भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम, 05 मार्च। चार तारीख को मेयर टीम भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को अपना मांग पत्र सौंपकर आए। पहले तो लोगों में चर्चा हुई कि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा के विस्तार के लिए निगम और परिषद के मेयरों को बुलाया था। वहां मांग पत्र देने का क्या औचित्य बनता है?

पार्षद आरएस राठी ने कहा कि ये अपना मांग पत्र तो देने पहुंच गए लेकिन स्वयं क्या कर रहे हैं? आजतक वित्त एवं संविदा की कमेटी गठित नहीं की है, क्योंकि उसमें उनका कमीशन बनता है शायद। और भी अनेक भ्रष्टाचार मैंने सदन के पटल पर रखे। उन पर कभी कोई कार्यवाही नहीं करते। 

कुछ अन्य पार्षदों ने बताया कि वित्त एवं संविदा की कमेटी गठित करने के लिए हमने भी कहा और राव इंद्रजीत सिंह से भी मिल चुके हैं लेकिन कमेटी तो गठित नहीं हुई। आज लगभग साढ़े तीन वर्ष हो गए हैं। आगे भी होने की कोई संभावना नहीं है। 

बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि यदि अपनी मांगों का मांगपत्र देना ही था तो मुख्यमंत्री को देना था, चलो मुख्यमंत्री को नहीं दिया तो स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री अनिल विज को देना था। इसके पश्चात केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की कृपा से जो ये मेयर बने हैं, उसका उनको कहना था। कारण समझ नहीं आया संगठन के व्यक्ति को सरकार के कार्य का मांग पत्र देने का।

कुछ लोगों ने यह भी कहा कि यह मेयर टीम राव इंद्रजीत सिंह की कृपा से बनी है। राव इंद्रजीत और मुख्यमंत्री का 36 का आंकड़ा है और मेयर टीम बनी तब भी पार्टी लाइन से हटकर ही बनी थी। अत: ये मुख्यमंत्री या विज के जाने के बजाय ओमप्रकाश धनखड़ के पास ही पहुंच गए।

महिला सशक्तिकरण सप्ताह:

वर्तमान में सारे देश में महिला सशक्तिकरण सप्ताह चल रहा है। इसमें महिलाओं के सशक्तिकरण की बातें की जा रही हैं। इस बात पर तंज कसते हुए कुछ पार्षदों ने व अन्य लोगों ने कहा कि गुरुग्राम निगम में तीनों मेयर पद महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और तीनों पदों पर महिलाएं आसीन हैं। वे कितनी सशक्त हैं, इस बात का पता इससे ही लग जाता है कि शहर में चर्चा है कि तीन नहीं 6-7-8 मेयर हैं। क्योंकि अधिकांश सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के पतियों को ही निगम में देखा जाता है और मेयर के पुत्रों को देखा जा सकता है। कभी-कभी मेयर के पति की उपस्थिति भी दिखाई देती है। अधिक कुछ न कहकर आप अनुमान लगा सकते हैं कि हमारी मेयर महिला सशक्तिकरण का कैसा प्रमाण हैं।

आज कुछ पार्षदों में यह चर्चा सुनी जा रही है कि अब राव इंद्रजीत सिंह से फैसला करना पड़ेगा कि वह मेयर के साथ हैं या पार्षदों की भी कुछ सुनेंगे। पहले भी पार्षदों ने मेयर के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव दिया था, जिसे राव इंद्रजीत सिंह के समझाने पर वापिस लिया गया था लेकिन अब पार्षदों का कहना है कि कोई अंतर नहीं पड़ा। वे मेयर की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं। संभव है आने वाले समय में फिर अविश्वास प्रस्ताव पेश हो।

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