28 जनवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता वेदप्रकाश ने काफी दिनों से मसानी पुल पर दिल्ली जयपुर-हाईवे पर तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहे किसानों को स्थानीय सरकार भक्तों द्वारा पुलिस व भाजपा खट्टर सरकार के सहयोग से धमकी देकर देर सांय धरने से उठने को मजबूर करने की कठोर आलोचना करते हुए इसे दक्षिणी हरियाणा को कलंकित करने वाली घटना बताया। विद्रोही ने कहा कि तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसान अपनी मर्जी से मसानी पुल के पास धरने पर नही बैठे थे अपितु भाजपा खट्टर सरकार व हरियाणा पुलिस द्वारा उन्हे दिल्ली की ओर कूच नही करने की जिद के कारण किसानों को मसानी पुल पर धरने पर बैठना पड़ा। आंदोलनरत किसान जब इस कडक़ड़ती ठंड में भी अपने इरादे से नही डिगे तो भाजपा खट्टर सरकार ने अपने स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं से कथित पंचायत करवाकर पुलिस सरंक्षण में जिस तरह आंदोलनकारी किसानों को धमकाया है, वह घोर निदंनीय कुकृत्य है।

विद्रोही ने कहा कि व्यर्थ के टकराव को टालने के लिए किसान बेशक मसानी पुल से धरना समाप्त करके शाहजहांपुर खेडा बार्डर व अन्य धरना स्थलों पर चले गए है, पर सरकार भक्तों के इस कुकृत्य ने दक्षिणी हरियाणा पर किसान आंदोलन के प्रति गद्दारी का ऐसा अमिट कलंक लगवा दिया है जो किसान इतिहास में मिटाये भी नही मिटेगा। विद्रोही ने कहा कि सरकार भक्ति दिखाने कुछ सत्ता के दलालों ने किसान हित में लड़ाई लडने वाले जाबांज किसानों के साथ दुर्रव्यवहार व स्थानीय क्षेत्र बल की धोंस जमाकर मसानी पुल धरना स्थल से उठाया है, उससे मुझे बहुत ही पीड़ा हुई है कि मेरे जैसा सामाजिक कार्यकर्ता इतने वर्षो से ऐसे अमानवीय, किसान विरोधी, निजी स्थार्थो से प्रेरित सरकार भक्त लोगों के लिए आवाज उठाता रहा है जिनके लिए दक्षिणी हरियाणा के मान-सम्मान से ज्यादा अपने निजी हित व सरकारी भक्ति ज्यादा महत्वपूर्ण है। सरकार भक्त कुछ लोगों ने जिस प्रकार से मसानी पुल पर देशभर के किसानों के हितों के लिए आंदोलनकारी किसानों के साथ जो दुर्रव्यवहार किया है, वह दक्षिणी हरियाणा के सामाजिक सदभाव व आपसी एकता के लिए भी ठीक संकेत नही है जिसके दुष्परिणाम भविष्य में दिखने तय है।

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