· राष्ट्रपति अभिभाषण में किसान आंदोलन के दौरान 165 से ज्यादा किसानों के दुःखद निधन पर शोक जताकर उनके नामों को शामिल किया जाए · अभिभाषण के पैरा 24 में कहा गया कि 3 कृषि कानूनों से देश भर में 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को तुरंत फायदा मिलने लगा। जबकि, कानूनों पर अभी रोक है इसे अभिभाषण से हटाया जाए · जब तीनों कृषि कानून अभी लागू हुए ही नहीं, तो 10 करोड़ किसानों को उनका लाभ कैसे मिल गया? · सरकार कृषि कानून लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगायी गयी रोक को नहीं मान रही या राष्ट्रपति अभिभाषण में गलत तथ्य पेश कर रही · राष्ट्रपति अभिभाषण के पैरा 18 में स्वामीनाथन रिपोर्ट के सी2 फार्मूले पर आधारित लागत का डेढ़ गुना एमएसपी लागू होने की बात कही गयी है, जबकि खुद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे कर कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को पूरी तरह लागू नहीं किया जा सकता चंडीगढ़, 03 फरवरी। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने राज्य सभा में आज राष्ट्रपति अभिभाषण पर सरकार द्वारा लाये गये धन्यवाद प्रस्ताव में तीन संशोधन का प्रस्ताव दिया। अपने पहले प्रस्ताव में उन्होंने कहा कि 3 कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसान आंदोलन के दौरान 165 से ज्यादा किसानों के दुःखद निधन पर राष्ट्रपति अभिभाषण में कहीं कोई जिक्र तक नहीं है। अभिभाषण में किसानों निधन पर शोक जताकर उनके नामों को शामिल किया जाए। गौरतलब है कि किसान आंदोलन पर चर्चा कराने की उनकी मांग को राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में शामिल किया गया है। सांसद दीपेंद्र हुड्डा इस विषय पर कल सदन में भाषण देंगे। दूसरे प्रस्ताव में सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के पैरा 24 में कहा गया है कि तीन कृषि कानूनों से देश भर में 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को तुरंत फायदा मिलने लगा है। जबकि सच्चाई ये है कि अभी तीनों कानून लागू हुए ही नहीं और सुप्रीम कोर्ट ने उनके क्रियान्वयन पर रोक लगा रखी है। उन्होंने सवाल किया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कृषि कानूनों को लागू करने पर स्टे कर रखा है तो राष्ट्रपति अभिभाषण के माध्यम से सरकार ये दावा कैसे कर रही है कि 10 करोड़ से ज्यादा किसानों को लाभ पहुंचना शुरु हो गया है। या तो सरकार कृषि कानून लागू होने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगायी गयी रोक को नहीं मान रही या राष्ट्रपति अभिभाषण में गलत तथ्य पेश कर रही है। इसलिये इसे अभिभाषण से हटाया जाए। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आगे बताया कि अपने तीसरे प्रस्ताव में उन्होंने राष्ट्रपति अभिभाषण के पैरा 18 में स्वामीनाथन रिपोर्ट के सी2 फार्मूले पर आधारित लागत का डेढ़ गुना एमएसपी लागू होने की बात को हटाने की मांग की है। जबकि, केंद्र सरकार ने खुद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दे कर कहा था कि ‘‘लागत का डेढ़ गुना दाम एमएसपी के रूप में नहीं दे सकते हैं क्योंकि इससे ‘बाजार में विकृति’ आ जाएगी।’’ स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के मुताबिक लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने का सरकार का ये दावा देश को गुमराह करने वाला है। Post navigation सर्वखाप द्वारा महम चौबीसी चबूतरे पर अभय सिंह चौटाला को सम्मानित किया जाएगा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग को लेकर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राजभवन तक मार्च करेंगे कांग्रेस विधायक