कमलेश भारतीय

लीजिए पहले तो भाजपा राम की थी , अब राम भाजपा के हुए । राम मंदिर निर्माण से पहले राम का भाजपा में आना जरूरी था । आखिर आ गये राम भाजपा में । पिछले साल कोरोना काल में भाजपा को रामायण की याद सताई थी । टीवी पर रामायण धारावाहिक के प्रसारण से कोरोना तो भागा या नहीं लेकिन भाजपा को राम बहुत याद आए । कपिल शर्मा ने भी अपने शो में राम ही नहीं बल्कि सीता को भी बुलाया । हालांकि सीता यानी दीपिका चिखलिया बहुत पहले भाजपा की सांसद बन चुकी हैं । अब बारी राम यानी अरूण गोविल की है । राम यानी अरूण गोविल ने पहले स्वामी विश्वास का दामन थाम रखा था । एक बार स्वामी विश्वास के साथ हिसार आए भी और मेजबान थे जिंदल हाउस से । उन्हीं के गेस्ट हाउस में रुके थे गुरु शिष्य । तब राम यानी अरूण गोविल शर्मीले और अनुशासित थे और इंटरव्यू तक के लिए तैयार न हुए थे । बस । मौजूद रहे और सारा प्रबंध देखते रहे ।

भाजपा में राम का कोई पहला पदार्पण नहीं । अभी कुछ दिन पहले दादा मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिमी बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा में भाजपा ज्वाइन की और बड़े अहंकार में डायलाॅग सुनाया कि मैं कोबरा हूं , मुझे पानी वाला सांप समझने की भूल न करना । शुक्र है अरूण गोविल ने कोई ऐसा डायलाॅग नहीं सुनाया । सन्नी द्योल पंजाब से सांसद हैं । नगमा भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा का कमल थाम चुकी । बाबुल सुप्रियो जैसा गायक और रूपा गांगुली भी पश्चिमी बंगाल में भाजपा के साथ । मनोज तिवारी, राजकिशन , हंसराज हंस सभी गायक भाजपा में । क्या ऐसे लोग भाजपा को गहराई प्रदान कर सकते हैं ? यह भाजपा का ग्लैमरस चेहरा है । हेमा मालिनी, जया प्रदा , स्मृति ईरानी पहले से ही इसे ग्लोरीफाई कर रही हैं । भाजपा के इस चेहरे से नागपुर बैठे आर,एस एस के लोग ज्यादा खुश नहीं । खास तौर पर सपना चौधरी की एंट्री से साफ अपनी नाराजगी जाहिर कर दी थी । अब टिक टाॅक गर्ल सोनाली फौगाट तक भाजपा में । पर भाजपा को अब किसी की नाराजगी की कोई चिंता नहीं रही । अब तो पहले आओ , पहले पाओ । राम हो या रावण सबका स्वागत् है । रावण यानी अरविंद त्रिवेदी भी भाजपा सांसद रह चुके । अभी रामायण के बाकी किरदार निभाने वालों को भी ऑफर मिल सकता है ।

क्रिकेट से एक कपिल देव ने मना किया बहुत शुरू से । जब चंडीगढ़ में कांग्रेस के जगन्नाथ कौशल ने कहा था कि हमारे पास चंडीगढ़ का हीरो है कपिल देव और उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया था । आज तक राजनीति की पिच पर कदम नहीं रखा । सचिन और रेखा को कांग्रेस ने मनोनीत किया राज्यसभा के लिए लेकिन न माया मिली न राम । सचिन कांग्रेस के लिए महाराष्ट्र में प्रचार करने से साफ नाट गये थे और राज्यसभा मे भी गिनती के दिन ही गये । ऐसे क्रिकेट के भगवान् का राजनीति के अंगने में क्या काम ? गोविंदा भी न राजनीति के रह पाये न फिल्मों के रहे । धर्मेंद्र ने तो बीकानेर वालों को दोबारा शक्ल भी नहीं दिखाई पर दिल दीवाना और पागल हो जाता है फिल्मी व सेलिब्रिटीज की चुनने के लिए । जब ज्यादा शोर मचा तो धर्मेंद्र ने मुम्बई बैठे ही इस्तीफा भेज दिया । राभ नायक तक नायक गोबिंदा के हाथों अपनी हार नहीं भूले । अभिताभ बच्चन ने जिस हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया उनकी बेटी रीता बहुगुणा आज भाजपा में है और यूपी में मंत्री है । विनोद खन्ना की पत्नी कविता को भाजपा ने घोर उपेक्षित किया । वह गुरदासपुर से टिकट मांगती ही रह गयी और उसे चुप करवा दिया । फिर भी न फिल्मी सितारे समझते हैं और न लोग ।
अब राम आ गये । स्वागत् ।

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