतने मजबूत हो गये डबल इंजन सरकार में की, जब लॉकडाउन हुआ तब वे लोग हजार हजार किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर पहुंच गये ।  एक और पडोसी राज्य आसाम ने भी पांच साल पहले डबल इंजन लगवाया था, विकास की गंगोत्री अभी वहीं से बह रही है, वहां भी चुनाव होने वाले हैं, इस बार शायद डबल इंजन पर एक्सट्रा डेंटिंगपेंटिंग करवाए वहां की जनता । कुल मिलाकर डबल इंजन होना बहुत जरूरी है ये समझ लीजिये, वैसे भी पश्चिम बंगाल 44 सालों से सिंगल इंजन पर चलते चलते थक तो गया ही होगा ।

* ममता का अभूतपूर्व साहस, ऐसा कोई विरला नेता ही ऐसा करता है।

यशवन्त सिन्हा जब तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए तब उन्होने एक घटना का जिक्र किया। घटना तब की थी जब केंद्र में अटल सरकार थी, और यशवंत सिन्हा वित्त मंत्री थे। उस कैबिनेट में ममता बनर्जी भी मंत्री थीं,  उसी दौरान एयर इण्डिया के एक विमान को आतंकवादियों ने हाईजैक कर लिया था और कान्धार में विमान के सभी यात्रियों को बंधक बना कर रखा था । इधर भारत में इस बात पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा हो रही थी की इस समस्या से कैसे निपटा जाय, उसी समय ममता बनर्जी ने प्रस्ताव रखा की वो बंधक बन कर आतंकवादियों के कब्जे में जाने को तैयार हैं, बशर्ते की वो लोग सभी बंधकों को छोड़ दें। ये बहुत बड़ी बात थी, देश और उसके नागरिकों के बारे में इस हद तक कुर्बानी देने की सोचना भी आज के नेताओं के लिये दुष्कर है। 

जब सिन्हा ने ये कहा था उस वक्त मैने इस बात को गहराई से नहीं लिया था । मुझे लगा सिन्हा बस अपने नम्बर बढ़ा रहे हैं ऐसा बोलकर, बीजेपी थोड़ी देर बाद ही इस बात का मजाक बना देगी और सिन्हा जी से अपनी बात को साबित करने के लिये लिंक मांग लेगी । लेकिन इस बात को 10 दिन से ज्यादा हो गये मगर किसी ने सिन्हा की बात का खंडन नहीं किया, जिससे ये साबित हो जाता है की सिन्हा ने जो कहा वो बिल्कुल सच था ।   

मैं बीजेपी के ध्रुवीकरण की नीति का घनघोर विरोधी हुँ उनके खिलाफ लगातार लिखता भी हुँ। और आगे भी करूंगा, लेकिन  इस घटना को सुनकर व्यक्तिगत रूप से मेरी श्रद्धा इस 65 साल की, हवाई चप्पल और सूती साड़ी पहनने वाली नेत्री के प्रति बहुत ज्यादा बढ़ गयी। मेरी दुआ रहेगी इनके उत्तम स्वास्थ्य के लिये, मैं प्रार्थना भी करूंगा की ये तीसरी बार उस राज्य की मुख्यमंत्री बनें ।  

 बंगाल में मझधार में भाजपा   

बंगाल चुनाव भाजपा के लिए चुनौती बन कर सामने हैं । पहले हिंदी भाषी , हिंदुत्व के नाम और जय  श्रीराम के सहारे भाजपा ने बंगाल वैतरणी पार करने और दौ सौ पार जाने का सपना देखा था वह टूटता नज़र आ रहा है। टिकिट वितरण से पूर्व भाजपा हिंदी भाषी बहुत इलाकों में मज़बूत दिखाई दे रही थी वहां अब भाजपा की कमर टूटती जा रही है। उधर ममता चोट के बावजूद वोट पाने में अपना ग्राफ निरंतर ऊंचाई पर ले जा रहीं हैं। वाममोर्चे की ओर भी लोग लौटने लगे हैं। कयास ये लगाया जा रहा है कि भाजपा को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना होगा ।       

 भारतीय जनता पार्टी ने बंगाल चुनावों के लिए अपना संकल्‍प पत्र जारी कर दिया है। बीजेपी ने बंगाल में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए पहली कैबिनेट बैठक में ही सीएए को लागू करने का वादा किया है। महिलाओं की सुरक्षा पर फोकस करते हुए राज्‍य सरकार की नौकरियों में उन्‍हें 33 प्रतिशत आरक्षण देने की बात भी घोषणा पत्र में शामिल है।   बहरहाल भाजपा के इस घोषणा पत्र पर लोग यकीन करते नज़र नहीं आ रहे, हां कुछ लोग ममता के दस वर्षीय शासन को सिर्फ इसलिए पलटना चाहते हैं कि इससे नेता तानाशाह बन सकते हैं लेकिन ममता के प्रति जनता की आम राय बहुत अच्छी है और वे मोदी, अमित, योगी जैसे नेताओं से सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि वे बंगाल जैसा शांत भाजपा शासित एक भी राज्य बताएं तो उन पर विश्वास किया जाए? जिसका जवाब उनके पास नहीं है । भाजपा का हिंदुत्व कार्ड भी कमजोर पड़ता जा रहा है। भाजपा ने इस बार करीब 15 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इससे समीकरण बदल गया है। एक महीना पहले तक जिस ध्रुवीकरण की बात हो रही थी, उस पर अब ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है।ममता ने बेरोज़गारी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सिर्फ एक फ़ैक्ट्री बचेगी, “प्रधानमंत्री की झूठ की फ़ैक्ट्री बचेगी।” उन्होंने कहा कि बीजेपी बंगाल के लोगों के लिए बड़े-बड़े वादे कर रही है लेकिन पार्टी असम और त्रिपुरा के घोषणापत्र में किए गए वादों से मुकर रही है।

पुरुलिया ज़िले में एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने दावा किया कि पूर्वोत्तर राज्यों में बीजेपी की सरकार ने कई लोगों को बेरोज़गार छोड़ दिया है। उन्होंने कहा, “सिर्फ एक फैक्ट्री बचेगी, वो है नरेंद्र मोदी के झूठ की और बीजेपी के फ्रॉड की”

वह हर रैली की शुरुआत भी चंडी श्लोक के साथ करके और भाजपा के हिंदुत्व को पर जमकर प्रहार करती है और लोगों से सांप्रदायिक राजनीति से दूर रहने के लिए कहा। उन्होंने ने लोगों के कहा कि वो “बाहर के गुंडों”को वोट न दें। वो पहले भी बीजेपी पर राज्य के बाहर से लोगों को लाने के आरोप लगा चुकी हैं।

इधर भाजपा आलाकमान की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। टिकट वितरण को लेकर स्थानीय कार्यकर्ता लगातार विरोध जाहिर कर रहे हैं। भाजपा ने गुरुवार को अपनी एक और लिस्ट जारी की। कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी ने जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव और अनदेखी की है। इसको लेकर मालदा, जलपाईगुड़ी, मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना सहित कई जगहों पर हिंसक विरोध-प्रदर्शन जैसे हालात हैं। भाजपा ने शिखा मित्रा को चौरंगी और तरुण साहा को काशीपुर बेलगछिया से टिकट दिया, लेकिन दोनों नेताओं ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने से साफ इंकार कर दिया। जिस पार्टी ने तृणमूल के 150 से अधिक लोगों को दलबदल करवा कर भाजपा का टिकट दिया है उससे भाजपा के पहले से जुड़े कार्यकर्ता नाराज़ हैं यह इस बात की भी पुष्टि करता है भाजपा के पास चुनाव लड़ने योग्य प्रत्याशी नहीं हैं।तृणमूल और बंगालियों का ये कहना कि सब चोर भाग गए अच्छा ही हुआ। नंदीग्राम में तृणमूल से भागे शुभेन्दु अधिकारी भाजपा प्रत्याशी को जनता ऐसा ही जवाब दे रही है। टिकिटार्रथी ना मिलने के कारण अब भाजपा में आए लोगों के परिवारजनों को शामिल करने में लगी है।         

 बंगाल का युवा, किसान, महिलाएं,मज़दूर और शांति पसंद लोग भाजपा के अब तक किए विभिन्न कार्यों से ख़फ़ा हैं उन्हें दीदी पसंद है वे बंगाली गौरव को पसंद कर रहे हैं। कहा जा सकता है भाजपा के पास इसकी कोई काट नहीं है।

error: Content is protected !!