रमेश गोयत

चंडीगढ़। न्यूनतम वेतन मांगने पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर द्वारा महिला अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों के साथ किए दुर्व्यवहार और नौकरी से बर्खास्त करने की धमकी देने का मामला तूल पकड़ गया।

कर्मचारियों के सबसे बड़े संगठन सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने रविवार को राज्यपाल कम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वाइस चांसलर के आचरण पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। सकसं ने उक्त पत्र में मामले की निष्पक्ष जांच करवाने और दोषी वाइस चांसलर के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने और अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसरों को बिना किसी देरी किए 57500 रुपए वेतन देने की मांग की है। सकसं के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने दो टूक शब्दों में चेतावनी दी कि अगर ऐसा नही किया गया तो कर्मचारी बिना किसी देरी किए सभी विश्वविद्यालयों सहित प्रदेशभर में प्रर्दशन करने पर मजबूर होंगे।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में तैनात वाइस चांसलर ट्रेड यूनियन एवं जनतांत्रिक अधिकारों को कुचलने और वहां मौजूद टीचिंग और नान टीचिंग इंप्लाईज एसोसिएशन को समाप्त करने पर आमादा है। विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर हमले किए जा रहे हैं,जिसक लिएकर्मचारियों के एचआरएमएस में जबरन डाटा अपडेट किया जा रहा है। जिसका आल युनिवर्सिटी नान टीचिंग इंप्लाईज फैडरेशन कड़ा विरोध कर रही है।

सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लाम्बा ने यह जानकारी देते हुए बताया कि कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय में पिछले 10 से 15 सालों से अनुबन्ध आधार पर विभिन्न विषयों के 172 असिस्टेंट प्रोफेसर लगे हुए है। यह सभी यूजीसी नेट व पीएचडी तक की शेक्षणिक योग्यता रखते है । उन्होंने बताया कि यह असिस्टेंट प्रोफेसर्ज विश्विद्यालय में  शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को अपनी बेहतरीन शेक्षणिक सेवाएं दे रहे है। प्रसाशन द्वारा इनको मात्र 27,000 रुपया महीना वेतन दिया जाता है। एसकेएस के लंबे संघर्ष के बाद प्रदेश सरकार ने असिस्टेंट प्रोफेसर समेत सभी कच्चे कर्मचारियों को समान काम समान वेतन लागू करने का फैसला लिया था। जिसमे कर्मचारी को पद के वेतनमान का केवल न्यूनतम वेतन ही मिलता है। इस फैसले के अंतर्गत विश्विद्यालय प्रसाशन ने एक तो पहले ही देरी से दिसम्बर, 2020 में सरकार के निर्णय को लागू करने का प्रस्ताव अपनी कार्यकारी परिषद में पास किया, जिसके अंतर्गत इन असिस्टेंट प्रोफेसर को 57700 रुपए मासिक वेतन दिया जाना था, जो लागू नही किया गया। इसी को लागू करवाने की मांग की जा रही है।  

महासचिव सतीश सेठी ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में कर्मचारियों द्वारा अपना सवैधानिक हक मांगना भी अपराध बनता जा रहा है। कुलपति की इस तानाशाही को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नही किया जा सकता। इसलिए एसकेएस मांग करता है कि कुलपति अपने अभद्र व्यवहार व धमकी के लिए तुरन्त महिला शिक्षकों से क्षमा मांगे ओर बिना किसी देरी के सातवे वेतन आयोग की रिपोर्ट अनुसार लाभ देने के फैसले को लागू करें।

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