· पंजाब एवं हरियाणा बार सदस्यों के साथ सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने दिया धरना, कहा किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। · सरकार जिद छोड़कर तुंरत किसानों से बातचीत शुरु करे और उनकी मांगे माने · जो नेता सत्ता की चाशनी चख रहे हैं और किसानों के समर्थन का ढोंग कर रहे हैं, अविश्वास प्रस्ताव में उनकी खुलेगी पोल · सांसद दीपेंद्र हुड्डा पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल के कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे · दीपेंद्र हुड्डा ने राज्य सभा के शोक प्रस्ताव में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के नाम शामिल करने की उठायी मांग चंडीगढ़, 30 जनवरी। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सरकार किसान आंदोलन को जितना दबायेगी ये आंदोलन उतना ही मजबूत होगा। समय की मांग है कि सरकार जिद छोड़कर किसानों से तुरंत बातचीत करे और उनकी मांगों को स्वीकार करे। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज पंजाब एवं हरियाणा बार सदस्यों के साथ धरना दिया और कहा कि किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। उन्होंने सेक्टर 17 पहुंचकर कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और जिला अदालत के वकीलों द्वारा एक दिवसीय भूख हड़ताल को भी अपना समर्थन दिया। दीपेन्द्र हुड्डा ने पंजाब एंड हरियाणा बार काउंसिल द्वारा चौ. मातूराम लॉ भवन में आयोजित कार्यक्रम में शिरकत की। दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों से केवल किसान ही बर्बाद नहीं होगा बल्कि हर वर्ग को इससे नुकसान होगा। किसान से बड़ी चोट आम उपभोक्ता को और उस गरीब आदमी पर पड़ेगी जिसको राशन कार्ड पर सस्ता अनाज मिलता है। इस बात को देश का आम नागरिक समझ गया है। यही कारण है कि आज पूरा देश एकजुट होकर किसानों की मांग के साथ खड़ा है। इसलिये देशहित में यही होगा कि सरकार तुरंत बातचीत शुरु करे और किसानों की मांगें मानकर इस गतिरोध को खत्म करे। पूरा देश सरकार की तरफ देख रहा है। दीपेंद्र हुड्डा ने हरियाणा में सत्ता सहयोगियों पर निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग किसान के समर्थन का ढोंग कर रहे हैं और सत्ता की चाशनी चख रहे हैं ऐसे लोगों का पर्दाफाश करने के लिये विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव आयेगा और उसमें दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा कि सही मायने में कौन जनता के साथ है और कौन सरकार के साथ है। उन्होंने कहा कि चाहे भाजपा हो या जजपा, हरियाणा सरकार जनता का विश्वास खो चुकी है। मुख्यमंत्री, उप-मुख्यमंत्री स्वयं अपने क्षेत्रों में कार्यक्रम करने में असमर्थ हो चुके हैं। उन्होंने मांग करी कि प्रजातंत्र, संविधान की रक्षा के लिये हरियाणा विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने की इजाजत दी जाए। सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि राष्ट्रपति अभिभाषण का बहिष्कार करने के बाद उन्होंने राज्य सभा के शोक प्रस्ताव में किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले 175 से ज्यादा किसानों के नाम भी शामिल करने की मांग उठाई, जिसे स्वीकार नहीं किया गया। उन्होंने आगे कहा कि किसान शांति व अनुशासन के साथ पिछले 2 महीनों से अपना आंदोलन कर रहे हैं। 26 जनवरी की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है इसकी निष्पक्ष उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और जो भी दोषी हो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। लेकिन, इसकी आड़ में किसान नेताओं और निर्दोष किसानों को बेवजह प्रताड़ित न किया जाए। किसी भी प्रकार का उपद्रव या हिंसा हमारे देश के प्रजातंत्र में स्वीकार्य नहीं है। Post navigation कालका के कांग्रेस विधायक प्रदीप चौधरी की विधानसभा सदस्यता रद्द, सजा मिलने के बाद हुआ ऐसा किसान पहले तो किसी को छेड़ता नहीं, लेकिन अगर किसान को कोई छेडऩे की कोशिश करता है तो किसान उसे छोड़ता नहीं: अभय सिंह चौटाला