सरदार भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के शहीदी दिवस पर श्रद्घासुमन

23 मार्च 2021  –  अमर शहीद व प्रसिद्घ क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के शहीदी दिवस पर स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने अपने कार्यालय में इन महान क्रांतिकारियों को अपनी भावभीनी श्रद्घाजंली अर्पित की। कपिल यादव, अजय कुमार, अमन कुमार, प्रदीप यादव व कुमारी वर्षा ने भी इस अवसर पर अपने श्रद्घासुमन शहीद क्रांतिकारियों को अर्पित किए। इस अवसर पर विद्रोही ने कहा कि अमर शहीद व प्रसिद्घ क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव ने 23 मार्च 1931 को लाहौर सैंट्रल जेल में रात को फांसी का फंदा हसंते-हसंते चूमकर देश की आजादी के लिए अपना अमर बलिदान ही नही दिया अपितु भारत के युवाओं में अंग्रेजों के खिलाफ आजादी की लड़ाई लडऩे का ऐसा जज्बा पैदा किया कि जिससे पूरा अंग्रेजी साम्राज्य ही हिल गया था। इन तीनों महान क्रांतिकारियों की शहादत ने भारतीय आजादी की लड़ाई को एक नया मोड़ दिया जो भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। सरदार भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव ने अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के नेतृत्व में क्रांतिकारियों का एक संगठन बनाकर देश की आजादी के लिए अमर बलिदान दिये, जिस पर देश को सदैव गर्व रहेगा। विद्रोही ने कहा कि क्रांतिकारियों ने हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन बनाकर अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ जो सशस्त्र संघर्ष देश की आजादी के लिए छेड़ा था, उससे पूरा अंग्रेजी साम्राज्य हस्तप्रस्त रह गया था। वहीं सरदार भगत सिंह व उनके क्रांतिकारियों साथियों ने देश के युवाओं को देश के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने की अभूतपूर्व प्रेरणा दी थी। इन क्रांतिकारियों का मकसद केवल अंग्रेजी साम्राज्य से ही देश को मुक्ति दिलवाना नही था अपितु ऐसा आजाद भारत बनाना था जो शौषण व अन्याय रहित हो और सभी को प्रगति के समान अवसर मिले। समतामूलक समाजवादी देश बनाना इन क्रांतिकारियों का मुख्य लक्ष्य था।                

 विद्रोही ने कहा कि जिस तरह अंग्रेजी साम्राज्य ने सभी नैतिकता व कानून को ताक पर रखकर सरदार भगत सिंह, राजगुरू व सुखेदव को रात्रि को 23 मार्च 1931 को लाहौर सैंट्रल जेल में फांसी दी, वह दुनिया के इतिहास में जहां काले अक्षरों में दर्ज है, वहीं पूरी दुनिया ने माना कि अंग्रेजी साम्राज्य किस कदर इन क्रांतिकारियों से भयभीत था। इन क्रांतिकारियों की कुर्बानी व गांधी जी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा लड़े गए आजादी आंदोलन की बदौलत ही 15 अगस्त 1947 को भारत अंग्रेजी साम्राज्य से मुक्त होकर आजाद देश तो बन गया, लेकिन आज भी देश के अंतिम आदमी के बेहतर भविष्य व क्रांतिकारियों के सपनों का भारत बनाने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है। विद्रोही ने कहा कि आज भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव के शहीदी दिवस के अवसर पर हमें आतंकवाद, जातिवाद, क्षेत्रवाद, भ्रष्टïाचार, शौषण, गैरबराबरी, गरीबी, बेकारी, साम्प्रदायिकता आदि समस्याओं के विरूद्घ लडऩे का संकल्प लेकर इन महान शहीदों का सपना पूरा करने के लिए काम करने की जरूरत है।

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