भारत सारथी/ कौशिक नारनौल । पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने कहा कि उनका जीवन ही संघर्ष में रहा है। उन्होंने आपातकाल के दौरान जेल की यादें ताजा कीं और बताया कि वह नारनौल से सैकड़ों साथियों के साथ भिवानी व झज्जर जेल में रहे। उन्होंने कहा कि बेशक उनका घर महेंद्रगढ़ में है पर उनकी कर्मभूमि नारनौल रही है। यह उक्त बातें उन्होंने स्थानीय पुल बाजार स्थित श्रीएसडी एजूकेशन बोर्ड नारनौल के हीरक जयंती समारोह के दौरान कहीं। इस अवसर पर स्कूल के पूर्व छात्रों को सम्मानित भी किया गया। इनमें 80 से 84 साल उमर के बुजुर्ग पूर्व छात्र भी शामिल रहे। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा थे, जबकि अध्यक्षता हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. जगबीर सिंह ने की । इस अवसर पर भाजपा हरियाणा मीडिया प्रभारी मनीष मित्तल, श्री सनातन धर्म सभा के प्रधान धर्मचंद छाबड़ा, पूर्व चेयरमैन गोविद भारद्वाज, पूर्व चेयरमैन गोपाल शरण गर्ग, प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता, सचिव सतीश कुमार गर्ग, इतिहासकार एडवोकेट रतनलाल सैनी मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा. जगबीर सिंह ने कहा कि वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गौरी को 16 बार पराजित किया था और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया। जब 17वीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद गौरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंद बरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंद बरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया कि चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण। ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान। पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंद बरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद गौरी के सीने में जा लगा। इसके बाद चंद बरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छूरा घोंपकर आत्मबलिदान दे दिया। 1192 ई. की यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी। बोर्ड चेयरमैन ने कहा कि आने वाले समय में प्रदेश के छात्र इतिहास में पृथ्वीराज चौहान की इस वीर गाथा को पढ़ेंगे। इसी तरह वीर हकीकत राय का भी बलिदान दिवस वसंत पंचमी के दिन है। हकीकत राय के माता-पिता धर्मप्रेमी थे। मौलवी ने धर्म परिवर्तन नहीं करने पर उन्हें मृत्युदंड की सजा सुना दी थी। चार फरवरी, 1734 (वसंत पंचमी) को उस धर्मप्रेमी बालक का सिर काट दिया गया। इन पूर्व छात्रों को किया गया सम्मानितवरिष्ठ छात्रों में ओमकार सेन, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेमनाथ गुप्ता, एडवोकेट उमराव सिंह कौशिक, शिवचरण बहादुर गढि़या, किशनलाल कटारिया, अर्जुन लाल सिधी, राधे सोनी, मेजर भारत भूषण। Post navigation मंत्री ओमप्रकाश यादव ने एनएच टू अधिकारियों से नैशनल हाईवे निर्माण को लेकर की बैठक “मोदी नहीं तो कौन?”