भारतीय सनातन संस्कार ही सभ्यता का आधार स्तंभ. आने वाली पीढ़ी को हो सनातन संस्कृति का ज्ञान फतह सिंह उजाला पटौदी। सुमेरू पीठाधीश्वर काशी वाराणसी के शंकराचार्य महाराज स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने आमजन का आह्वान किया है कि संस्कृति और संस्कार को जीवित रखना साधु-संतों के साथ-साथ हिंदू धर्मावलंबियों के लिए बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा संस्कृति ही हमारी सभ्यता का मूलभूत आधार स्तंभ है । संस्कृति और सभ्यता दोनों ही एक दूसरे की पहचान के साथ-साथ पूरक भी है । अनादि काल से चली आ रही सनातन संस्कृति ही हमारी अपनी पहचान है और आज हम सभी का यह दायित्व बनता है कि आने वाली पीढ़ी को अपने अनादि काल से चले आ रहे संस्कार और संस्कृति का भी ज्ञान करवाया जाए । जिससे कि पूरे विश्व को यह संदेश मिल सके कि भारतीय सनातन संस्कृति ही जीवन जीने का सबसे बेहतर और श्रेष्ठ माध्यम है । यह बात उन्होंने रामपुर सेंदुर नदी के तट पर आयोजित 21 कुंडीय नौ दिवसीय श्री गणेश महायज्ञ की पूर्णाहुति के मौके पर मौजूद अनेकानेक श्रद्धालुओं के बीच में कहीं । इस संदर्भ में काशी सुमेरू मठ के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि रामपुर में सिंधु नदी के तट पर आयोजित 21 कुंडीय नौ दिवसीय महायज्ञ के मौके पर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती विशेष रूप से आमंत्रित किए गए थे । जहां पर उन्होंने भारतीय संस्कृति सनातन और धर्म पर अपने ओजपूर्ण व्याख्यान से लोगों का ज्ञान वर्धन किया । इस मौके पर शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने विशेष रुप से महिलाओं और युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि बच्चों को संस्कृत भाषा का भी ज्ञान होने के साथ-साथ संस्कृत भाषा अवश्य पढ़ाई जानी चाहिए। जिससे कि हमारी अपनी अनादि काल से चली आ रही ब्रह्मांड की पहली भाषा संस्कृति और संस्कार ब्रह्मांड के रहने तक जीवित रहे । इसी मौके पर उन्होंने कहा कि आज के समय में आरक्षण को अविलंब समाप्त कर देना चाहिए । यह आज के युवा की योग्यता और समय की बहुत महत्वपूर्ण मांग बन चुकी है । केवल और केवल योग्यता ही किसी भी मामले में प्राथमिकता होनी चाहिये। नौकरी जैसे मामले में कोई समझौता योग्यता के संदर्भ में नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आज भारतवर्ष और भारत वासियों के लिए ही नहीं संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए खुशी सहित गर्व-गौरव का मौका है कि परिवार समाज और राज्य में मर्यादाओं की मजबूत परंपरा स्थापित करने वाले भगवान श्री राम के मंदिर का भव्य निर्माण भी होने जा रहा है । भगवान राम भारत की पूरी दुनिया में एक पहचान और भारतीय मूल्यों की मजबूत पहचान भी हैं । क्योंकि भारत में प्रत्येक सुबह राम-राम के संबोधन से ही आरंभ होती है । उन्होंने पुनः दोहराया की भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता समस्त मानव प्राणी जगत के लिए कल्याणकारी थी, है और रहेगी। Post navigation रिवाल्वर की नोक पर गल्ले से नकदी लूटी चिकित्सा विज्ञान में भारत बना दुनिया का सिरमौर: जरावता