पहले उपायुक्त कार्यालय ने 2 दिन में उचित उपयोग प्रमाण पत्र देने को कहा था नारनौलः, रामचन्द्र सैनी जिला बार एसोसिएशन से उपमण्डल अधिकारी नागरिक ने वर्ष 2018 तथा 2020 में सरकार द्वारा दिए गए 32 लाख रुपए को खर्च करने बारे उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की गई है। एसडीएम नारनौल के कार्यालय के पत्र क्रमांक 1541/एमसी दिनांक 29 दिसम्बर 2020 के द्वारा जिला बार एसोसिएशन से वर्ष 2018 में हरियाणा विधानसभा की तत्कालीन डिप्टी स्पीकर संतोष यादव द्वारा प्रदत्त 11 लाख रुपए तथा वर्ष 2020 में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री औम प्रकाश द्वारा प्रदत्त 21 लाख रुपए को खर्च किए जाने के बाबत उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की गई है। पूर्व डिप्टी स्पीकर द्वारा दी गई 11 लाख की अनुदान राशि का चैक प्रधान महेन्द्र यादव एडवोकेट के कार्यकाल में प्राप्त हुआ था तथा राज्यमंत्री द्वारा दी गई 21 लाख की अनुदान राशि का चैक प्रधान अशोक यादव एडवोकेट के कार्यकाल में प्राप्त हुआ है। गत 26 अक्तूबर 2020 को उपायुक्त कार्यालय ने जिला बार एसोसिएशन, नारनौल को 2 दिनों के भीतर उक्त 32 लाख रुपए की राशि को खर्च करने संबंधि उपयोगिता प्रमाण पत्र उनके कार्यालय में देने बारे निर्देशित किया था। जिला बार एसोसिएशन द्वारा उक्त उपयोगिता प्रमाण पत्र उपायुक्त कार्यालय को नहीं सौंपे गए हैं। इसके बाद उक्त कार्यालय ने उपमण्डल अधिकारी नागरिक कोयह मामला सौंपा है, क्योंकि निष्पादन अधिकारी होने के नाते, इस सरकारी ग्रांट को उचित उद्देश्य के लिए खर्च करवाने की जिम्मेदारी उपमण्डल अधिकारी नागरिक की थी। गौरतलब है कि तत्कालीन डिप्टी स्पीकर संतोष यादव द्वारा दी गई 11 लाख रुपए की अनुदान राशि जनसाधारण के उपयोग के लिए पुस्तकालय की पुस्तकें खरीद किए जाने के लिए दी गई थी तथा राज्यमंत्री औम प्रकाश यादव द्वारा दी गई 21 लाख रुपए की अनुदान राशि पुस्तकालय के लिए पुस्तकें एवं फर्निचर की खरीद के लिए दी गई थी। उक्त राशि को सरकार द्वारा जिस उद्देश्य के लिए प्रदान किया गया था, उसे उसी उपयोग में खर्च किया है, उसके लिए संबंधित संस्था को उचित उपयोग प्रमाण पत्र देना आवश्यक होता है। मंत्रियों द्वारा दी जाने वाली अनुदान राशि को खर्च किए जाने बारे सरकार के स्पष्ट निर्देश हैं। उसके अनुसार निष्पादिन अधिकारी जो संबंधित उपमण्डल के एसडीएम होते हैं, को कार्यालयी पत्र नम्बर 1672-बीएपी-1(3)-2012/4755 दिनांक 11-10-2012 के अनुसार कार्य हो जाने के बाद, उस कार्य के लिए जारी किए जाने वाले बिल की पेमेंट की जानी होती है। संबंधित निष्पादित अधिकारी को अनुदान राशि को प्राप्त करने वाली संस्था के परिसर में जाकर उस ग्रांट को खर्च किए जाने की वास्तविक स्थिति को जानने तथा उसे भौतिक रूप से सत्यापित करने का अधिकार है। उक्त दोनों अनुदान राशियों में निष्पादन एजेंसी उपमण्डल अधिकारी नागरिक नारनौल थे। किन्तु उन्होंने किसी भी खरीद के बिलों को तथा उस खर्च के उद्देश्य को वैरिफाई नहीं किया। यह विवाद तब पनपा था जब मार्च 2020 में जिला बार एसोसिएशन की चुनावी प्रक्रिया प्रारंभ हो जाने के बाद लॉकडाउन की अवधि में 21 लाख रुपए की राशि का चैक सामाजिक अधिकारिता मंत्री ने जिला बार एसोसिएशन को सौंपा था तथा उस राशि को लॉकडाउन में ही जिला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने खर्च कर दिया तथा उसके बाद चुनाव अधिकारी औम प्रकाश यादव एडवोकेट ने उस कार्यकारिणी के कार्यकाल को बढ़ा दिया था। Post navigation पीजी कोर्स की सीटे बढ़वाने की मांग, ज्ञापन सौंपा सेंटर यूनिवर्सिटी का फस्ट इंप्ररेशन ही साबित हो रहा है नगेटिव