-कमलेश भारतीय कहा जाता है कि मक्खन लगाना । कहा जाता है कि चमचागिरी करना । चमचे बनना । कहते हैं बहुत कुछ । टी सी मारना । कितना कुछ कहा जाता है । कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के लिए असम से कांग्रेस अध्यक्ष बरूआ ने कहा था कि इंडिया इज इंदिरा एंड इंदिरा इज इंडिया । तब भी लोग हंसें बिना न रहे थे । यह देश तो बहुत बड़ा है और कोई एक व्यक्ति देश की जगह नहीं ले सकता । इस बार त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव देव ने ऐसी ही हास्यास्पद बात की है । वे अपने मुखारविंद से कह रहे हैं कि भाजपा नेतृत्व की नेपाल व श्रीलंका में भी विस्तार की योजना है । विप्लव का कहना है कि अमित शाह जी ने यह लक्ष्य तय किया है । हमें नेपाल व श्रीलंका में पार्टी का विस्तार करना है । है न कमाल । कमल का फूल सिर्फ पश्चिमी बंगाल में ही खिलाने की योजना नही है अमित शाह जी की । यह तो बहुत छोटी बात और छोटा लक्ष्य होगा । वे तो देश की सीमाओं से बाहर जाकर नेपाल और श्रीलंका में भी गुल खिलाने वाले हैं । मज़ेदार बात कि इस पर भाजपा प्रवक्ता आगे बढ़कर बोले कि हमारी पार्टी की विचारधारा नेपाल , श्रीलंका ही नहीं , एशिया अफ्रीका के अन्य देशों में भी पहुंच रही है । लो कर ल्यो बात ।कहते हैं कि जहां नहीं पहुचे रवि , वहां पहुंचे कवि लेकिन ये त्रिपुरा वाले मुख्यमंत्री और भाजपा प्रवक्ता तो भाजपा को चांद तारों तक ले जाने के सपने दिखाने लगे हैं । अब क्या क्या इरादे हैं यह जाहिर कर दिये हैं । सचमुच ऐसे नेतृत्व पर गर्व होना चाहिए । फिर विप्लव तो विप्लव ही हैं । बरूआ की बात तो बहुत छोटी रह गयी । इंदिरा इज इंडिया न हुआ । पर भाजपा के कमल तो देश विदेश खिलने लगेंगे । कितनी बड़ी उपलब्धि । यों ही नहीं कहते कि कुछ नया सोचो , कुछ बड़ा सोचो । सोच लिया न । अब तो खुश हो? क्या हुआ पेट्रोल , डीज़ल और रसोई गैस के दाम बढ़ते जा रहे हों । क्या हुआ जो किसान आंदोलन में किसान दम तोड़ रहे हों । क्या हुआ बलात्कार, अपहरण और घोटालों की घटनाएं बढ़ती जा रही हों । पार्टी के नेताओं के इरादे तो ऊंचे हैं । आसमान छूने के हैं । विप्लव जी । जरा चीन या पाकिस्तान की ओर भी कदम बढाइए । लम्बे डग वाले वामन बन जाइए ।फिर देखिए क्या क्या अपना हो जाता है । हद तो यह है कि ऐसे ऐसे लोग किसी राज्य का नेतृत्व कर रहे हैं । इधर हमारी प्रिय एक्ट्रेस कंगना रानौत का कहना है कि मेरे किसी ट्वीट से हिंसा नहीं भड़की । जी नहीं । सारी अखबारें और मीडिया के अनुसार आप जब जब ट्वीट करती हैं फूल झड़ते हैं । Post navigation किधर है लोकतंत्र…! दिख जाए तो मिलवाने जरूर लाइएगा। क्या यही है जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिए चुना गया लोकतंत्र…??