भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

राज्यपाल के अभिभाषण के पश्चात बजट सत्र आरंभ होगा। यह बजट सत्र हरियाणा सरकार के लिए आसान नहीं रहने वाला। अनेक जानी-अंजानी मुसीबतों से दो-चार होना पड़ेगा।

वर्तमान में विपक्ष नाम की चीज इन हालात में भी कह सकते हैं कि हरियाणा में नहीं है लेकिन एक कहावत है सौत तो बूर की भी बुरी। अत: कमजोर विपक्ष भी है तो विपक्ष ही है न और विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव का ऐलान भी कर रखा है। वैसे परिस्थितियां ही इस सत्र में विपक्ष का काम निभाएंगी।

सबसे बड़ी बात तो किसान आंदोलन ही रहने वाला है। किसान आंदोलन पर ही अविश्वास प्रस्ताव आएगा। और मजेदारी देखिए, अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला यह नहीं कह रहा है कि हमें सरकार गिरानी है, उसका तो कहना है कि हमने विधायकों की असलियत सामने लानी है।याद आती है फिल्मी गाने की पंक्तियां—

क्या मिलिए उन लोगों से जिनकी फितरत छुपी रहे। नकली चेहरा सामने आए, असली चितरत छुपी रहे। 

यही लक्ष्य है नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कि जो विधायक जनता में यह कह रहे हैं कि हम किसानों के साथ हैं, उनका असली चेहरा सामने आ जाए कि वह किसानों के साथ हैं या सत्ता की मलाई खाने के लिए सत्ता के साथ हैं। 

इसके अतिरिक्त भी कई मुद्दे हैं विपक्ष के पास सरकार को घेरने के लिए, जिनमें शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाला, नौकररियों की भर्ती का घोटाला, बेरोजगारी, प्रदेश पर बढ़ता कर्ज, कोरोना में सरकार की भूमिका, बढ़ता अपराध आदि-आदि शामिल हैं। 

यह तो रही विपक्ष की बात। अब बात करें भाजपा की। आज गुरनाम सिंह चढूणी ने यह कहकर कि एक सांसद किसान आंदोलन के पक्ष में भाजपा छोडऩे वाला है, तहलका मचा दिया है। दूसरी ओर आज ही दुष्यंत चौटाला ने यह कह कि हम लव जिहाद के नाम से कोई बिल पास नहीं होने देंगे, ऐसा कोई बिल जिसमें धर्म का नाम हो हम पास नहीं होने देंगे, जबकि गृहमंत्री अनिल विज घोषणा कर चुके हैं कि इस सत्र में वह बिल पास होगा। कहीं यह कहीं पे निगाहें-कहीं पे निशाने वाली बात तो नहीं। इसके अतिरिक्त गृहमंत्री अनिल विज का डीजीपी मनोज यादव प्रकरण भी चर्चा का विषय हो सकता है। 

वर्तमान में किसानों की ओर से जो भाजपा का बहिष्कार हो रहा है, जिसका दुष्परिणाम अमरजीत ढांडा के निमंत्रण पर गांव में झगड़ा सामने आया है और जनता में एक संदेश जा रहा है कि अब जो किसानों के साथ आएगा, वह लंबी राजनीति करेगा और जो सत्ता की मलाई खाएगा, वह अभी खा लेगा, जितने दिन भी खानी है आगे तो मिलने वाली है नहीं। इन बातों से यह बात सोची जा सकती है कि कहीं किसी विधायक की अंतरात्मा न जाग जाए।

इस सत्र में हरियाणा भाजपा में जो आंतरिक विवाद हैं, वे भी कुछ असर डाल सकते हैं। वैसे इसके लिए भाजपा के रणनीतिकार रणनीति बना चुके हैं शायद, जिसके अंतर्गत ही इस सत्र से पहले सांसदों की खूब पूछ की जा रही है और विधायकों का भी मंत्रीमंडल विस्तार और चेयरमैन मनोनीत करने पर ध्यान दिलाया जा रहा है।

वैसे अविश्वास प्रस्ताव सरकार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता, क्योंकि विप जारी हो जाएगी, जिससे भाजपा या जजपा का कोई भी विधायक सरकार के पक्ष में वोट नहीं करेगा तो उसका विधायक पद अपने आप ही चला जाएगा और जिसे विधायक पद का लालच नहीं होता, वह अभय चौटाला की तरह त्याग पत्र दे चुका होता।

तात्पर्य यह कि जानी-अंजानी और भी परेशानियां आएंगी। भाजपा की अंदरूनी कलह का मामला भी सामने आएगा लेकिन सरकार गिरने की संभावना नगण्य है। लगता है कि यह बजट सत्र हरियाणा सरकार को नाकों चने चबवा देगा।

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