आजादी के दीवानों का बलिदान याद रखेगा हिन्दुस्तान- प्रो. आर.सी. कुहाड़

-हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में शहीदी दिवस पर हुआ विशेष आयोजन
-विद्या वीरता स्थल पर पुष्प किए अर्पित, विशेष चर्चा आयोजित
* आजाद चौक युवा संगठन द्वारा शहीदी दिवस मनाया गया।

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । भारत के सवतंत्रता संग्राम में अपने प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद भगत सिंह , सुखदेव थापर व शिवराम हरि राजगुरु के बलिदान दिवस के अवसर पर मंगलवार को हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ मे विशेष आयोजन हुए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने विश्वविद्यालय स्थित विद्या वीरता स्थल पर वीर जवानों व स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
 कुलपति ने इस अवसर पर उनके बलिदान को याद करते हुए कहा कि शहीदों का बलिदान नहीं भूलेगा हिन्दुस्तान। कुलपति ने इस अवसर पर उपस्थित विश्वविद्यालय समुदाय को शहीदों के प्रति सम्मान व आदर का भाव रखते हुए उनके परिवारजनों के हित में काम करने के लिए प्रेरित किया। 

कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने इस अवसर पर कहा कि न सिर्फ आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर सपूतों का बलिदान महत्त्वपूर्ण है साथ ही सीमा पर देश की एकता, अखंडता को बनाए रखने के लिए अपनी जान की बाजी लगाने वाले वीर सैनिकों का योगदान भी अद्वितीय है। आज हम इन्हीं स्वतंत्रता सेनानियों व जवानों के कारण स्वतंत्र हवा में साँस ले पा रहे हैं। कुलपति ने इस अवसर पर सैनिकों के परिवारजनों के सहयोग हेतु सभी को आगे आने के लिए कहा और योजनागत तौर पर काम करने के लिए प्रेरित किया। 

विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता की ओर से शहीदी दिवस के मौके पर भारत की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर देशभर मे जारी आजादी का अमृत महोत्सव को केंद्र में रखते हुए विशेष ऑनलाइन चर्चा का भी आयोजन किया। विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश गुप्ता, उप छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. आनन्द शर्मा व डॉ. मोनिका ने बताया कि शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित विशेष चर्चा का उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों, शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को स्वतंत्रता संग्राम में शहीद भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु सरीखे क्रांतिकारियों के त्याग, बलिदान व देशप्रेम के भाव का पुनःस्मरण कराना था।

उन्होंने कहा कि इस आयोजन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ के निर्देशन व मार्गदर्शन में विधि विभाग के प्रो. राजेश कुमार मलिक, राजनीति विज्ञान विभाग के प्रो. राजबीर दलाल, जैवप्रौद्योगिकी विभाग के प्रो. सतीश कुमार, छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. दिनेश गुप्ता, सहआचार्य डॉ. मोनिका, डॉ. रमेश कुमार आदि ने विस्तार से प्रतिभागियों को आजादी के आंदोलन में वीर शहीदों के योगदान से अवगत कराया। इस अवसर पर कुलपति ने भी सभी को देश की सेवा के लिए तत्पर रहने व देशप्रेम का भाव सदैव मन में बनाए रखने के लिए प्रेरित किया। मंगलवार को आयोजित विशेष आयोजन में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी व शिक्षणेतर कर्मचारी आदि उपस्थित रहे।

* आजाद चौक युवा संगठन द्वारा शहीदी दिवस मनाया 

नारनौल के आजाद चौक परिसर में भी आजाद चौक युवा संगठन द्वारा शहीदी दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। संस्था के संरक्षक विजय जिंदल ने सर्वप्रथम अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिभा पर माल्यार्पण किया। तत्पश्चात संगठन के प्रधान लोकेश शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि 23 मार्च 1931 को आज ही के दिन क्रांतिकारी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु फांसी दी गई थी। भारतवर्ष को आजाद करवाने के लिए इन वीर सपूतों ने हंसते हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था।

इसलिए इस दिन को शहीदी दिवस कहा जाता है। भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना हमारे देश के इतिहास की बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भारत के इन महान सपूतों को ब्रिटिश हुकूमत ने लाहौर जेल में फांसी पर लटकाया था। इन स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

अंग्रेजों ने इन तीनों को तय तारीख से पहले ही फांसी दी थी। पहले इन्हें 24 मार्च को फांसी दी जानी थी मगर देश में जन आक्रोश को देखते हुए गुपचुप तरीके से 1 दिन पहले ही फांसी पर लटकाया गया था। पूरी फांसी की प्रक्रिया को गुप्त रखा गया था।

इस मौके रिंकू जैन, भगत सिंह सैनी, मोहित जिंदल, हर्ष तनेजा, मुकेश फौजदार, राजेश गोयल, बाल किशन सैनी, पुनीत जिंदल, हेमंत आहूजा, मुकेश सैनी, जितेंद्र चौधरी आदि अनेक संगठन के लोग मौजूद थे।

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