भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक किसान आंदोलन को जनता का सहयोग मिलता जा रहा है, जिससे किसानों का उत्साह बढ़ा हुआ है। उसी उत्साह के फलस्वरूप आज हांसी में आरएसएस का शिविर एक स्कूल में चल रहा था। किसान वहां भी धरना देने पहुंच गए। शायद उनका सोचना यह रहा होगा कि संघ भी भाजपा के साथ आंदोलन को कमजोर करने में लगा है। कुछ दिन पूर्व मेरी हरियाण प्रांत संघचालक पवन जिंदल से बात हुई थी तो जिंदल जी ने स्पष्ट कहा था कि यह सरकार का विषय है। हमारी भूमिका इसमें कुछ नहीं है। इसके बाद मैंने पूछा कि यह देश की बड़ी घटना है, इससे आप दूर कैसे रह सकते हैं, कुछ तो निर्देश दिए होंगे स्वयंसेवकों को? उन्होंने जवाब में फिर वही कहा कि हमारी तरफ से कोई निर्देश किसी प्रकार का नहीं है। न साथ रहने का और न ही विरोध करने का। सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय ने भी किसान आंदोलन पर सुनवाई की और उस सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से सख्त लहजे में पूछा कि अब तक आपने वार्ता में क्या किया है। हमें नहीं लगता कि वार्ता में कोई बात आगे चली है। अत: क्यों न हम इन कानूनों पर रोक लगा दें। सरकार इस मामले में कोई ऐसा संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई, जिससे सर्वोच्च न्यायालय संतुष्ट हो। सर्वोच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है। अब मंगलवार को निर्णय आने की संभावना है। आशा की जा रही है कि सर्वोच्च न्यायालय इन तीन कानूनों पर रोक लगा देगा।इसके पश्चात भी किसान आंदोलन के बारे में कुछ स्पष्ट कहा नहीं जा सकता है कि यह समाप्त होगा या नहीं। किसान रोक लगाने पर भी धरने पर बैठे रहेंगे या नहीं। सर्वोच्च न्यायालय ने धरने में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की उपस्थिति पर बड़ी चिंता जताई और सरकार से पूछा कि कोई दुर्घटना होती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा? सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आंदोलनकारियों को हम आंदोलन करने से रोक नहीं सकते। Post navigation खेडा शाहजापुर बोर्डर….18 जनवरी को महिला किसान दिवस मनाया जाएगा: अमराराम स्पा की आड़ में चल रहे देहव्यापार का पर्दाफाश