– 5 अप्रेल को होगा जिला बार एसोसिएशन के प्रधान, सचिव व सहसचिव का चुनाव
-तब तक निर्विरोध चुने गए पदाधिकारी संभालेंगे कार्यभार
-जिला बार एसोसिएशन के 163 वर्ष के इतिहास में गिरीबाला होंगी पहली महिला कार्यकारी प्रधान

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । जिला बार एसोसिएशन के चुनावी विवाद का अब पटाक्षेप होता दिखाई दे रहा है। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान पद के प्रत्याशी यशवंत यादव एडवोकेट की याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने आदेश जारी करके प्रधान, सचिव व सहसचिव के पदों के लिए चुनाव की तिथी 5 अप्रेल निर्धारित की है।

 बार काउंसिल ऑफ इंडिया में यशवंत यादव के अधिवक्ता के तौर पर पैरवी कर रहे, जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने बताया कि जिला बार एसोसिएशन की निष्पक्ष चुनावी प्रक्रिया हेतु प्रधान पद प्रत्याशी यशवंत यादव ने बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा के विभाजित निर्णय के विरोध में बार काउंसिल आफ इंडिया में निगरानी पिटिशन दायर की थी। बार काउंसिल आफ इंडिया ने उक्त पिटिशन को स्वीकार करते हुए 5 अप्रेल को प्रधान, सचिव व सहसचिव के पदों पर चुनाव की तिथी निर्धारित की है। निर्णय के अनुसार 30 मार्च को नामांकन, 31 मार्च को नामांकन वापसी तथा 5 अप्रेल को चुनाव तथा उसके उपरान्त मतगणना करने के आदेश दिया गया है। 

बार काउंसिल आफ इंडिया ने निर्विरोध निर्वाचित उप प्रधान गिरीबाला यादव, कौषाध्यक्ष पंकज किरोड़ीवाल, पुस्तकालायाध्यक्ष महावीर गुर्जर व ऑडिटर राजेन्द्र यादव को निर्वाचित घोषित कर दिया है। आदेश के अनुसार जब तक तीन पदों के चुनाव नहीं हो जाते हैं तब तक निवर्तमान कार्यकारिणी को निर्विरोध चुने जा चुके पदाधिकारियों को कार्यभार सौंपेगी। जिला बार एसोसिएशन के संविधान के नियम 8 के उपनियम ख के अनुसार प्रधान की अनुपस्थिति में उप प्रधान, प्रधान का कार्य करेंगा। चूंकि गिरिबाला यादव उप प्रधान पद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो चुकी हैं, इसलिए वह चुनाव होने तक जिला बार एसोसिएशन की कार्यकारी प्रधान रहेंगी। श्री वशिष्ठ ने यह भी बताया कि यह पहला मौका होगा जब 163 वर्ष पुरानी इस ऐतिहासिक बार एसोसिएशन की कमान एक महिला अधिवक्ता के हाथ में होगी।  

यशवंत यादव ने कहा कि उनकी यह लड़ाई जिला बार एसोसिएशन के लोकतंत्र की बहाली के लिए थी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए बार काउंसिल आफ इंडिया के निर्णय का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि चुनाव अधिकारी का पद निष्पक्ष होता है, किन्तु औम प्रकाश यादव ने अपनी हठधर्मिता के कारण पद की गरिमा को ठेस पहुँचाई। उन्होंने औम प्रकाश यादव से चुनाव अधिकारी के पद से नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र देने की मांग की है। 

गौरतलब है कि औम प्रकाश यादव ने 14 सितम्बर 2020 को ऑनलाईन चुनाव पर चर्चा करने के एजेंडे के साथ बैठक बुलाई थी, जिसमें उन्होंने पुरानी कार्यकारिणी के कार्यकाल को आगामी चुनावों तक बढाने का प्रस्ताव पास कर दिया। इसका प्रधान पद के प्रत्याशी यशवंत यादव व अन्य पदों के प्रत्याशियों ने विरोध जताया था। यशवंत यादव एडवोकेट की शिकायत का निपटान करने के लिए बार काउंसिल पंजाब एवं हरियाणा ने बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन जयवीर यादव, मिंदरजीत यादव व सचिव अजय चौधरी की तीन सदस्यीय विशेष समिति का गठन किया था। 31 अक्तूबर को उक्त विशेष समिति के दो सदस्य जयवीर यादव व मिंदरजीत यादव ने चुनाव अधिकारी औम प्रकाश यादव के निर्णय को सही ठहराया था, किन्तु अजय चौधरी ने चुनाव अधिकारी के निर्णय को अनुचित ठहराते हुए अपना निर्णय किया था। उक्त निर्णय के बाद बार काउंसिल के चेयरमैन ने 2 नवम्बर 2020 को बार काउंसिल द्वारा भेजे गए पर्ववेक्षक सुशील शर्मा को निष्पक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करने तथा सम्पूर्ण कार्रवाई की विड़ीयो रिकॉर्डिंग करने के आदेश दिए थे, किन्तु जिला बार एसोसिएशन की साधारण सभा की बैठक में कुछ अधिवक्ताओं ने हाथापाई कर दी थी। जिस पर बैठक स्थगित कर दी गई थी।

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