हरियाणा की खट्टर-चौटाला सरकार ने पेपर लीक में नया रिकॉर्ड स्थापित किया. सरकारी कमेटियां द्वारा जांच कराने की घोषणा तो होती है, पर कोई कार्रवाई नहीं होती. सभी पेपर लीक मामलों की हो तुरंत प्रभाव से न्यायिक जांच चंडीगढ़, 13 जनवरी- वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार प्रदेश के युवाओं के भविष्य से लगातार खिलवाड़ कर रही है। इस सरकार ने पेपर लीक में नया रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिससे यह पेपर लीक सरकार बन कर रह गई है। प्रदेश में ग्राम सचिव की भर्ती में हुए पेपर लीक होने पर रोष प्रकट करते हुए सुरजेवाला ने कहा की निष्पक्षता का ढोंग पीटने वाली भाजपा-जजपा सरकार में लगातार पेपर लीक हो रहे हैं। पिछले 6 वर्षों में 35 से ज़्यादा पेपर लीक हुए हैं। जब मामले मीडिया में उठते हैं तो उन्हें दबाने के लिए सरकार द्वारा कोई एसआईटी या जांच कमेटी बना दी जाती है, ताकि मामले को दबाया जा सके, लेकिन उन सरकारी कमेटियां की या तो रिपोर्ट ही नहीं आती या उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती। हमारी मांग है की युवाओं को न्याय देने और पिछले साढ़े छह साल के सारे नौकरी घोटालों की जांच के लिए न्यायिक जांच की घोषणा की जाए। सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार में हर दिन एक नया नौकरी घोटाला सामने आ रहा है। अभी हाल ही में हरियाणा प्रदेश में ग्राम सचिव की भर्ती के पेपर लीक ने इस सरकार की फिर से पोल खोलकर रख दी है। इस पेपर लीक सरकार में कई-कई सालों तक विज्ञापित सरकारी नौकरियों में या तो भर्ती नहीं होती, होती भी है तो अखबारों में समाचार आते हैं कि आज फिर से पेपर लीक हो गया। ऐसा लगता है सरकारी शह में पेपर लीक होते हैं, जिनसे प्रदेश के मेहनती प्रतिभावान युवाओं का भविष्य चौपट किया जा रहा है। सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगार आसमान छू रही है और आज हरियाणा में बेरोजगारी की दर पूरे देश मे सबसे अधिक है। सत्ता पर काबिज भाजपा और जजपा ने चुनाव के दौरान रोजगार को लेकर घोषणापत्र में जितने भी दावे किए वो सभी झूठे साबित हुए हैं। इस सरकार के निकम्मेपन के कारण प्रदेश के लाखों युवाओं का भविष्य अधर में है, प्रदेश में नकल व शिक्षा माफ़ियाओं के व्यारे-नारे हैं और युवा मारे-मारे फिर रहे हैं। Post navigation किसान आंदोलन से हरियाणा सरकार की कुर्सी डगमगायी – दीपेंद्र हुड्डा हरियाणा में भाजपा नहीं करेगी किसानों के समानांतर रैलियां, कैमला उपद्रव के बाद लिया फैसला