केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार चाहे जितनी बेशर्मी दिखाये, उसे हर हालत में किसानों के आंदोलन, संघर्ष के सामने घुटने टेकने होंगे और तीनों काले कृषि कानूनों को मजबूर होकर रद्द करना ही पड़ेगा। विद्रोही दक्षिणी हरियाणा के निजी स्वार्थो से प्रेरित भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक इस समय एसवाईएल नहर निर्माण का बेसुरा राग अलापकर किसान को बाटने व किसान आंदोलन को कमजोर करने का जो पाप कर रहे है, उसे दुष्परिणाम उन्हे भविष्य में भुगतने पड़ेेंगे। रेवाड़ी, 17 जनवरी 2021 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष वेदप्रकाश विद्रोही ने शनिवार को तीन कालेे कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली-जयपुर हाईवे जाम करके धरने पर बैठे मसानी पुल व शाहजहांपुर बार्डर बावल में पहुंचकर आंदोलनरत किसानों का समर्थन करते हुए उनके ऐतिहासिक संघर्ष को सलाम किया। मसानी पुल पर दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करके धरने पर बैठे आंदोलनरत किसानों को सम्बोधित करतेे हुए कहा कि उन्होंने अपने संघर्ष के बल पर ना केवल दक्षिणी हरियाणा के किसानों का मनोबल बढ़ाया है अपितु तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन करके दक्षिणी हरियाण के मसानी पुल व शाहजहांपुर खेड बार्डर का नाम पूरे देश में एक किसान आंदोलन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध किया है। किसानों का यह संघर्ष मोदी सरकार व हरियाणा भाजपा खटटर सरकार के कफन में कील का काम करेगा। केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार देश के अन्नदाता किसान की बात मानने की बजाय जिस बेशर्मी से चंद पूंजीपतियों कीे दलाली कर रही है, उससे साफ हो गया है कि भाजपा घोर किसान विरोधी व मेहनतकश वर्ग की विरोधी व पंूजीपतियों की दलाल पार्टी है। विद्रोही ने दक्षिणी हरियाणा के किसानों से पुरजोर अपील की कि अब तो वे अपनी सरकार भक्ति त्यागेे और तीन काले कृषि कानूनों के खिलाफ मसानी पुल व शाहजहांपुर खेड़ा बार्डर पर चल रहे धरने में सक्रिय भूमिका निभाकर आंदोलनरत किसानों का साथ दे। दक्षिणी हरियाणा के किसान यदि इस समय आंदोलनरत किसानों का साथ नही देंगे तो वे खुद अपने पैरों पर कुल्हाडी मारकर अपनी भावी पीढ़ी व खेती-किसानों को खतरे में डालने के दोषी बनेंगे। दक्षिणी हरियाणा के निजी स्वार्थो से प्रेरित भाजपा के निर्वाचित सांसद, विधायक इस समय एसवाईएल नहर निर्माण का बेसुरा राग अलापकर किसान को बाटने व किसान आंदोलन को कमजोर करने का जो पाप कर रहे है, उसे दुष्परिणाम उन्हे भविष्य में भुगतने पड़ेेंगे। विद्रोही ने आंदोलनरत किसानों के संघर्ष को सलाम करते हुए कहा कि यह उनके संघर्ष का ही परिणाम है कि हरियाणा में भाजपा खट्टर सरकार का इकबाल खत्म हो गया और भाजपा सरकार इतनी अलोकप्रिय हो गई कि सत्तारूढ दल के मंत्री-सतंरी आज ग्रामीणों का सामना करने से भी डर रहे है। केन्द्र की मोदी-भाजपा सरकार चाहे जितनी बेशर्मी दिखाये, उसे हर हालत में किसानों के आंदोलन, संघर्ष के सामने घुटने टेकने होंगे और तीनों काले कृषि कानूनों को मजबूर होकर रद्द करना ही पड़ेगा। विद्रोही ने आशा प्रकट की कि शेष हरियाणा की तरह दक्षिणी हरियाणा के किसान भी अब सरकार भक्ति छोडकर अपना धरती पुत्र किसान होने का धर्म पहचानकर काले कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे संघर्ष में आंदोलनरत किसानों का सक्रिय साथ देकर अपने अन्नदाता होने का धर्म निभाएंगे। Post navigation किसान समझ चुके हैं कि सरकार बातचीत नहीं बातचीत का ड्रामा कर रही है – दीपेंद्र हुड्डा राव इन्द्रजीत सिंह से सवाल, विगत छह सालों में विकास के ऐसा कौनसा काम, जिसे अपनी उपलब्धि बताते है