विरोध में ग्रामीणों के द्वारा बीती 15 जनवरी से धरना जारी.
आबादी के बीचों-बीच में श्मशान भूमि नहीं बनानी चाहिए

फतह सिंह उजाला
गुरूग्राम। 
  हुक्के की गुडगुडाहट के बीच वजीराबाद में बनाए जा रहे श्मशान भूमि को लेकर ग्रामीणों का प्रदर्शन जारी है। गुरुग्राम में गांव वजीराबाद की 24 एकड जमीन पर बनाए जा रहे श्मशान  स्थल के विरोध में ग्रामीणों के द्वारा बीती 15 जनवरी से धरना जारी है। ग्रामीणों की मांग की है कि ग्रामीण क्षेत्र की आबादी के बीचोंबीच श्मशान का निर्माण पूरी तरह से गलत है।

वजीराबाद के पूर्व सरपंच व जजपा के राष्ट्रीय सचिव सूबे सिंह बोहरा ने कहा कि गत 13 वर्षों से ग्रामीण श्मशान भूमि बनने का विरोध करते आ रहे हैं। ग्रामीणों द्वारा केंद्रीय राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह, प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़, मुख्यमंत्री मनोहरलाल व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला को प्रस्ताव पास कर भेजा गया है। उन्होंने कहा कि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चैटाला एवं प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ द्वारा ग्रामीणों को आश्वस्त किया गया कि ग्रामीणों की मांग जायज है। आबादी के बीच श्मशान भूमि नहीं बनानी चाहिए। पूर्व सरपंच ने कहा कि प्रदेशाध्यक्ष एवं उप मुख्यमंत्री द्वारा जिला उपाुुक्त को पत्र लिखकर इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। उन्होंने बताया कि गत 15 जनवरी से ग्रामीणों द्वारा शांतिपूर्वक धरना दिया जा रहा है। इस धरने में न केवल ग्रामीणा, अपितु 12 गांव, 17 गांव, 360 गांव के चैधरी महेंद्र सिंह ठाकरान कहना है कि ग्रामीण अपनी जायज मांग को लेकर धरना दे रहे हैं।

महापंचायत का आयोजन होगा
धरने पर बैठे 87 वर्षीय वृद्ध रघुवीर सिंह ने रोष प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी किसी गांव या शहर की आबादी के मध्य श्मशान भूमि स्थल को नहीं देखा। यदि जिला प्रशासन को श्मशान भूमि स्थल बनाना है तो वह आबादी की बजाय जो जमीन डीएलएफ की अरावली क्षेत्र में पड़ी है वहां बनाए। आबादी क्षेत्र से दूर श्मशान का निर्माण करना चाहिए। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि यदि जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं की जाती है तो ग्रामीणों द्वारा महापंचायत का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सड़क जाम व विरोध प्रदर्शन करने का निर्णय लिया जाएगा। राजपाल कालू ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा 24 एकड़ भूमि पर श्मशान भूमि व कब्रिस्तान बनाया जा रहा है। देशराज, चंदनलाल, नंबरदार कृष्ण आदि दर्जनों व्यक्तियों ने कहा कि जिला प्रशासन को चाहिए कि वह ग्रामीणों की मांग को मानकर आबादी के बीचोंबीच श्मशान भूमि को न बनाकर एकांत स्थान पर श्मशान भूमि बनाए। जबकि डीएलएफ के पास काफी जमीन पड़ी है। यदि डीएलएफ चाहे तो अपनी भूमि समाजहित में देकर वहां पर श्मशान भूमि बनवाने में जिला प्रशासन का सहयोग कर सकता है।

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